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Gajendra shrotriya
  • 41, Male
  • Kota , Rajasthan
  • India
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Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"धन्यवाद जतिन जी"
May 27
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"आभार आदरणीया "
May 27
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"शुक्रिया आदरणीय शिज्जू शकूर साहब।"
May 27
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"विनम्र आभार आदरणीय। आवश्यक संशोधन हेतु प्रयासरत हूँ।"
May 27
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"धन्यवाद नाथ सोनांचली जी।"
May 27
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"बहुत शुक्रिया आदरणीय। आपके सुझाव मेरे लिए शुभाशीष हैं।"
May 27
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"ग़ज़ल की समीक्षा हेतु धन्यवाद आदरणीय अजय जी। आवश्यक संशोधन हेतु प्रयासरत हूँ।"
May 27
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"ग़ज़ल की सराहना हेतु बहुत आभार आदरणीय।"
May 27
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"ग़ज़ल की समीक्षा हेतु धन्यवाद आदरणीय निलेश जी। आवश्यक संशोधन हेतु प्रयासरत हूँ। "
May 27
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"सादर आभार आदरणीया रिचा जी।"
May 27
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"मंच के नियमों के उल्लंघन हेतु क्षमाप्रार्थी हूँ आदरणीय। सम्मानित मंच को आश्वस्त करता हूँ कि अंजाने में हुई इस गलती की पुनरावृत्ति नहीं होगी।"
May 27
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"ग़ज़ल की समीक्षा हेतु धन्यवाद आदरणीय अजय कुमार जी। आवश्यक संशोधन हेतु प्रयासरत हूँ।"
May 27
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"बहुत दमदार और असरदार ग़ज़ल कही आपने आदरणीय। मजा आ गया पढ़कर। वाह!"
May 26
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
" इस मुरस्सा ग़ज़ल के लिए खासकर मकते के लिए बहुत बधाई आदरणीय  निलेश जी।"
May 26
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"अच्छी ग़ज़ल के साथ आयोजन में सहभागिता के लिए बहुत बधाई आदरणीय नादिर खान साहब।"
May 26
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय जयनित जी। बहुत बधाई।"
May 26

Profile Information

Gender
Male
City State
kota Rajsthan
Native Place
rajsthan
Profession
Teacher at state govt. Rajasthan

Gajendra shrotriya's Blog

इक ही दिन काफ़ी नही है - ग़ज़ल

मातृ-दिवस विशेष

-----------------------------

2122/ 2122/2122/212

इक ही दिन काफ़ी नही है ममता के सम्मान को

कम पड़ेंगे सौ जनम भी, माँ तेरे गुणगान को

जो बना देती है क़ाबिल एक नन्हीं जान को

है ज़रूरत माँ कि ममता की बहुत इंसान को

लाख लानत भेजिए उस सरफिरे नादान को

माँ को खुद से दूर करके ढूँढे जो भगवान को

माँ का दिल इससे बड़ा है जिसमें तुम रहते मियाँ

नाज़ से देखो न अपने बंग्ले आलीशान…

Continue

Posted on May 12, 2019 at 12:30pm — 3 Comments

मेरी दस्तार ख़ानदानी है- ग़ज़ल

2122/1212/22

------------------------------

हार तूफ़ान से न मानी है

कश्ती ने तैरने कि ठानी है



मेरी पलकों पे ये जो पानी है

ऐ मुहब्बत तेरी निशानी है



हमने माना बहुत पुरानी है

पर बहुत ख़ूब ये कहानी है



दिल पे चस्पां है जो नही मिटती

यूूँ तेरी हर शबीह फानी है



राख मैं कर चुका तेरे ख़त को

याद लेकिन मुझे ज़बानी है



हर किसी दर पे ये नही झुकती

मेरी दस्तार ख़ानदानी है



पहली बारिश है तिफ़्ल बन…

Continue

Posted on January 9, 2019 at 11:59am — 16 Comments

चेह्रा फ़क़त हसीं न हो दिल भी हसीं रहे - तरही ग़ज़ल

221  2121 1221 212



राह- ए- बदी से हम कभी वाक़िफ़ नहीं रहे 

फिर भी तेरे निशाने पे वाइज़ हमीं रहे     

कर ग़ौर अपने तौर-तरीकों पे एक बार

चहरा फ़क़त हसीं न हो दिल भी हसीं रहे 



दिल के दियार की ज़रा रौनक बहाल हो

गर इस मकाँ में आप सा कोई मकीं रहे

कर इश्क या जगा दे तसव्वुफ़ तेरी रज़ा

ऐ दिल तेरे खिलाफ़ कभी हम नहीं रहे 



अब भी यहीं हैं फूल कली चाँद सब मगर

दिलकश तुम्हारे बाद ये उतने नहीं रहे



दिल के…

Continue

Posted on December 6, 2017 at 8:30pm — 12 Comments

दिल बड़ा अपना बनाने की ज़रूरत आज है-ग़ज़ल

2122 /2122/ 2122 /212



दिल बड़ा अपना बनाने की ज़रूरत आज है

टूटते रिश्ते बचाने की ज़रुरत आज है



प्यार जितना है जताने की ज़रूरत आज है

अपनापन खुलकर दिखाने की ज़रूरत आज है



हँसते आँगन में पसर जाए न सन्नाटा कहीं

सब गिले शिकवे भुलाने की ज़रूरत आज है



दिल के रिश्तों को ज़ुबाँ से तोड़ना मुमकिन कहाँ

अपनों को अपना बनाने की ज़रूरत आज है



घर बनाना है अगर मज़बूत फिर खुद को हमे

नींव का पत्थर बनाने की ज़रूरत आज है



अपने हक़ की बात करना… Continue

Posted on November 5, 2017 at 7:00pm — 20 Comments

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At 7:22pm on April 6, 2014,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय गजेन्द्र श्रोतिया जी,
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी प्रस्तुति  ग़ज़ल ("ओबीओ लाइव तरही मुशायरा" अंक 45 में प्रस्तुत) को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" सम्मान के रूप मे सम्मानित किया गया है, तथा आप की छाया चित्र को ओ बी ओ मुख्य पृष्ठ पर स्थान दिया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |

आपको प्रसस्ति पत्र शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस निमित कृपया आप अपना पत्राचार का पता व फ़ोन नंबर admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराना चाहेंगे | मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई हो |


शुभकामनाओं सहित
आपका
गणेश जी "बागी

संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक 

ओपन बुक्स ऑनलाइन

 
 
 

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Dr. Vijai Shanker commented on Dr. Vijai Shanker's blog post क्षणिकायें 01/23 - डॉ० विजय शंकर
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KALPANA BHATT ('रौनक़') commented on Dr. Vijai Shanker's blog post क्षणिकायें 01/23 - डॉ० विजय शंकर
"सुंदर अभिव्यक्ति हुई है डॉ विजय शंकर जी। बधाई स्वीकारें"
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