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मुक्तक

मुक्तक



तुम देखो हृदय की पीड़ा प्रिये, इस तरह मुझे तडपाती हो

छुप छुप के निहारो एकटक मुझे, दिन रात जिया तरसाती हो

मैं जानूं तुम्हारे मन की व्यथा, दिखलावे को इतराती हो

कह डालो ह्रदय को खोलो…

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Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 23, 2012 at 12:30pm — 4 Comments

रच ऐसे छंद कवि, हिंद की तू आन है

लिखना हो कविता तो, भाव को टटोल ले तू |

भाव लिए लय ही तो, कविता में प्राण हैं ||

 

छंद में जो हो प्रवाह, लोग करें वाह वाह |

ह्रदय को भेदता जो, शब्द रुपी बाण हैं…

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Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 22, 2012 at 10:00pm — 6 Comments

कटाक्ष... क्रिकेट बनाम थप्पड़-मुक्केबाजी........!

कटाक्ष... क्रिकेट बनाम थप्पड़-मुक्केबाजी........! भाई साहब, क्रिकेट इक दर्शन है.... आय. पी . एल.' उसका विराट प्रदर्शन है.आज देश की पहचान पूरे विश्व में इसी कारण है.वो कितने अफसोसनाक दिन थे जब हमारे देश को घोर गरीबी क़े कारण जाना जाता था.आई पि एल ने हमारे प्रति दुनिया का नजरिया ही बदल दिया. आज क्रिकेट में क्या नही है!! शोहरत है..पैसा है...ऐय्याशी क़े छलकते जाम है ..मरमरी बांहें हैं ..शोख निगाहे है...चमकते सितारे है...संसद में दारू बनाने,पीने-पिलाने वालो का नेतृत्व करने वाले हस्ताक्षर…

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Added by AVINASH S BAGDE on May 22, 2012 at 2:44pm — 10 Comments

|| माँ शारदे स्तुति "घनाक्षरी छंद" ||

|| माँ शारदे स्तुति "घनाक्षरी छंद" ||



नव नव छंद लिखूं, छंद में आनंद लिखूं |

ऐसा वरदान देना, मेरी माता शारदे ||



जब भी श्रृंगार लिखूं , अपने विचार लिखूं |

मान…

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Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 22, 2012 at 10:30am — 8 Comments

मुक्तिका: दिल में दूरी... --संजीव 'सलिल'

मुक्तिका:

दिल में दूरी...

संजीव 'सलिल'

*

दिल में दूरी हो मगर हाथ मिलाये रखना.

भूख सहकर भी 'सलिल' साख बचाये रखना..



जहाँ माटी ही न मजबूत मिले छोड़ उसे.

भूल कर भी न वहाँ नीव के पाये रखना..



गैर के डर से न अपनों को कभी बिसराना.

दर पे अपनों के न कभी मुँह को तू बाये रखना..



ज्योति होती है अमर तम ही मरा करता है.

जब भी अँधियारा घिरे आस बचाये रखना..



कोई प्यासा ले बुझा प्यास, मना मत करना.

जूझ पत्थर से सलिल धार बहाये…

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Added by sanjiv verma 'salil' on May 22, 2012 at 10:00am — 10 Comments

सूरज कभी सोता नही [लघु कथा ]

नन्हे बबलू ने रोहित से पूछा ,''अंकल क्या सूरज थकता नही है ?वह तो कभी सोता ही नहीं ,''उस नन्हे बच्चे के इस सवाल ने रोहित को लाजवाब कर दिया |एक हारे हुए इंसान को उम्मीद की नवकिरण  दिखा रहा था ,उस पांच साल के नन्हे से बच्चे का सवाल |एक हारा हुआ बिल्डर जिसकी बनाई हुई इमारत हाल ही में तांश के पत्तो सी बिखर गई थी और उसके साथ साथ उसकी आर्थिक स्थिति भी डांवाडोल हो  चुकी थी,लेकिन बबलू  का वह वाक्य उसे एक नई राह दिखा रहा था | रोहित ने अपनी कम्पनी के पूरे स्टाफ को फिर से बुलाया ,नयी रूपरेखा तैयार…

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Added by Rekha Joshi on May 21, 2012 at 11:31pm — 25 Comments

