For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कटाक्ष... क्रिकेट बनाम थप्पड़-मुक्केबाजी........!

कटाक्ष... क्रिकेट बनाम थप्पड़-मुक्केबाजी........! भाई साहब, क्रिकेट इक दर्शन है.... आय. पी . एल.' उसका विराट प्रदर्शन है.आज देश की पहचान पूरे विश्व में इसी कारण है.वो कितने अफसोसनाक दिन थे जब हमारे देश को घोर गरीबी क़े कारण जाना जाता था.आई पि एल ने हमारे प्रति दुनिया का नजरिया ही बदल दिया. आज क्रिकेट में क्या नही है!! शोहरत है..पैसा है...ऐय्याशी क़े छलकते जाम है ..मरमरी बांहें हैं ..शोख निगाहे है...चमकते सितारे है...संसद में दारू बनाने,पीने-पिलाने वालो का नेतृत्व करने वाले हस्ताक्षर है.बोलियों पे बिकाऊ क्रिकेटर है....रंगीन रातें हैं.....जाने क्या नही है....सिवा गंभीर क्रिकेट के. अब इतना सब हो तो उस विधा को दर्शन कहना कोई अतिश्योक्ति है क्या? इसमे मैदान पर फ्री स्टाइल तमाचे है..जिसके कारण भज्जी-श्रीसंत आज तक पहचाने जाते हैं(क्रिकेट में भले उतनी पहचान न बने) अब भला बड़े परदे क़े हकले-हीरो को ये सब कैसे बर्दाश्त हो कि नौसिखिये तमाचे चला कर या टीम-ओनर की बीबी को लिफ्ट कर रातो-रात स्टार बन जाये...सो इस बार बादशाह कमर कस क़े मैदान पर उतरे...कंट्रोवर्सी करना तो जैसे उनके रगों में कुलांचे भरता है.सो निकला जेब से इक मुक्का निकाला और दिखा दिया उस गरीब द्वारपाल को...बस फिर क्या था सारे चैनल-वीर तो जैसे ऐसे ही मसालों क़े लिए रात-दिन इधर-उधर सूंघते फिरते हैं.दिखा दी स्टार ने अपनी चमक.विदेशो में हो तो बिना मुक्के ही काम चल जाता है,सुरक्षा के नाम पर पूरे कपड़े उतारकर सारी बोले तो भी चालता है मगर ...देश हो तो मुक्का या झापड़ या चप्पल निकालनी पड़ती है. आजकल आय. पी . एल.' और रुपैय्ये का चरित्र लगातार नीचे गिर रहा है.रूपया गिरे भी क्यों न! मारे शर्म क़े वो गिर रहा है.नाम क्रिकेट का दांव पैसे का.तमाम चरित्रवान लोग विजय भाऊ,शरद भाऊ,मुकेश भाई,शाहरुख़ भाईजान,प्रीटी दीदी,सब क़े सम्मिलित प्रयास क़े बावजूद आय. पी . एल.' क़े चरित्र का पारा है कि कश्मीर की घाटी की तरह नीचे ही लुढ़क रहा है. इस २०-२० क़े कारण क्रिकेटरों को काम करने क़े अतिरिक्त अवसर और समय दे दिया है.(ये बात अलग है कि देश कि सर्वोच्च संस्था यानी संसद में शपथ लेने का समय तथाकथित क्रिकेट क़े भगवान क़े पास नही है.) २०-२० क़े क्रिकेटर खाली समय में अपने आस-पास मंडराती बालाओं का विनय-भंग करने जैसे महान कार्यों में खुद को बीजी रखते है,रेव-पार्टी में अपनी उर्जा का सदुपयोग करते हैं.बास! बोलियों में बीके इन खिलाडियों को क्या इतना भी अधिकार नही कि वे अपनी मर्जी से कोई भी काम कर सके.!!! आखिर इस आय. पी . एल.' का जन्म ही तो एन्टरटेनमेंट ...एन्टरटेनमेंट ...एन्टरटेनमेंट क़े लिए ही हुआ है तो फिर भज्जी क़े थप्पड़...बादशाह क़े मुक्के...चीयर-बालाओं क़े ठुमको पे इतना ज्यादा बवाल क्यूँ? वस्तुत: आय. पी . एल.' को अलग अलग पढ़े तो पहला अक्षर है "आय" यानी कमाई...रोकडा...धन-दौलत. दूसरा है" पी "मतलब २०-२० में थक-थका कर जम के दारू पी और "एल "यानी लड़कियों से नैन -मटक्का कर...फ्लर्ट कर...अंततोगत्वा ...मै क्या कहू 'आय. पी . एल.' के इतने सीज़न देख कर आप सभी समझदार हो गए है... भाई! मिडिया वालों जरा सोचो अगर ये सारी घटनाये न हो तो आप अपना इडियट बाक्स का पर्दा औरअखबारों क़े पन्ने कैसे रंगीन करोगे. "कन्ट्रोवर्सी के लिये लगते सदा कयास. थप्पड़-मुक्केने रचा,सदा यहाँ इतिहास." --अविनाश बागडे.

Views: 865

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 24, 2012 at 8:08pm

आय पी एल ....भाई साहब ये तो प्योर भोजपुरी शब्द है , आव पी ले यानी आइये पी लीजिये हा हा हा हा बहुत ही तगड़ा और घुमा कर दिया है आपने, बधाई इस पोस्ट पर |

Comment by Rekha Joshi on May 23, 2012 at 10:06pm

अविनाश जी ,बहुत बढ़िया व्यंग आई पी एल पर ,बधाई |

Comment by MAHIMA SHREE on May 23, 2012 at 9:50pm

क्या बात सर ..क्या खूब कही :) कही तो कही हिंगलिश में आई पी यल का मतलब भी समझाया ... अब टीम भी तो हिंगलिश ही है ना ... :) बधाई आपको

Comment by AVINASH S BAGDE on May 23, 2012 at 3:37pm

आदरणीय  डॉ. बाली जी और सुरेन्द्र ' भ्रमर ' जी 

आपको मेरा ये कटाक्ष पसंद आया
बहुत-बहुत आभार.
Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 23, 2012 at 11:13am

अविनाश भाई बढ़िया  व्यंग्य ...मज़ा आ गया। विशेषकर आय पी एल का फुल फॉर्म जानकार.........बधाइयाँ !

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 22, 2012 at 11:07pm

आदरणीय  अविनाश भाई  करार व्यंग्य ..अच्छी व्याख्या  और आई पी यल के मायने ...आनंद आ गया ..काश ये भी पढ़ें होश में आयें एक के बाद एक शर्म लिहाज ये पी गए हैं ....भ्रमर ५ 

Comment by AVINASH S BAGDE on May 22, 2012 at 8:25pm

आदरणीय प्रदीप जी क्या बात है

आपकी टिप्पणी पढ़कर  नि:शब्द हूँ.
Comment by AVINASH S BAGDE on May 22, 2012 at 8:24pm

राजेश कुमारी मैम ...बहुत-बहुत आभार.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 22, 2012 at 5:08pm

बागडे जी बहुत सार्थक ,सटीक कटाक्ष है यही तो हो रहा है आजकल ...बधाई 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 22, 2012 at 5:05pm

आदरणीय अविनाश जी, सादर 

अपने इतनी सुन्दर व्याख्या दी है बीच में घुसने लिखने की जगह नहीं बची. बधाई 
ये अच्छी बात नहीं.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service