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Samar kabeer
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Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-158
""ओबीओ लाइव तरही मुशाइर:' अंक-158 को सफल बनाने के लिए सभी ग़ज़लकारों और पाठकों का हार्दिक आभार व धन्यवाद ।"
Aug 26
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-157
""ओबीओ लाइव तरही मुशाइर:" अंक-157 को सफल बनाने के लिए सभी ग़ज़लकारों और पाठकों का हार्दिक आभार व धन्यवाद ।"
Jul 29
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-157
"मुहतरमा मंजीत कौर जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें । 'आंख भी जब बंद करता, तेरी ही तस्वीर है' इस मिसरे में 'करता' और 'है' से मिसरे का वाक्य विन्यास गड़बड़ा रहा है,उचित लगे तो इसे यूँ…"
Jul 29
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-157
"फ़ोन पर समझ लेना ।"
Jul 29
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-157
"इस संशोधन वाली ग़ज़ल में आपने कहीं अमित जी के सुझाव पर अमल किया है कहीं नहीं किया । 'यूँ ज़माने का चलन पहले कभी देखा न था।काम से बस काम पहले आदमी रखता न था' इस शे'र के दोनों मिसरों में 'पहले' शब्द खटकता है, ऊला यूँ कहें तो ये…"
Jul 29
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-157
"जनाब सुरेन्द्र 'इंसान' जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें । जनाबअमित जी ने अच्छे सुझाव दिए हैं ।"
Jul 29
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-157
"नाहक़ साहिब, ग़ज़ल पर हुई चर्चा भी पढ़ा करें, तारीफ़ ही करते रहेंगे तो सीखेंगे कब?"
Jul 29
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-157
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आयोजन में सहभागिता के लिए आपका धन्यवाद ।"
Jul 29
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-157
"जनाब दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल अभी समय चाहती है,जनाब अमित जी के सुझावों पर ध्यान दें । आयोजन में सहभागिता के लिए आपका धन्याद ।"
Jul 29
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-157
"'है ख़ुदा का शुक्र जो मैंने कहा तौबा न था' इस मिसरे में 'तौबा' शब्द स्त्रीलिंग है ।"
Jul 29
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-157
"जनाब अजय गुप्ता 'अजेय' जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें । जनाब अमित जी के सुझाव अच्छे हैं ।"
Jul 29
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-157
"दोनों तरह ठीक है ।"
Jul 29
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-157
""आरोप" के लिए ठहरा शब्द उचित नहीं ।"
Jul 29
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-157
"जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।"
Jul 28
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-157
"मुहतरमा ऋचा जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें । मतले का सानी आपने बदल ही लिया है । 'आपने समझा नहीं ये वाक़य ऐसा न था' इस मिसरे में 'वाक़या' को "वाक़िआ" लिखें ।"
Jul 28
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-157
"सहमत हूँ ।"
Jul 28

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तरही ग़ज़ल

ग़ज़ल 

१२२२ १२२२ १२२२ १२२२ 

उजाला  इसलिए  कमरे  में  पहले सा नहीं रहता 

हमारे  साथ  अब  वो चाँद   सा  चहरा नहीं रहता 

 

ग़िलाज़त  ही ग़िलाज़त  है सियासत तेरी बस्ती में 

यहाँ  आकर कोई भी  शख़्स पाकीज़ा नहीं रहता 

जूनूँ के दश्त में जिस दिन से दाख़िल हो गया हूँ मैं 

मेरी    दीवानगी    पे     दोस्तो   पहरा नहीं रहता 

उसी  को मंज़िल-ए-मक़सूद  मिलती  है ज़माने में 

जो  सर  पर  हाथ रख कर दोस्तो बैठा नहीं…

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Posted on January 6, 2023 at 3:41pm — 18 Comments

ओबीओ की बारहवीं सालगिरह का तुहफ़ा

ग़ज़ल

212 212 212

तू है इक आइना ओबीओ

सबने मिल कर कहा ओबीओ

जो भी तुझ से मिला ओबीओ

तेरा आशिक़ हुआ ओबीओ

तुझसे बहतर अदब का नहीं

कोई भी रहनुमा ओबीओ

जन्म दिन हो मुबारक तुझे

मेरे प्यारे सखा ओबीओ

यार बरसों से रूठे हैं जो

उनको वापस बुला ओबीओ

हम तेरा नाम ऊँचा करें

है यही कामना ओबीओ

जो नहीं सीखना चाहते

उनसे पीछा छुड़ा ओबीओ

और जो सीखते हैं उन्हें

अपने…

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Posted on April 2, 2022 at 9:00pm — 37 Comments

'कि भाई भाई का दुश्मन है क्या किया जाए'

ग़ज़ल

1212 1122 1212 22 / 112

यही समाज की उलझन है क्या किया जाए

कि भाई भाई का दुश्मन है क्या किया जाए

हर एक शख़्स गरानी के दौर में देखो

ख़ुद अपने आप से बदज़न है क्या किया जाए

सभी ये कहते हैं यारो हम आशिक़ों के लिये

ये शब अज़ल ही से बैरन है क्या किया जाए

सफ़र प जाने से पहले ये सोचना है हमें

हर एक गाम प रहज़न है क्या किया जाए

जो तू नहीं है तो…

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Posted on August 2, 2021 at 3:59pm — 23 Comments

