For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

All Blog Posts (18,988)

राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- १९

मैं मंजिल के करीब आकर बिखर न जाऊं

सोचता हूँकि आज रात अपने घर न जाऊं

 

मुझे भी है इन्तेज़ार उम्रदराज़ हो जाने का

दिनभर बेरोज़गार रहूँ और दफ्तर न जाऊं

 

लहरोंको देख तेरी नज़रों की याद आती है

मैंने सोचा हैकि फिर कभी समंदर न जाऊं

 

गली में कुहराम मचा है और मैं बच्चा हूँ

माँ ने कहा है कि मैं घर से बाहर न जाऊं

 

छोड़ गया है अपना कुनबा बीवीकी खातिर 

अब्बा कहतें हैंकि मैं बड़े भाई पर न जाऊं

 

रोक…

Continue

Added by राज़ नवादवी on July 8, 2012 at 12:32pm — 2 Comments

राज़ नवादवी: एक अपरिचित कवि की कृतियाँ- ३६

....तो तुम होती

 

रातों में तन्हाई नहीं होती

तो तुम होती

दुखों की परछाई नहीं होती

तो तुम होती

ज़िंदगी में बेपर्वाई नहीं होती

तो तुम होती

खुदा ने मेरी किस्मत बनाई नहीं होती

तो तुम होती

ये अयालदारी, ये जीस्तेकुनबाई नहीं होती

तो तुम होती

खामखाह हमने बात बढ़ाई नहीं होती

तो तुम होती

पैदाइशेखल्क के मरकज़ में जुदाई नहीं होती

तो तुम होती

हममें तुममें तश्वीशेआबाई नहीं…

Continue

Added by राज़ नवादवी on July 8, 2012 at 12:20pm — 2 Comments

राज़ नवादवी: एक अपरिचित कवि की कृतियाँ- ३५

शब्दों में जो लिखा है....

---------------------------------

शब्दों में जो लिखा है

अपना भोगा यथार्थ गढ़ा है

तराशी हैं मन की सभी छोटी बड़ी बातें

जो कभी किसी कोने में दुबका सिकुड़ा है

और जो कभी आकाश से भी उन्नत और बड़ा है

शब्दों में लिख लिख के सश्रम

उसके ही परिहास और वंचनाओं को गढ़ा है

 

बदल गए अपनों की व्यथाएं

आँखों से झांकती क्लांत आशाएं

संबंधों की अपरिभाषित सीमाएं

कुछ करने न करने की…

Continue

Added by राज़ नवादवी on July 8, 2012 at 8:30am — No Comments

उन गहन अँधेरे कमरों में ,सन्नाटा ही अब रहता है

बहुत सालों पहले की मेरी डायरी के पन्नो पर अंकित कुछ पंक्तियाँ आपके समक्ष रख रहा हु .भावो को समेटने की कोशिश की है इन शब्दों के गुलदस्ते में, पसंद आये तो सूचित करियेगा और मुझे अवगत करायें मेरी त्रुटियों से । आपका अपना सबका छोटा भाई योगेश... 



उन गहन अँधेरे कमरों में ,सन्नाटा ही अब रहता है

मैं दरवाजे खोलू कैसे .तेरी याद…

Continue

Added by yogesh shivhare on July 8, 2012 at 12:00am — No Comments

थोड़ी दाल थोड़े भात उधार मांगता हूँ

बस नींद भरी रात उधार मांगता हूँ,

दिल के लिए जज़्बात उधार मानता हूँ,

कोई तोड़ जाये जो होंठो से मेरे चुप्पी,

कुछ लफ़्ज़ों की सौगात उधार मानता हूँ,

मुमकिन नहीं है फिर तसल्ली के वास्ते,

गूंगे लबों…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on July 7, 2012 at 3:39pm — 2 Comments

ग़मगीन

ग़मगीन

तक़दीर ही अपनी ऐसी थी

अपने हिस्से में गम निकले

जब भी कोशिश की हँसने की

आँख से आँसू बह निकले

अतीत नें पीछा छोड़ा न

न अपनों नें ही जीने दिया

खुदा से अब तो यही दुआ है

हँसते हँसते ही दम निकले

दीपक…

Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on July 7, 2012 at 1:01pm — 3 Comments

ज़रा सी बात

ज़रा सी बात बोलो तो बताना हैं बना लेते,
उठा - गिरा कर पलकें फ़साना हैं बना लेते,

कहानी रच लेते हैं, जुबां से लम्बी चौड़ी वो,
पत्थरों को ज़रा छूकर, खज़ाना हैं बना लेते,

निगाहें रूठ जाएँ तो, बस्तियां लुट जाती हैं,
अपने आगे पीछे इक, जमाना हैं बना लेते,

यादों के बीते पल जब - जब जाग जाते हैं,
मेरी सारी खुशियों का हर्जाना हैं बना लेते.....

