For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Vinita Shukla
  • Female
Share on Facebook MySpace

Vinita Shukla's Friends

  • vinay tiwari
  • Vasundhara pandey
  • arvind ambar
  • Madan Mohan saxena
  • Sumit Naithani
  • Tushar Raj Rastogi
  • ajay yadav
  • aman kumar
  • अरुन 'अनन्त'
  • Rita Singh 'Sarjana"
 

Vinita Shukla's Page

Latest Activity

Vinita Shukla shared Usha Awasthi's blog post on Facebook
Aug 13, 2022
Vinita Shukla updated their profile
Mar 29, 2020

Profile Information

Gender
Female
City State
Kochi, Kerala
Native Place
Kanpur, U.P.
Profession
Writer
About me
I am a Housewife. Writing is my passion.

Vinita Shukla's Blog

स्त्री मन की गाठें

कितने ही मरुथल

छूट गये पीछे

पगली आशाओं को

मुट्ठी में भींचे

नदिया सी रेतीली

राहों में बहती

कलुष भी वहन करतीं

धाराएँ जीवन की

अवचेतन में, गुपचुप

सुख दुःख को बांचें

स्त्री मन की गाठें-

अनगिन असंख्य गाठें !

दादी अम्मा का

भैय्या को दुलराना

चुपके से, दूध- भात

गोद में खिलाना

किन्तु 'परे हट' कहकर,

उसे दुरदुराना

रह- रहकर कोचें

वह शैशव की फासें

स्त्री मन की गाठें-

अनगिन असंख्य गाठें !

जागी…

Continue

Posted on August 31, 2013 at 3:04pm — 16 Comments

माँ की डायरी से

१- सितार के टूटे हुए तार

 वह एक भावुक, कमनीय सी लडकी; सब सहपाठी छात्राओं से, आयु में कहीं छोटी।  कई क्लासें फांदकर बारहवीं तक पहुंची थी ताकि विधवा माँ को, हर बार, फीस के पैसे न चुकाने पड़ें.  उसके अभावग्रस्त परिवार में, सपनों के लिए, कोई स्थान न था. लेकिन ख्वाबों के पर, फिर भी, निकल ही आते हैं! अम्मा ने किसी प्रकार पैसे जोड़कर, उसे एक नन्हा सा सितार दिलवाया क्योंकि स्कूल में, सितार भी एक विषय था. सितार को देखते ही, उसे रोमांच हो आया. हृदय की सुप्त उमंगें, उमड़ पड़ीं.

अब…
Continue

Posted on August 23, 2013 at 11:15am — 24 Comments

उसे नहीं बनना सिन्ड्रैला



तुम्हारे उदार आमन्त्रण पर
अब नहीं आयेगी
परीकथा की नायिका
दौड़ाकर पवन के घोड़े
लुभावने इंद्रजाल को ओढ़े-
वह एक रात की

राजकुमारी...
नही... उसे नहीं
बनना सिन्ड्रैला!
काँटों में ही खिलता है
शोख जंगली गुलाब
गुलदान का बासी पानी 

चुरा लेता, उसकी आब
चौखटे में जड़ नहीं सकता  

वजूद उसका

मुखौटों की भीड़ में वह

गुमशुदा…
Continue

Posted on August 20, 2013 at 9:37am — 14 Comments

शब्द ही तो थे

शब्द ही तो थे …

नयनों के झिलमिल
बिम्बों की भाषा

तरल सीकरों में
ढलती अभिलाषा

टूट तो जाने ही थे

अन्तस् के बंध;

विष  से उफनाये वे-

कटुता के छंद !

शब्द ही तो थे...

फट पडीं, ज्यों बेतरह
कपास की गाठें
चिंदी चिंदी  बिखर गये -

अनछुए अर्थ
विद्रोही पवन का

पाकर स्पर्श 
खुले अवगुंठन

 वह उद्दात्त मन का…

Continue

Posted on August 4, 2013 at 4:00pm — 34 Comments

Comment Wall (6 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 11:40am on October 16, 2012, AVINASH S BAGDE said…


झुकना पड़ा 

आसुरी प्रकृति को 

थम गया ..मेरी हार्दिक बधाई.

महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना



तव कंठ में ही 

सृष्टि का विध्वंस 

हम हो न सकते ..nayab vichar..

At 11:38am on October 16, 2012, AVINASH S BAGDE said…

महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना....badhai...

At 9:10pm on October 3, 2012,
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
said…

विनीता शुक्लजी, आपकी रचना ’हम न हो सकते नीलकंठ’ को माह की सर्वश्रेष्ठ रचना चयनित होने पर मेरी हार्दिक बधाई. आप उत्तरोत्तर बढ़ती चलें.. .

At 9:53am on October 2, 2012, लक्ष्मण रामानुज लडीवाला said…

महीने के सर्व श्रेष्ठ रचना "हम हो न सकते नीलकंठ" के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारे विनीता शुक्ल जी |आशा इस ओ बी ओ द्वारा प्राप्त पुरस्कार से उत्साहित होकर आपकी लेखनी में और निखर आएगा |मेरी हार्दिक शुभ कामनाए  

At 8:54am on October 2, 2012, Abhinav Arun said…
आदरणीया विनीता शुक्ल जी आपकी रचना को माह की श्रेष्ठ रचना के रूप में चुने जाने पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !! 
At 9:04pm on October 1, 2012,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीया विनीता शुक्ला जी ,
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की रचना "हम हो न सकते नीलकंठ" को महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना (Best Creation of the Month) पुरस्कार के रूप मे सम्मानित किया गया है, तथा आप की छाया चित्र को ओ बी ओ मुख्य पृष्ठ पर स्थान दिया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |
आपको पुरस्कार राशि रु ५५१/- और प्रसस्ति पत्र शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस नामित कृपया आप अपना नाम (चेक / ड्राफ्ट निर्गत हेतु) , Bank A/C Details तथा पत्राचार का पता व् फ़ोन नंबर admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराना चाहेंगे |
शुभकामनाओं सहित
आपका
गणेश जी "बागी"

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"सीख ...... "पापा ! फिर क्या हुआ" ।  सुशील ने रात को सोने से पहले पापा  की…"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आभार आदरणीय तेजवीर जी।"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।बेहतर शीर्षक के बारे में मैं भी सोचता हूं। हां,पुर्जा लिखते हैं।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। चेताती हुई बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लगता है कि इस बार तात्कालिक…"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
" लापरवाही ' आपने कैसी रिपोर्ट निकाली है?डॉक्टर बहुत नाराज हैं।'  ' क्या…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। उम्दा विषय, कथानक व कथ्य पर उम्दा रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। बस आरंभ…"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service