एक ताज़ा ग़ज़ल

ग़ज़ल

1212 1122 1212 22/112

सुख़न में पैदा तेरे किस तरह कमाल हुआ

हज़ार बार यही मुझसे इक सवाल हुआ

 

तमाम उम्र गुज़ारेंगे किस तरह यारो

हमें तो साँस भी लेना यहाँ मुहाल हुआ

 

लिखा न जाएगा ख़त में ख़ुद आके देख लो तुम

तुम्हारे इश्क़ में जो भी हमारा हाल हुआ

 

हुनर नहीं ये हमारा अता ख़ुदा की है

कि शे'र जो भी कहा हमने बेमिसाल हुआ

 

ज़बाँ से कह न सके वो मगर सुना ये है

हमारे जाने का उनको बहुत मलाल…

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Posted on July 24, 2021 at 6:30pm — 17 Comments

Comment Wall (41 comments)

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At 4:41pm on May 27, 2022, सूबे सिंह सुजान said…

वाह वाह वाह बहुत खूब।

ओ बी ओ

At 9:30pm on January 31, 2021, DR ARUN KUMAR SHASTRI said…

प्रिय मित्र समीर साहिब जी गज़ब लिखा ख़ास कर ये पंक्तियाँ मुझे बेहद सुकून दे गई

आग तो सर्द हो चुकी कब की

क्यों अबस राखदान फूँकता है

हुक्म से रब के ल'अल मरयम का

देखो मुर्दे में जान फूँकता है





डॉ अरुण कुमार शास्त्री // एक अबोध बालक // अरुण अतृप्त

At 10:27am on June 27, 2020, Chetan Prakash said…

आदरणीय, मोहतरम समीर कबीर साहब प्रत्युत्तर के लिए आपका आभारी हूँ। रू का शाब्दिक
अर्थ आपने चहरा, (उक्त मिसरे में ) बता या , लेकिन मैंने मूल प्रति में रूह लिखा था। लेकिन कुछ लोग वहाँ ह की गणना कर ले ते हैं, सो मैंने रू चुना। एक और बात रू , वहाँ आत्मा की प्रतिच्छाया है न कि चहरा।आदरणीय, बिम्ब की दृष्टिसे रू का प्रयोग सर्वथा उचित है। माननीय, कवि का संसार ( काव्य ) बिम्ब के माध्यम से अभिव्यक्त होता है, जो लक्षणा और
व्य्ंजना से ही बोध गम्य है। शब्द ही ब्रह्म है, इसी हेतु मनीषियों ने कहा है। और, दूसरे मिसरे की बह्र से खारिज...बतायाआपने, मेहरबानी होगी, आपकी, तक्तीअ कर मार्ग- दर्शन करें!

At 7:03am on May 10, 2020, सालिक गणवीर said…
आदरणीय समर कबीर साहब
आदाब
यह जानकर खुशी हुई कि आपके अनुज और बेटे की सेहत ठीक है. ओबीओ पर आपकी उपस्थिती से हम जैसे नये शायरों को संबल मिलता है. एक ताज़ा ग़ज़ल पोस्ट की है. वक़्त मिलने पर पढ़कर सलाह दें तो मेहरबानी होगी.
At 11:04pm on May 7, 2020, सालिक गणवीर said…
आदरणीय समर कबीर साहब
बहुत ममनून हूँ कि इतनी जल्दी शंका समाधान कर दिया. एक दफा फिर शुक्रिया.
At 9:38am on May 5, 2020, सालिक गणवीर said…
आदरणीय समर कबीर साहब
आदाब
बहुत दिनों बाद अपनी एक ग़ज़ल पोस्ट कर रहा हूँ, आपकी नज़रे इनायत की दरकार है. समय मिलने पर पढ़ कर सलाह एवं प्रतिक्रिया देकर अनुग्रहित करें.
सालिक गणवीर
At 6:04pm on April 23, 2020, सालिक गणवीर said…

आदरणीय समर कबीर साहब

अपने ब्लाग पर एक ग़ज़ल पोस्ट की है, प्रतिक्रिया एवं सुझाव अपेक्षित है. समय निकाल कर मुझे भी पढ़कर आवश्यक सुझाव देंं.

At 12:25pm on April 1, 2020, सालिक गणवीर said…
आदरणीय कबीर साहब
अपने ब्लॉग में एक ग़ज़ल पोस्ट कर रहा हूँ. साथ ही साथ आपको फ्रैंड रिक्वेस्ट भी भेजा है. कृपया स्वीकार करें. ग़ज़ल पर प्रतिक्रिया एवं सुझाव अपेक्षित है. पहले तरही ग़ज़ल,ज़रूरी रद्दोबदल के साथ पोस्ट किया था, प्रभाकर जी का मेल आने के बाद इसे हटा दिया है.
शुभेच्छु
सालिक गणवीर
At 1:52pm on March 29, 2020, Bhupender singh ranawat said…

shri maan aapki hosla afjayI k liye aabhar

At 7:06pm on March 9, 2020, अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी said…

शुक्रिया जनाब.

 
 
 

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