For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

All Blog Posts (18,988)

रक्षक ही भक्षक

रक्षक ही भक्षक 
जांच अगर हो कायदे से 
कोई बच न पाए
भारत में बच्चे से बूढ़ा
घूसखोर  नज़र आए
बड़े बड़े घोटाले यहाँ पर
मामूली सा खेल है
बच्चे को जब तक दो न चॉकलेट
वह भी स्कूल न जाए
कब तक लड़ेंगे अन्ना हजारे
कब तक केजरी वाल 
हर शाख पे उल्लू बैठा…
Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on October 17, 2012 at 11:44am — 3 Comments

वही हँसाता है हमें, वही रुलाता है

वही हँसाता है हमें, वही रुलाता है

गम ओर ख़ुशी देकर आज़माता है

 

अपनों की अहमियत भी सीखाता है

बिछुडों को फिर वही मिलाता है

 

यकीं खुदा का तो बड़ा सीधा है

मारता है वही,वही जिलाता है

 

इसका उसका क्या है जग में

सबका हिस्सा तो वही बनाता है

 

नेमतें उसकी तो बड़ी निराली है

छीनता है कभी,कभी  दिलाता है

 

मेरे घर में कभी तुम्हारे घर में

खुशियाँ भी तो वही पहुँचाता है

 

आखिर भूले…

Continue

Added by नादिर ख़ान on October 17, 2012 at 11:15am — No Comments

छुपा सकता है

छुपा सकता है 
 

यह हिन्दोस्तान है प्यारे 

यहाँ कुछ भी हो सकता है
ख़ाली जगह में स्थापित मूर्ति पर 
बोर्ड प्राचीन मंदिर का लग सकता है
आस्था के नाम पर 
यहाँ बहुत कुछ होता है
हर एक तिलकधारी 
बाबा नहीं होता है 
जिसमें दम हो वह जहाँ चाहे 
कब्ज़ा जमा सकता है
इन्हीं धर्मस्थलों की आड़ में 
अपने कुकर्म छुपा सकता…
Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on October 17, 2012 at 10:52am — No Comments

"गायत्री छंद" आप सभी को शारदीय नवरात्र की अनेकानेक शुभकामनाएं



आप सभी को शारदीय नवरात्र की अनेकानेक शुभकामनाएं

"गायत्री छंद"

विधान -\\१ भगण १रगण १ मगण १ तगण......१ भगण १ यगण १ रगण १ जगण\\

२ १ १ -  २ १ २  - २ २ २  - २ २ १     ,     २ १ १  - १ २ २  - २ १ २   - १ २ १



माँ कमला सती दुर्गा दे दो भक्ति, हो तुम अनंता माँ महान शक्ति ||…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on October 17, 2012 at 10:30am — No Comments

लेख: हमारे सोलह संस्कार --संजीव 'सलिल'

लेख:

हमारे सोलह संस्कार

संजीव 'सलिल'

*

अर्थ:

'संस्कारो हि नाम संस्कार्यस्य गुणकानेन, दोषपनयेन वा' अर्थात गुणों के उत्कर्ष तथा दोषों के अपकर्ष की विधि ही संस्कार है।

शंकराचार्य के ब्रम्ह्सूत्र के अनुसार किसी वस्तु, पदार्थ या आकृति में गुण, सौंदर्य, खूबियों को आरोपित करना / बढ़ाना  तथा उसकी त्रुटियों, कमियों, दोषों को हटाने / मिटने का नाम संस्कार है।

संस्कृत भाषा में प्रयुक्त क्रिया (धातु) 'कृ' के पूर्व सम उपसर्ग तथा पश्चात् 'आर' कृदंत के संयोग से बने इस शब्द…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on October 16, 2012 at 10:09pm — 1 Comment

रख गया कोई

आँखों मे उम्मीदों के चिराग रख गया कोई

फिर जलने का असबाब रख गया कोई

 

पकड़कर मेरा चोरी से देखना उसको

राज़-ए-दिल बेनकाब रख गया कोई

 

करके वादा सफर मे साथ देने का

हौसले बेहिसाब रख गया कोई

 

झुकाकर शर्म से अपनी पलकें

मेरे सवाल का जवाब रख गया कोई

 

मेरी नींदों से महरूम आँखों मे

जिंदगी के ख्वाब रख गया कोई

 

शरद 

Added by शरद कुमार on October 16, 2012 at 3:29pm — No Comments

ग़ज़ल "बहरे - रमल मुसम्मन मह्जूफ़"

==========ग़ज़ल===========

बहरे - रमल मुसम्मन मह्जूफ़

वज्न- २ १ २ २- २ १ २ २ - २ १ २ २- २ १ २



पीर है खामोश भर के आह चिल्लाती नहीं

वो सिसकती है ग़मों में नज्म तो गाती नहीं



बाद दंगों के उडी हैं इस कदर चिंगारियाँ

आग है सारे दियों में तेल औ बाती नहीं



जिन सफाहों पर गिराया हर्फे-नफ़रत का जहर

हैं सलामत तेरे ख़त वो दीमकें खाती नहीं



चाँद को पाने मचलता जब समंदर…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on October 16, 2012 at 2:00pm — 14 Comments

