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लघुकथा: काफिला -- संजीव वर्मा 'सलिल'

लघुकथा:



काफिला



संजीव वर्मा 'सलिल'

*

कें... कें... कें...



मर्मभेदी कटर ध्वनि कणों को छेड़ते एही दिल तक पहुँच गयी तो रहा न गया.बाहर निकलकर देखा कि एक कुत्ता लंगड़ाता-घिसटता-किकयाता हुआ सड़क के किनारे पर गर्द के बादल में अपनी पीड़ा को सहने की कोशिश कर रहा था.



हा...हा...हा...



अट्टहास करता हुआ एक सिरफिरा भिखारी उस कुत्ते के समीप आया ... अपने हाथ की अधखाई रोटी कुत्ते की ओर बढ़ाकर उसे खिलाने और सांत्वना देने की कोशिश करने लगा. तभी खाकी…

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Added by sanjiv verma 'salil' on December 19, 2010 at 12:00am — 5 Comments

नवगीत: मुहब्बत - संजीव 'सलिल'

नवगीत:                                                                    

मुहब्बत



संजीव 'सलिल'

*

दिखाती जमीं पे

है जीते जी

खुदा की है ये

दस्तकारी मुहब्बत...

*

मुहब्बत जो करते,

किसी से न डरते.

भुला सारी दुनिया

दिलवर पे मरते..



न तजते हैं सपने,

बदलते न नपने.

आहें भरें गर-

लगे दिल भी कंपने.

जमाना को दी है

खुदा ने ये नेमत...

*

दिलों को मिलाओ,

गुलों को खिलाओ.

सपने न…

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Added by sanjiv verma 'salil' on December 18, 2010 at 11:21pm — 1 Comment

कहानी : -ये कहानी नहीं

..एक व्यथा ...कथा नहीं यह

नीलेश और रोमा आज कुछ जल्दबाजी में थे |कल रात को भी नीलेश अपनी ड्यूटी कुछ जल्दी छोड़कर घर आ गया था |और भोर से ही रोमा…

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Added by Abhinav Arun on December 18, 2010 at 10:00pm — 5 Comments

GHAZAL - 15

                   ग़ज़ल



मैं   दर्दों   का   समंदर   हूँ,  ग़मों  का  आशियाना   हूँ |

मैं  जिंदा  लाश  हूँ , बीमार  दिल , घायल  फसाना हूँ ||



बदन  पर  ये  हजारों  ज़ख्म, तोहफे  हैं  ये  अपनों के,

मैं  जिनके  प्यार  का  बीमार, आशिक हूँ , दिवाना हूँ ||…



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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 18, 2010 at 9:30pm — 1 Comment

ग़ज़ल :- आदमी हो कि आदमी भी नहीं

ग़ज़ल :- आदमी हो कि आदमी भी नहीं

 

तुझसे बर्दाश्त ये खुशी भी नहीं

घाट पर पूजा बंदगी भी नहीं |

 

जिसने बम फोड़ा उसका मकसद क्या

हम करें माँ की आरती भी नहीं |

 

स्वस्तिका पूछ रही है मरकर

आदमी हो की आदमी भी नहीं |

 

फाइलों की…

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Added by Abhinav Arun on December 18, 2010 at 8:30pm — 2 Comments

ग़ज़ल : - याद तेरी में

ग़ज़ल : - याद तेरी में

याद तेरी में गुनगुनाता हूँ

ज़िंदगी को करीब पाता हूँ |

 

शीत कहती मुझे तू छू कर देख

और मैं…

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Added by Abhinav Arun on December 18, 2010 at 8:00pm — 2 Comments

आखरी पन्ने -8



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Added by Deepak Sharma Kuluvi on December 18, 2010 at 4:00pm — 1 Comment

