****************************************
दवा ही बन गई है मर्ज़ इलाज क्या होगा;
उसे सुकून यक़ीनन बहुत मिला होगा; (१)
मैं नूरे-चश्म था जिसका कभी वो कहता है,
नज़र भी आये अगर तो बहुत बुरा होगा; (२)
हमारे बीच मसाइल हैं कुछ अभी बाक़ी,
ठनी है जी में यही, आज फ़ैसला होगा; (३)
जहाँ ख़ुलूस दिलों में है धड़कनों की तरह,
वहीं पे मंदिरों में जल रहा दिया होगा; (४)
तेरे गुनाह की पोशीदगी है दुनिया से,
मगर ख़ुदा की निगाहों से क्या छुपा होगा;…
ContinueAdded by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on November 14, 2012 at 2:30pm — 23 Comments
कोई दिल को जलाता है कोई दिल को लुभाता है
कोई मासूम बनकर तो यूँ ही दिल में समाता है
ये दुनिया है यहाँ सब लोग चलते दिख ही जाते हैं
कोई दिल को लगाकर ठेस मन में मुस्कुराता है…
ContinueAdded by Atendra Kumar Singh "Ravi" on November 14, 2012 at 1:30pm — 4 Comments
मुक्तिका:
तनहा-तनहा
संजीव 'सलिल'
*
हम अभिमानी तनहा-तनहा।
वे बेमानी तनहा-तनहा।।
कम शिक्षित पर समझदार है
अकल सयानी तनहा-तनहा।।
दाना होकर भी करती मति
नित नादानी तनहा-तनहा।।
जीते जी ही करी मौत की
हँस अगवानी तनहा-तनहा।।
ईमां पर बेईमानी की-
नव निगरानी तनहा-तनहा।।
खीर-प्रथा बघराकर नववधु
चुप मुस्कानी तनहा-तनहा।।
उषा लुभानी सांझ सुहानी,
निशा न भानी तनहा-तनहा।।
सुरा-सुन्दरी का याचक…
Added by sanjiv verma 'salil' on November 14, 2012 at 11:51am — 9 Comments
आई है दीपावली, वंदित प्रथम गणेश,
महालक्ष्मी पूजिये, सुखमय भारत देश.
सुखमय भारत देश, दीप हर घर में चमकें,
अँधियारा हो दूर, सभी के तन-मन महकें,
'अम्बरीष' दें आज, सभी को बहुत बधाई,
विष्णुप्रिया हरि संग, गरुण वाहन पर आई..
सादर
Added by Er. Ambarish Srivastava on November 13, 2012 at 11:59pm — 15 Comments
बौने अब आसमान हो गए ,
कौए हंस सामान हो गए
जिसको देख आइना डरता था पहले
अब वे देखो दर्पण के अरमान हो गए
--------------------
जिन्हें तनिक से हवा लगे तो ,…
Added by ajay sharma on November 13, 2012 at 11:00pm — No Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 13, 2012 at 7:18pm — 6 Comments
Added by Veena Sethi on November 13, 2012 at 7:08pm — 1 Comment
पावापुरी में राजा हस्तिपाल की रज्जुक सभा में प्रभु महावीर की अन्तिम अनुत्तर पावन दिव्य देशना - सम्पूर्ण जीव जगत को अभय प्रदान करती विश्व कल्याणकारी, अमृत प्रदायिनी वाणी का पान अवश्य करें | दीपावली के ,प्रभु महावीर के निर्वाण कल्याणक की पावन वेला के इस शुभ अवसर पर हम हमारे मन में उजाला भरें | आओ ! प्रकाश की ओर चलें |
Added by mohinichordia on November 13, 2012 at 5:00pm — 4 Comments
अमन के दीप जलाओ बहुत अंधेरा है
चलो दिवाली मनाओ बहुत अंधेरा है।।
समस्त विश्व में घनघोर रात छाई है,
सितारों चाँद बुलाओ बहुत अंधेरा है।।
Added by सूबे सिंह सुजान on November 13, 2012 at 2:38pm — 2 Comments
कुहनी तक देखो कुम्हार के
फिर से हाथ सने
फिर से चढ़ी चाक पर मिट्टी
फिर से दीप बने
बंद हो गई सिसकी जो
आँगन में रहती थी
परती पड़ी जमीन…
ContinueAdded by Rana Pratap Singh on November 13, 2012 at 11:24am — 6 Comments
तेरा था कुछ और न मेरा था
दुनिया का बाज़ार लगा था
मेरे घर में आग लगी जब
तेरा घर भी साथ जला था
अपना हो या हो वो पराया
सबके दिल में चोर छिपा था
तुम भी सोचो मै भी सोचूँ
क्यों अपनों में शोर मचा था
टोपी - पगड़ी बाँट रहे थे
खूँ का सब में दाग लगा था
मै भी तेरे पास नहीं था
तू भी मुझसे दूर खड़ा था