हाईकु

जिम्मेदारियाँ

हो राज या समाज

धर्म निभाना

 

जिम्मेदारियाँ

खुद का आंकलन

जाँच परख

 

जिम्मेदारियाँ

जब भी हो चुनाव

खरा ही लेना

 

जिम्मेदारियाँ

धरती या आकाश

प्यार ही बाँटे

Added by नादिर ख़ान on October 16, 2012 at 12:44pm — 3 Comments

आओ उस जिंदगी के लिए दुआ करें।।।

हाइकु ..सन्दर्भ ,' मलाला '

* * * * * * * * * * * * * * * 

रखे सहेज 
स्त्री शिक्षा अभियान 
रौशनी तेज। 
--------
हटायें पर्दा 
रौशनी स्कूलों वाली 
घूँघट-पर्दा।।
--------
मंत्रोच्चार हो 
पढ़ी-लिखी नार हो 
अधिकार…
Continue

Added by AVINASH S BAGDE on October 16, 2012 at 11:00am — 15 Comments

जीवन में अधिकार मिले कम-

मत्तगयन्द सवैया

नारि सँवार रही घर बार, विभिन्न प्रकार धरा अजमाई ।

कन्यक रूप बुआ भगिनी घरनी ममता बधु सास कहाई ।

सेवत नेह समर्पण से कुल, नित्य नयापन लेकर आई ।

जीवन में अधिकार मिले कम, कर्म सदा भरपूर निभाई…

Continue

Added by रविकर on October 16, 2012 at 9:45am — 9 Comments

नवरात्रि उत्सव.

नव रात्री नव रात है,नव जीवन संदेश/

तन मन भवन शुद्ध रखो,आये माँ किस भेष//

भक्तगण नव रात्री में,रखते हैं उपवास/

कन्या पूजन भी करें,माँ का यही निवास//

देखो कैसे सज रहा,माता का दरबार/

माँ के दर्शन को लगी,लम्बी बहुत कतार//

जयकारों से मात के,गूंज रहा दरबार/

माता का आशीष ले,पायें शक्ति अपार//

गरबा रमती मात है,चहुँ दिसि उत्सव होय/

भक्त यहाँ सुख पात हैं,सबके मंगल…

Continue

Added by Ashok Kumar Raktale on October 16, 2012 at 7:59am — 11 Comments

नन्हा सा पौधा चला, पेड़ से करने दोस्ती

देख-देख दुनिया हँसी, मन ही मन में कोसती |

नन्हा सा पौधा चला, पेड़ से करने दोस्ती ||

कैसा गड़बड़झाल ये, जाने कैसा खेल है,

लोटे औ जलधाम का, होता कोई मेल है |

आ जाएगा घूम के, सबकी खोपड़ सोचती,

नन्हा सा पौधा चला, पेड़ से करने दोस्ती ||

पौधा है नवजात ये, कोमल इसकी डाल है,

हट्टा-कट्टा पेड़ तो, मानो गगन विशाल है |

बुढ़िया काकी…

Continue

Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on October 16, 2012 at 7:27am — 12 Comments

दोहा सलिला: सूत्र सफलता का सरल --संजीव 'सलिल'

दोहा सलिला:



सूत्र सफलता का सरल



संजीव 'सलिल'

*

सूत्र सफलता का सरल, रखें हमेशा ध्यान।

तत्ल-मेल सबसे रखें, छू लें नील वितान।।

*

सही समन्वय से बने, समरस जीवन राह।

सुख-दुःख मिलकर बाँट लें, खुशियाँ मिलें अथाह।।

*

रहे समायोजन तभी, महके जीवन-बाग़।

आपस में सहयोग से,…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on October 15, 2012 at 8:00pm — 6 Comments

हिन्दी ग़ज़ल

“मीत मन से मन मिला तू और स्वर से स्वर मिला,”

कर लिया यह कर्म जिस ने उस को ही ईश्वर मिला.

कांच   की  कारीगरी  में  जो   निपुण  थे  साथियों,

आजकल उन के ही  हाथों  में   हमें   पत्थर  मिला.

पेट भर  रोटी  मिली   जब   भूखे  बच्चों को  हुज़ूर,

सब कठिन प्रश्नों…

Continue

Added by लतीफ़ ख़ान on October 15, 2012 at 1:30pm — 15 Comments


सदस्य कार्यकारिणी
कहाँ है तू ?