Added by अरुन 'अनन्त' on July 7, 2012 at 12:00pm — No Comments

कहानी : रसबतिया

इस बार बारिशें देर से हुई है। हुई भी तो क्या न खेत खलिहान भीगे, न डबडबाया बड़ा बाला ताल । उमगती रह गई घाघरा इधर से उधर। न नानी का कवनों टोटका काम आया न नंग-धरंग बच्चों का अनुष्ठान । कभी उत्तर से तो कभी दक्षिण से, कभी पूरब से तो कभी पश्चिम से रह-रहके एक ही आवाज आती रही ‘‘काल-कलौती-पीयर-धोती मेघा सारे पानी दे’’।  बच्चों के अनुरोध पर पानी तो दिया इंद्र भगवान ने मगर मूत के बराबर । कायदे से न ढोर-डांगर भीगे न ताल-तलैया । चारो तरफ बस कीचड़ हीं कीचड़ । जिस तरह से बादर उमड़ घुमड़ आये थे, लग रहा था झम के…

Continue

Added by Ravindra Prabhat on July 7, 2012 at 11:26am — 5 Comments

हाइकू-बरखा के

१.
मेघ बरसे
विरह में पिय के
नयन से भी
२.
लाया सावन
अतुल उपहार
सुधा फुहार
३.
बरखा संग
निकली बाल-टोली
कीचड़-होली
४.
मयूर नाचा
हृदय ने भी किया
मयूर नृत्य

Added by प्रवीण कुमार श्रीवास्तव on July 6, 2012 at 11:25pm — 2 Comments

हाइकु.

 
हाइकु.
-----------
पाली बेशक…
Continue

Added by AVINASH S BAGDE on July 6, 2012 at 8:40pm — 5 Comments

कुछ शेर

समाधान चाहिए

बढ़ती हुई समस्याओं का, समाधान चाहिए,

इंसान के अवतार में, फिर भगवान चाहिए,

मुश्किलों से घिरी हुई है,अपनी जन्म-भूमि,

अब एक जुझारू योद्धा,बड़ा बलवान चाहिए, 

बैठे हैं भ्रष्ठाचारी, हर मोड़ हर कदम पर,

अब इनकी खातिर,एक नया शमशान…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on July 6, 2012 at 5:30pm — No Comments

"दीपदान"

रात आई

काली चुनरी ओढ़ के

नीले व्योम को ढँक लिया

घुप्प अँधेरा,

सन्नाटे बातें करते हैं

हवाओं से

दूर से आती हैं कुछ आवाजें

डरावनी सी भयानक सी

कानों में खुसफुसाती…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 6, 2012 at 3:30pm — 5 Comments

रात के तेवर

रात के तेवर जब - जब बदले नज़र आये,

तेरी यादों के मौसम बड़े उबले नज़र आये,

 

तसल्ली दे रहे हैं, हालात मुझे लेकिन,

आँखों से सारे मंजर दुबले नज़र आये,

 

भभकते अश्कों को कोई साथ न मिला,

न रुके और न…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on July 6, 2012 at 12:44pm — 8 Comments

मुकम्मल हो नहीं पाए

ख्वाब आँखों के कोई भी मुकम्मल हो नहीं पाए,

खाकर ठोकर यूँ गिरे फिर उठकर चल नहीं पाए,

खिलाफत कर नहीं पाए बंधे रिश्ते कुछ ऐसे थे,

सवालों के किसी मुद्दे का कोई हल नहीं पाए,

बड़े उलटे सीधे थे, गढ़े रिवाज तेरे शहर के,

लाख कोशिशों के बावजूद हम उनमे ढल नहीं…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on July 6, 2012 at 12:09pm — 6 Comments

पर्यावरण पर कुछ हाइकु

 नीर भरी थी 

विष्णुपदी  निर्मल 

क्लांत  है अब । 
 
***************
पेड़ों को काटा 
छीना था सरमाया 
धरती…
Continue

Added by sangeeta swarup on July 6, 2012 at 10:45am — 4 Comments

दोहा सलिला: संजीव 'सलिल'

दोहा सलिला:



संजीव 'सलिल'

*

कथ्य, भाव, रस, शिल्प, लय, साधें कवि गुणवान.

