तन -मन मैं बिखेर देती है अनगिनित उजाले'
कहीं खो जाते है इस स्वर्णिम चमक में,
मन में छुपे कुछ बादल काले
खिल जाती हैं, नयी उमीदों की नयी कोपलें
नई धुन पर तैयार ,नई गुनगुनाहटे,
पहले से जवान, पहले से हसीन,
मन के कोने से निकलकर कहीं,
कोरे कैनवास…
ContinuePosted on January 14, 2011 at 1:00pm — 6 Comments
Posted on December 26, 2010 at 7:00pm — 7 Comments
सराहे और पूजे जाने के लिए एक सोच है ,
दर्शन है एक ह्रदय है ,
समर्पण है ऐसी कोरी किताब नहीं,
कि गाहे -बगाहे. लिख दे कहानी कोई,
एक अंतर्मन है.जिसमे करते स्वयं प्रभु रमण हैं
उसके सीने में भी ,
दिल है धड़कता उसके जज्बातों में भी है कोई बसता,
एक मुकम्मल सा फ़रिश्ता,
जुड़ा-जुड़ा सा हो जिससे कोई…
ContinuePosted on December 18, 2010 at 2:00pm — 5 Comments
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मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
thax