कन्या सिर्फ रत्न नहीं

कन्या सिर्फ रत्न नहीं,

सराहे और पूजे जाने के लिए एक सोच है ,

दर्शन है एक ह्रदय है ,

समर्पण है ऐसी कोरी किताब नहीं,

कि गाहे -बगाहे. लिख दे कहानी कोई,

एक अंतर्मन है.जिसमे करते स्वयं प्रभु रमण हैं

उसके सीने में भी ,

दिल है धड़कता उसके जज्बातों में भी है कोई बसता,

एक मुकम्मल सा फ़रिश्ता,

जुड़ा-जुड़ा सा हो जिससे कोई…

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Added by anupama shrivastava[anu shri] on December 18, 2010 at 2:00pm — 5 Comments

GHAZAL - 14

                               ग़ज़ल



बहुत  विषैला  है  विष  यारो,  दुनिया   की  सच्चाई  का |

आखिर,   कैसे  दर्द  सहें  हम,  दिल  में  फटी बिवाई का ||



बनकर  इन्सां  जीते - जीते  खुद  को  हमने  लुटा  दिया,

फिर  भी  तमगा मिला न हमको एक अदद अच्छाई का ||…



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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 18, 2010 at 2:00am — 2 Comments

!! वायु प्रवाह !! ©

 

!! वायु प्रवाह !! ©

(१)

वायु प्रवाह पर विचार !

अचानक उठा खयाल !

कितने होते हैं प्रकार ?

(२)

नाना हैं वायु प्रवाह !

कह चुकी संस्कृत भी !

वायु प्रकार के भेद भी !

मुख्य हैं तीन प्रकार !

उच्च निम्न मध्यम !

सप्तम सुप्त औसत स्वर !

(३)

भीषण मार सप्तम सुर…

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Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on December 17, 2010 at 5:30pm — 3 Comments

चोर चुरावें मेरी निंदिया

पायल कंगन झुमके बिंदिया

चोर चुरावें मेरी निंदिया ||1

दधक दधक जियरा दधकै

बरसे छम छम बारिश बुंदिया ||2

धडक धडक धड्कावे दिल को

चकवा चितवे है चंदिया  .3

डग मग डग मग डोल रही है ;

नय्या के अंग संग ही नदिया…

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Added by DEEP ZIRVI on December 16, 2010 at 10:30pm — 2 Comments

"मैं"

"मैं"

इक भावुक, बहुत ही भावुक लड़की

किसी ने कहा

भावुकता निश्छलता का प्रतीक है

तो किसी ने कहा पवित्रता का ..

 

'ना' भावुकता न तो निश्छलता का प्रतीक है

और न ही पवित्रता का ..

ये तो प्रतीक है

हर पल छले जाने की तत्परता का ..

 

'हाँ'

छली जाती हूँ मैं , हर दम, हर कदम

कभी अपनों के हाथों, तो कभी गैरों के

कभी साहिलों से, तो कभी लहरों से,

 

कई बार…

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Added by Anita Maurya on December 16, 2010 at 7:30pm — 5 Comments

दमदार निर्णय और सशक्त भारत

भारत ने दुनिया में एक विकासशील तथा लोकतांत्रिक देश के रूप में पहचान बनाई है और विकसित देशों के बीच भारत की सशक्त छवि भी कई अवसरों पर सामने आई है। पिछले दिनों अमेरिका के राष्टपति बराक हुसैन ओबामा ने भी अपनी यात्रा के दौरान दुनिया के शक्तिशाली देशों में शामिल करते हुए भारत की कई उपलब्धियों को लेकर प्रशंसा के कसीदे गढ़े। यह बात  भी सही है कि भारत को सशक्त देश के तौर पर दुनिया में एक अरसे पहले बेहतर मुकाम नहीं मिल पाया था और भारतीय विदेश नीति पर आए दिन कई तरह के सवाल खड़े किए जाते रहे हैं, लेकिन…

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Added by rajkumar sahu on December 16, 2010 at 6:37pm — No Comments

क्यों नहीं जनता की चिंता ?