Added by नादिर ख़ान on November 12, 2012 at 11:17pm — 1 Comment
प्रकाश रात खिली है हृदय पटल को खोल
संदेश सबको यही है कि जिंदगी अनमोल।।
Added by सूबे सिंह सुजान on November 12, 2012 at 10:20pm — 1 Comment
बीत गया भीगा चौमासा । उर्वर धरती बढती आशा ।
त्योहारों का मौसम आये। सेठ अशर्फी लाल भुलाए ।|
विघ्नविनाशक गणपति देवा। लडुवन का कर रहे कलेवा
माँ दुर्गे नवरात्रि आये । धूम धाम से देश मनाये ।
विजया बीती करवा आया । पत्नी भूखी गिफ्ट थमाया ।
जमा जुआड़ी चौसर ताशा । फेंके पाशा बदली भाषा ।।
एकादशी रमा की आई । वीणा बाग़-द्वादशी गाई ।
धनतेरस को धातु खरीदें । नई नई जागी उम्मीदें ।
धन्वन्तरि की जय जय बोले । तन मन बुद्धि निरोगी होले ।
काली पूजा बंगाली की ।…
Added by रविकर on November 12, 2012 at 5:17pm — 3 Comments
Added by Shubhranshu Pandey on November 12, 2012 at 4:15pm — 9 Comments
बहर : २१२२ ११२२ ११२२ २२
रह गया ठूँठ, कहाँ अब वो शजर बाकी है
अब तो शोलों को ही होनी ये खबर बाकी है
है चुभन तेज बड़ी, रो नहीं सकता फिर भी
मेरी आँखों में कहीं रेत का घर बाकी है
रात कुछ ओस क्या मरुथल में गिरी, अब दिन भर
आँधियाँ आग की कहती हैं कसर बाकी है
तेरी आँखों के समंदर में ही दम टूट गया
पार करना अभी जुल्फों का भँवर बाकी है
तू कहीं खुद भी न मर जाए सनम चाट इसे
आ मेरे पास तेरे लब पे…
ContinueAdded by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on November 12, 2012 at 2:21pm — 33 Comments
दीपावली लो आ गई है, शोभते सुन्दर दिये।
श्रीराम का जयपर्व ये है, भाग्य पाने के लिये॥
सोहें निलय जगमग बड़े ही, दिव्य सारे चित हुए।
लक्ष्मी-गजानन को सभी ही, पूजके हर्षित हुए॥
Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 12, 2012 at 11:33am — 4 Comments
दीप-ज्यौति के पावन पर्व पर
मुझको, माँ लक्ष्मी ऐसा वर दे |
उज्जवल वस्त्र, सुरभित तन-मन,
सुगन्धित मधुवन सा घर-आँगन दे |
सरस-मलाई मधुमय-व्यंजन दे |
तिमिर छट जाये जीवन में.
जीवन ज्योतिर्मय हो जाये |
आगंतुक का स्वागत करने
पलक पावडे बिछे नयनों में,
दिल में अपनापन हो,
ऐसा मुझको मन-मयूर दे |
सरस्वती के साधक
"लक्ष्मण" पर माँ शारदे,
तेरा वरदहस्त रखदे ।
ध्यान करू मै तेरा और-
आनंदित करू जन-जन को,
कोकिल कंठी स्वर देकर,
मेरे मन गीतों…
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 12, 2012 at 10:00am — 6 Comments
जब-जब धर्म की विजय हो,
शुभ-लाभ से भंडार भर जाये,
सुन्दर-सुन्दर रंगोलियाँ सजी हों,
अमावस की रात उजाला हो,
समझ लेना दीपावली है।
दुकानों में उत्सवी रौनक हो,
सबके यहाँ पकवान बने,
ह्रदय-ह्रदय आलोकित हो जाये,
मन-मस्तिष्क व्यथाओं से मुक्त हो,
समझ लेना दीपावली है।
गगन, हर्षध्वनि से गुंजायमान हो,
रोम-रोम आनंद से पुलकित…
Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 12, 2012 at 9:25am — 4 Comments
जब दीप जल उट्ठे हजारों,सज गयी हर बस्तियाँ/
हर द्वार हर आँगन सजा है,गज गयी हर बस्तियाँ/
उनके महल घर द्वार भी हैं,सम चमकती बिजलियाँ/
घृत दीप जिनके द्वार पर है,सम दमकती बिजलियाँ//१//…
ContinueAdded by Ashok Kumar Raktale on November 12, 2012 at 9:00am — 4 Comments
(७ भगड़ और अंत में दो गुरु)
मानस जो अँधियार हुवा अब नष्ट उसे निज से कर डालें !
ज्ञान कि बाति व सत्य क ईंधन से चहुँ धर्म क दीप जला…
ContinueAdded by पीयूष द्विवेदी भारत on November 12, 2012 at 7:55am — 10 Comments
2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
2012
2011
2010
1999
1970
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |