For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-59 (विषय: सफ़र)

आदरणीय साथियो,
सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-59 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है. प्रस्तुत है:
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-59
विषय: सफ़र
अवधि : 28-02-2020 से 29-02-2020
.
अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फ़ॉन्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है।
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाए रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पाएँ इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद ग़ायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आसपास ही मँडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया क़तई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ-साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा ग़लत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताए हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिसपर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फ़ोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने /लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें।
.
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 5358

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

देश के वर्तमान हालात  में इसी भावना  की आवश्यकता है . प्रदत्त विषय पर  बहुत सकारात्मक  लघुकथा हार्दिक बधाई आदरणीय विनय कुमार जी  

बहुत बहुत शुक्रिया आ प्रतिभा पांडे जी

भाई विनय कुमार सिंह जी, बहुत ही बढ़िया लघुकथा कही हैl नफरत का यह सफ़र जितनी जल्दी ख़तम हो उतना ही अच्छाl लेकिन यह भी सच है कि इस देश में सबने शाना-ब-शाना एक लम्बा सफ़र तय किया है, और यह प्सरेम-प्फ़यार का सफ़र आगे भी जारी रहेगाl इस उत्तम प्रस्तुति पर मेरी दिली बधाई स्वीकार करेंl   

आदरणीय विनय कुमार जी आपने समसामयिक विषय पर बहुत ही अच्छी व विचारोत्तेजक लघुकथा कही है।

हार्दिक बधाई आदरणीय भाई विनय कुमार जी।बेहतरीन लघुकथा।

बुरे वक्त में सुकून देने वाली ख़बरों के मानिंद अच्छी लघुकथा हुई है. बधाई आदरणीय विनय कुमार जी.

आ. भाई विनय ही, वर्तमान हालातों मे राहत देती कथा हुई है । हार्दिक बधाई । 

सुंदर लघुकथा भाई विनय कुमार जी। वर्तमान की स्थितियों में सही में एक रोशनी दिखाने के विश्वास को पुख्ता करती है रचना। बधाई स्वीकार करें।

सादर नमस्कार। समसामयिक घटनाक्रमों और दुखद विसंगतियों के बीच सकारात्मक रचनात्मक गतिविधियों को उभार देती सुखांत रचना के लिए हार्दिक बधाई जनाब विनय कुमार साहिब। सार्थक पात्र नामों के कथनोपकथन व हावभावों सहित बढ़िया रचना। संवादों में /अल्पसंख्यक, सुरक्षा, आवेश.../जैसे शब्द न लेकर पात्र पृष्ठभूमि के अनुसार बोलचाल के शब्द या क्षेत्रीय भाषा के संवाद लेने पर रचना और अधिक प्रभावशाली हो सकेगी मेरे विचार से। 

आदरणीय विनय कुमार जी, आपकी लघुकथा पढ़ कर वाक़ई बहुत राहत मिली, जैसे किसी ने घनघोर अँधेरे में दिया जला दिया हो। आपको मेरी और से ढेरों बधाई इस रचना पर।

आदरणीय विनय कुमार अंजू जी, आपकी यह रचना मौजूदा अंधेरे में एक रोशनी की किरण की उम्मीद-सी है। सादर बधाई

ठहरा हुआ समय
.......

"क्या जमाना आ गया है!"

 स्वाभाविक शिकायती अंदाज में बस की सीट पर बगल में बैठा वृद्ध बारू राम बड़बड़ाया।

"क्या हो गया बाबा? जमाने से क्या शिकायत हो गई अब?",

नवीन ने चुटकी ली।

"बेटा! मैं आजकल के समय की बात कर रहा हूँ।"

"जी, समझ गया सब।" नवीन ने रूखा-सा जवाब दिया। और चुप बैठ गया।

यह बात बारू राम को न पची और वह बोल उठा, " हम चिट्ठी-पत्री से भी पहले के ज़माने देख चुके हैं।"

"तो?"

"कई-कई दिन में सन्देश मिलते थे।"

"आज तो सेकंड्स में सन्देश यहाँ से अमरीका पहुँच जाता है।"

"जानता हूँ। हम पैदल, बलगाड़ी या साइकिल पर ज़्यादातर सफ़र किया करते।"

"अब तो घर-घर बाइक है, कार भी है ही, और आदमी की औक़ात हो तो क्या समुद्र, क्या जमीन और क्या हवा, अंतरिक्ष में भी घूम कर आ सके है।"

"पता है बेटा, यह भी। पहले आदमी बहुत मेहनत किया करते।"

"अब तो मशीनों और कंप्यूटर ने सारे काम आसान कर दिए। बहुतेरे काम तो कई की जगह एक ही आदमी कर लेता है। बहुत समय बच जाता है।"

नवीन ने तंज कसा।

"फिर भी लोगों के पास समय नहीं। है न।"

बारू राम ने भी पलटवार किया।

"आप जानते हो कि आपके जमाने से काम कितने आसान हो गए हैं।"

"हाँ, हो गए आसान। पर, जीना तो उतना ही मुश्किल हो लिया।"

"तरक्की का सफ़र आगे बढ़ते रहना ही ठीक है। इसमें ही सबका भला है।"

"पर यह भला तब ही हो जब, तरक्की के चक्कर में बुरे काम का सहारा न लिया जाए। कुदरत का भी ख़याल रखा जाए। और..."

"और क्या बाबा?"

"हर मानस हर दूसरे जीव को अपने जैसा समझे।"

"बात तो आपकी सही है बाबा। पर...."

अब नवीन बात पर अटक गया।

"बात पूरी करो बेटा।"

"इस मामले में जमाना नहीं बदला बाबा।"

"मतलब?"

उसकी नज़र नवीन पर गड़ गयी।

"बाबा! आज भी कुछ लोग समाज के झंडा-बरदार हैं। तकनीक नई हो गयी पर ख़याल वे हीं पुराने।"

"साफ़-साफ़ कहो।"

"जाति-मजहब के नाम पर दंगे आज भी हो जाते हैं।"

बारू राम अब चुप था। बस चली जा रही थी।

मौलिक एवं अप्रकाशित

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"विषय पर सार्थक दोहावली, हार्दिक बधाई, आदरणीय लक्ष्मण भाईजी|"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाईसुशील जी, अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति व उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।  इसकी मौन झंकार -इस खंड में…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"दोहा पंचक. . . .  जीवन  एक संघर्ष जब तक तन में श्वास है, करे जिंदगी जंग ।कदम - कदम…"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
Saturday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"उत्तम प्रस्तुति आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service