भारत में लगातार घोटाले के मामले सामने आते जा रहे हैं और हालात यहां तक बन गए हैं कि दुनिया में भ्रष्ट देशों की सूची में भारत चौथे पायदान पर है। ऐसे में समझा जा सकता है कि सफेदपोश चेहरे किस तरह देश को लूटने का कीर्तिमान स्थापित करते जा रहे हैं, लेकिन सरकार है कि ऐसे कृत्यों पर लगाम नहीं लगा पा रही है। इस साल प्रमुख रूप से कामनवेल्थ गेम्स में सुरेश कलमाड़ी की अफरा-तफरी का कमाल, आदर्श सोसायटी के फ्लैट रिश्तेदारों को बांटने के मामले में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे अशोक चव्हाण का धमाल। 2 जी… Continue

Added by rajkumar sahu on December 16, 2010 at 6:28pm — No Comments

गतांक - 6 से आगे आखरी पन्ने -7

 



गतांक - 6 से आगे…
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Added by Deepak Sharma Kuluvi on December 16, 2010 at 12:30pm — 2 Comments

!! स्वर्ग !!

- देख तेरे लिए तेरी पसंद की कचौड़ी जलेबी लाया हूँ ,एकदम गरमा गरम......चल फटा फट खा ले.......दो दिन से तूने कुछ नही खाया........देख तो कैसे मुंह सूख गया है........चल गुस्सा छोड़...खा ले जल्दी से.......फ़िर हम तुम मजे करेंगे............देख तो कितनी मस्त हवा चल रही है,कितना मस्त मौसम है........अच्छा चल ले, कान पकड़ता हूँ......अपनी कसम......माँ की कसम .......तेरे सर की कसम,अब कभी तेरे पर हाथ न उठाऊंगा.





-चलो हटो,कह दिया न भूल से भी छूना मत मुझे,नही चाहिए...जलेबी कचौडी.......भूखी मर… Continue

Added by रंजना सिंह on December 16, 2010 at 11:31am — 6 Comments

पत्र: माँ के नाम...!!

माँ... ... ...

आज खुश हूँ बहुत...

शायद इसलिए... कुछ सूझ नहीं रहा...

लिखनें को... सिर्फ इस शब्द 'माँ' के…

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Added by Julie on December 15, 2010 at 9:00pm — 2 Comments

GHAZAL - 11

                       ग़ज़ल





दिलनशीं, सुन ले कि- मुझको, तुझ से कितना प्यार है |

तुझमें    ही    सारी   दुनिया,   और    मेरा    संसार    है ||



प्यार है इतना नज़र से ,   दिल   तलक   तेरे   वास्ते ,

ज़र्रे - ज़र्रे    में    तेरा    ही    अक्श    एक    दरकार   है ||…



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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 15, 2010 at 8:00pm — 2 Comments

आखरी पन्ने -6 (दीपक शर्मा कुल्लुवी)

गतांक - 5 से आगे


आखरी पन्ने -6
(दीपक शर्मा 'कुल्लुवी')


भुलाया न गया
लाख चाहा तेरी यादों को भुलाया न गया
आप भी लौट के आये न हमसे जाया गया
दूरियां दिल की नहीं तेरी मेरी जिद्द की थी
फासला…
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Added by Deepak Sharma Kuluvi on December 15, 2010 at 5:00pm — 2 Comments

एक गीत होता है... --संजीव 'सलिल'

एक गीत

होता है...

संजीव 'सलिल'

*

जाने ऐसा क्यों होता है?

जानें ऐसा यों होता है...

*

गत है नीव, इमारत है अब,

आसमान आगत की छाया.

कोई इसको सत्य बताता,

कोई कहता है यह माया.



कौन कहाँ कब मिला-बिछुड़कर?

कौन बिछुड़कर फिर मिल पाया?

भेस किसी ने बदल लिया है,

कोई न दोबारा मिल पाया.



कहाँ परायापन खोता है?

कहाँ निजत्व कौन बोता है?...

*

रचनाकार छिपा रचना में

ज्यों सजनी छिपती सजना में.

फिर…

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Added by sanjiv verma 'salil' on December 15, 2010 at 12:27am — 1 Comment

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