मैं निर्मल ,निःस्वार्थ 

प्रस्फुटित हुआ 

एक अभिप्राय के निमित्त 

हर लूँगा सबका  अभिताप  ,व्यथा 

अपनी अनुकम्पा से 

अलौकिक अभिजात मलय 

के आँचल की छाँव  में 

श्वास लेकर बढ़ता रहा 

कब मेरी जड़ों में 

वर्ण, धर्म भेद मिश्रित 

नीर मिलने लगा 

कब वैमनस्य ,स्वार्थ परता 

की खाद डलने लगी

पता ही नहीं चला 

विषाक्त भोजन 

विषाक्त वायु ,नीर 

से मेरे अन्दर कसैला 

जहर भरता गया

फिर जो…

Continue

Added by rajesh kumari on October 15, 2012 at 10:35am — 9 Comments

मुझको बता रहें हैं मेरी हद वो आजक

मुझको बता रहें हैं मेरी हद वो आजकल।

लगता है भूल बैठे हैं मक़्सद वो आजकल॥

उनका मुझे परखने का अंदाज़ देखिये,

लीटर से नापते हैं मेरा क़द वो आजकल॥

हल्के हवा के झोंके भी जो सह नहीं सके,

कहते फिरे हैं अपने को अंगद वो आजकल॥

रिश्तों की बात करते नहीं हैं किसी से अब

घायल हुए हैं अपनों से शायद वो आजकल॥

कल तक पकड़ के चलते थे जो उँगलियाँ मेरी

कहने लगे हैं अपने को अमजद वो आजकल॥

ख़ुद अपनी मंज़िलों की जिन्हें कुछ ख़बर नहीं,

पहुंचा रहे हैं औरों को…

Continue

Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on October 15, 2012 at 12:30am — 10 Comments

मानव मणि: नर से नारायण - स्वामी विवेकानंद -संजीव 'सलिल'

मानव मणि:

नर से नारायण - स्वामी विवेकानंद

संजीव 'सलिल'


*



'उत्तिष्ठ, जागृत, प्राप्य वरान्निबोधत।'  



'उठो, जागो और अपना लक्ष्य प्राप्त करो।' 



'निर्बलता के व्यामोह को दूर करो, वास्तव में कोई दुर्बल नहीं है। आत्मा अनंत, सर्वशक्ति संपन्न और सर्वज्ञ  है। उठो! अपने वास्तविक रूप को जानो…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on October 14, 2012 at 4:51pm — 4 Comments

मतगयंद (मालती)सवैया. (भगण x 7 अंत में दो गुरु) एक प्रयास

सूरज ताप बढ़ाकर जो मरुभूमि धरा पर दृश्य दिखाता,

मानव अक्सर जीवन में यह रीत मिसाल बना भरमाता,

भाग रहा वह तेज भयंकर झूठ कहे फिर भी अपनाता,

हाथ न आय तहाँ वह रोकर व्याकुल नीर बहा पछताता/

Added by Ashok Kumar Raktale on October 14, 2012 at 1:00pm — 11 Comments

नागफनी

मेरे पास नहीं

बूढ़े बरगद सी बाहें

फैलाकर

जिन्हें अनवरत 

बांट सकूं 

छांह

धरती को चीरती 

विकराल  जड़ें -

गहराइयों  की

लेती जो थाह  

पास नहीं मेरे

पीपल का जादुई

संगीत

वो  हरी- भरी

काया ,

वह पत्तों का

मर्मर  गीत 

कोई न

पूजे मुझको 

पीपल, बरगद

के मानिंद

कंटकों से

पट गयी है 

देह ऐसे-

निकट आते

हैं नहीं

खग वृन्द

मरुथली संसार में

रेत के विस्तार में…

Continue

Added by Vinita Shukla on October 14, 2012 at 12:30pm — 14 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Dayaram Methani commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ...)
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, गुरु की महिमा पर बहुत ही सुंदर ग़ज़ल लिखी है आपने। समर सर…"
1 hour ago
Dayaram Methani commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो
"आदरणीय निलेश जी, आपकी पूरी ग़ज़ल तो मैं समझ नहीं सका पर मुखड़ा अर्थात मतला समझ में भी आया और…"
1 hour ago
Shyam Narain Verma commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करते तभी तुरंग से, आज गधे भी होड़
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर और उम्दा प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"आदाब।‌ बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब तेजवीर सिंह साहिब।"
Oct 1
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी।"
Sep 30
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी। आपकी सार गर्भित टिप्पणी मेरे लेखन को उत्साहित करती…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"नमस्कार। अधूरे ख़्वाब को एक अहम कोण से लेते हुए समय-चक्र की विडम्बना पिरोती 'टॉफी से सिगरेट तक…"
Sep 29
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"काल चक्र - लघुकथा -  "आइये रमेश बाबू, आज कैसे हमारी दुकान का रास्ता भूल गये? बचपन में तो…"
Sep 29
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"ख़्वाबों के मुकाम (लघुकथा) : "क्यूॅं री सम्मो, तू झाड़ू लगाने में इतना टाइम क्यों लगा देती है?…"
Sep 29
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"स्वागतम"
Sep 29
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"//5वें शेर — हुक्म भी था और इल्तिजा भी थी — इसमें 2122 के बजाय आपने 21222 कर दिया है या…"
Sep 28
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय संजय शुक्ला जी, बहुत अच्छी ग़ज़ल है आपकी। इस हेतु बधाई स्वीकार करे। एक शंका है मेरी —…"
Sep 28

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service