कम न अधिक कोई तनिक, मिल कविता की जान..

*

मेघदूत के पत्र को, सके न अब तक बाँच.

पानी रहा न आँख में, किससे बोलें साँच..



ऋतुओं का आनंद लें, बाकी नहीं शऊर.

भवनों में घुस कोसते. मौसम को भरपूर..



पावस ठंडी ग्रीष्म के. फूट गये हैं भाग.

मनुज सिकोड़े नाक-भौं, कहीं नहीं अनुराग..



मन भाये हेमंत जब, प्यारा लगे बसंत.

मिले शिशिर से जो गले,…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on July 6, 2012 at 10:20am — 5 Comments

कुछ हाइकू

 
मन भ्रमर
उड़ता जाता, पर
पंख हैं कहाँ
 
 
 
सुख हैं कम
अनगिनत दुःख
जीना तो है ही
 
 
 
डूबता सूर्य
चूमता ज्यों धरा को
क्षित्तिज पर
 
 
 
 
सड़क पर
चमचमाती धूप
ज्यों…
Continue

Added by Neelam Upadhyaya on July 6, 2012 at 10:00am — 6 Comments

साथी चल उस देश से

साथी चल उस देश से
जहाँ प्रेम व्यापार
बेच रहे ईमान को
लोग लगा बाज़ार

लोग लगा बाज़ार
मनुजता बेंचे ऐसे
सोने का सामान
बिके दो कौड़ी जैसे

कह 'प्रवीण' कविराय
जहाँ दीया ना बाती
कहाँ उजाला होत
मोह तज चल तू साथी

Added by प्रवीण कुमार श्रीवास्तव on July 6, 2012 at 7:49am — 7 Comments

जो आदमी ज़मीं से जुड़ा रह नहीं सका

जो आदमी ज़मीं से जुड़ा रह नहीं सका।

वो ज़ोर आंधियों का कभी सह नहीं सका॥

 

हिकमत1 से चोटियों पे पहुँच तो गया…

Continue

Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on July 5, 2012 at 11:30pm — 7 Comments

मासूम सी एक सूरत,

मासूम सी एक सूरत,

बन गई वो मेरी जरुरत,

होता है कुछ देखकर उसे,

क्या कहू वो है कितनी खूबसूरत....

........

अब सब कुछ फ़साना एक लगता है,

उसका दूर जाना भी, पास आना लगता है,

सोचा न था, एक दौर ऐसा आएगा,

जब ये दिल, किसी को चाहेगा,

फिर भी चुप रहेगी ये जुबाँ, ऐसी कोशिस है,

आँखों से समझे वो प्यार, ये साजिस है,

अब समझाना है उसको इन आँखों की भाषा,

वो होगी मेरे रूबरू,है इस दिल को आशा,

पा लेंगे उसको खुदपर विस्वास है,

मिलेगी वो, क्योकि वो…

Continue

Added by Pradeep Kumar Kesarwani on July 5, 2012 at 11:30pm — 3 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shyam Narain Verma commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करते तभी तुरंग से, आज गधे भी होड़
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर और उम्दा प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"आदाब।‌ बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब तेजवीर सिंह साहिब।"
Oct 1
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी।"
Sep 30
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी। आपकी सार गर्भित टिप्पणी मेरे लेखन को उत्साहित करती…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"नमस्कार। अधूरे ख़्वाब को एक अहम कोण से लेते हुए समय-चक्र की विडम्बना पिरोती 'टॉफी से सिगरेट तक…"
Sep 29
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"काल चक्र - लघुकथा -  "आइये रमेश बाबू, आज कैसे हमारी दुकान का रास्ता भूल गये? बचपन में तो…"
Sep 29
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"ख़्वाबों के मुकाम (लघुकथा) : "क्यूॅं री सम्मो, तू झाड़ू लगाने में इतना टाइम क्यों लगा देती है?…"
Sep 29
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"स्वागतम"
Sep 29
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"//5वें शेर — हुक्म भी था और इल्तिजा भी थी — इसमें 2122 के बजाय आपने 21222 कर दिया है या…"
Sep 28
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय संजय शुक्ला जी, बहुत अच्छी ग़ज़ल है आपकी। इस हेतु बधाई स्वीकार करे। एक शंका है मेरी —…"
Sep 28
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"धन्यवाद आ. चेतन जी"
Sep 28
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय ग़ज़ल पर बधाई स्वीकारें गुणीजनों की इस्लाह से और बेहतर हो जायेगी"
Sep 28

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service