घनाक्षरी

एक घनाक्षरी लिखने का प्रयास है दोस्तों



फूल है तू, शूल है तू, हॉट है तू. कूल है तू

कहा नहीं जा रहा है, गोरी तेरा रूप ये |



विरह की आग तू है मिलन की प्यास तू है

दिल की तड़प मेरी, कितनी अनूप ये |



बाल काले बादलों से. फिरें हम पागलों से

कभी ठंडी छाँव और, कभी तेज धूप ये |



तेरी ये मुस्कान प्यारी, नैन जैसे है कटारी…
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Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 21, 2012 at 8:00pm — No Comments

"|| शुद्धगा छंद ||"

"|| "शुद्धगा छंद" ||" 

(२८ मात्रा "१ २ २ २   १ २ २ २   १ २ २ २   १ २ २ २ ")

------------------------------------------------------------------------

यहाँ पर प्रेम पूजा प्रेमियों की जानता हूँ मैं

जहाँ पर है सखी भगवान जैसी मानता हूँ मैं

मिले जब…

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Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 21, 2012 at 2:00pm — 14 Comments


सदस्य कार्यकारिणी
हाइकु (सिर मुंडाते ही,हास्य )

हाइकु (सिर मुंडाते ही,हास्य  )

(1) 
सिर मुंडाया 
दुकान से निकले 
ओले बरसे 
(२)…
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Added by rajesh kumari on May 21, 2012 at 1:00pm — 27 Comments

''दिन गर्मी के रंगीन''

मिल्कशेक और आम का पन्ना

नाच-नाच कर पीता मुन्ना 

दिन आये गर्मी के रंगीन 

पर हम शरबत के शौकीन l

एक दो तीन

हुई परीक्षा खतम कभी की

घर में छाई रहती मस्ती

उछल कूद कर मुन्नी हँसती

मम्मी सब पर रहे बरसती 

हर दिन होता दंगे का सीन l

पर हम शरबत के शौकीन l

तीन चार पाँच 

कुल्फी, शरबत और ठंडाई  

ठंडी रबड़ी और मलाई

सबने घर में डट कर खाई

भूल-भाल गये सभी पढ़ाई 

ना लगता कोई…

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Added by Shanno Aggarwal on May 20, 2012 at 6:30pm — 17 Comments

दर्द-ए- तिहाड़ जेल!!!!...कटाक्ष.

दर्द-ए- तिहाड़ जेल!!!!

"वो भी क्या दिन थे! करुणा की कनीमोजी...बड़े खिलाडी या खिलाडियों के खिलाडी कलमाड़ी.....और टेलीकाम के एक-छत्र राजा -धिराज  यानी ए.राजा और ...'करलो दुनिया मुट्ठी में' के दो-चार बड़े बाबू... जैसे सारे लोग अपनी मुट्ठी में थे...!!!!"सर पे हाथ रख कर  आज तिहाड़ जेल की आत्मा विलाप कर रही है.उसका विलाप करना भी लाजिमी ही है.साल भर से देश की मिडिया की सुर्खियाँ बटोरने का चस्का जो लग गया था तिहाड़ को.. राजाज का छींकना...कनीमोजी के मेकअप में उंच-नीच...कलमाड़ी…
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Added by AVINASH S BAGDE on May 20, 2012 at 3:30pm — 14 Comments

सौन्दर्य और स्वास्थ्य एक दूसरे के पूरक



        सौन्दर्य और स्वस्थ्य दोनो एक ही सिक्के के दो पहलू हैं लेकिन इसके बावजूद भी हम में से ज़्यादातर महिलाऐं सिक्के के एक ही पहलू यानि सिर्फ खूबसूरती पर ही ध्यान देती हैं । और स्वस्थ्य को जाने - अनजाने दरकिनार करती चली जाती हैं । बहुत सी महिलाओं की नज़र में खूबसूरती के मायने हैं आकर्षक मेकअप, खूबसूरत कपड़े, और मैचिंग जूलरी । लेकिन क्या सचमुच खूबसूरती के यही मायने हैं ? हम ये तो नहीं कहते कि आकर्षक कपड़े, ज़ेवर, और मेकअप खूबसूरती का हिस्सा नहीं हैं लेकिन यह…

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Added by Monika Jain on May 19, 2012 at 11:30pm — 8 Comments

नेता की शादी में

नेता की शादी में

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नेता की शादी में

गरीब भी आये

पानी भरे -अंखियों से

लड्डू- मन में खाए !

-----------------------

डांट खाए दुत्कार

कुत्ते के पीछे वे

गालियों का प्रसाद

झोली भर लाये !

----------------------

चकाचौंध फुलझड़ी

नींद में सताए

बिटिया जवान हुयी

कब तक छिपाए !

---------------------

बेटे ने देख लिया

नेता का डेरा

मोह हम से कम हुआ

छोरा-छिछोरा !…

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Added by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 19, 2012 at 10:00pm — 19 Comments

"माँ"

"माँ" को शब्दों मे बयां करना नामुमकिन है,

पर कुछ एहसासों को अल्फ़ाज़ मे पिरोने की कोशिश की है,

**************************************

 

जब कभी मुझ पे मुसीबत ये हवा लाती हैं,

तब बचा के मुझे बस माँ की दुआ लाती हैं ।

 

देख लेती है अगर धूप मे चलता मुझको, 

दौड़ कर साये मे वो मुझको बुला लाती है । 

 

माँ की लोरी के वो अल्फ़ाज़ मुझे याद हैं…

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Added by D.K.Nagaich 'Roshan' on May 19, 2012 at 8:00pm — 27 Comments


सदस्य कार्यकारिणी
जिंदगी रूठ के मुझसे कहीं खोई होगी

जिंदगी रूठ के मुझसे कहीं खोई होगी 

तकिये में मुंह छिपाकर रोई होगी 

जल गई थी जो अरमानों की फसल 

यंकी नहीं कि फिर से बोई होगी 

बढ़ गई होंगी जब दिल की बेताबियाँ 

टूटी मेरी तस्वीर फिर संजोई होगी

मैं जानता हूँ हाल इस वक़्त भी उसका  

शबनम ओढ़ के पलकों पे सोई होगी  

                 ***** 

Added by rajesh kumari on May 19, 2012 at 6:21pm — 25 Comments


मुख्य प्रबंधक
लघुकथा :- चिंगारी

लघुकथा :- चिंगारी …

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Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 19, 2012 at 1:00pm — 53 Comments

क्यूँ तेरा अब ,तुझी पे इख्तियार नहीं

क्यूँ तेरा अब, तुझी पे इख्तियार नहीं?
कठपुतली बना, पर सोगवार नहीं ?

मेहनत पसीने की रोटियाँ तो तोड़
कि साथ देता ज़माना, हर बार नहीं

ज़मीर तो होगा ही दामन में तेरे
शोहरत न रहे, तू खतावार नही

वो छीन लेंगे तेरी आँखों का पानी
टिकती है खुदाई, कोई किरदार नहीं

खबरों में है पर दिलों में कहाँ
तू अपने ही खातिर, वफादार नहीं

Added by Nilansh on May 19, 2012 at 11:00am — 13 Comments

मै वृक्ष हो गया.

पौधा था छोटा था

लगता था अब गया तब गया

कभी बारिश की बुँदे

सुहानी लगती थी

कभी लगता डूब गया डूब गया,

हिम्मत करके टहनियां बढ़ाई,

नयी कोपलें बिखराई,

अब गगनचुम्बी वृक्षों को

छूने लगी टहनियां,

लगा मै भी खडा हो गया खडा हो गया,

मगर पुष्पों के खिलने तक

अहसास नहीं हो पाया बड़ा होने का,

फलों से लदते ही लगा

मै बड़ा हो गया बड़ा हो गया,

मै भूल गया

वो छुटपन का अहसास

ना डर रहा कुछ खोने का

ना उत्साह और कुछ पाने का,

दे रहा हूँ आश्रय आने जाने…

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Added by Ashok Kumar Raktale on May 19, 2012 at 9:00am — 20 Comments

रात आती है तेरी यादें सुहानी लेकर

रात आती है तेरी यादें सुहानी लेकर।

फिर मोहब्बत की वही बातें पुरानी लेकर॥

 

ख़्याल जब तेरा सताता है मुझे रातों को,

सिसकियाँ लेता हूँ मैं आँखों में पानी लेकर॥…

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Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 19, 2012 at 12:30am — 14 Comments

मोती..

आत्मावलोकन के क्षणों में

मन मेरे

जब तू जूझता

डूबता , उतराता

फिर थक के बैठ 

किनारे सुस्ताता है

औ तब ये सब 

देख रही होती हैं 

मेरी आँखे 

सबसे परे

उन सारे पलों को

तुझे जीते हुए

औ तभी

विहँस पड़ती हैं

उसी क्षण 

जब उनमें से 

चुन लेता है तू

एक मोती    

18th May2012

Added by MAHIMA SHREE on May 18, 2012 at 10:10pm — 22 Comments

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