For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कोई दिल को जलाता है ..............

कोई दिल को जलाता है कोई दिल को लुभाता है

कोई मासूम बनकर तो यूँ ही दिल में समाता है

ये दुनिया है यहाँ सब लोग चलते दिख ही जाते हैं

कोई दिल को लगाकर ठेस मन में मुस्कुराता है ||

कहीं पे प्यार की खुशबू कहीं अपनों की हलचल है

किसी दिल में है ख्वाहिश तो कहीं सपनों की कलकल है

यहाँ बस खोलकर आँखें हैं सपने तो बिखर जाते

फिर टूटीं वहीँ कड़ियाँ कहीं कितनो की हर पल है ||

कहीं पे संगदिल हैं लोग पर कहीं खामोश सा मंजर

बचेगा शेष क्या कर में सदा लगता रहा है डर

वो देता है यहाँ सबको जो दो दिन की इनायत है

कई जीते यहाँ फिर भी यूँ ही अनजान तो रहकर ||

तुम्हे सब याद करते हैं तुम्हे सब प्यार करते हैं 

पैसे की जो ताक़त है तुम्हारी बात करते हैं

मुझे मत कहना कि दौलत है प्यारी लग रही मुझको

पैसा गर नहीं है पास तो मुहब्बत चंद करते हैं ||

नज़ारे पास हैं आते तुम्हारी ये नसीबी है

दगा जो लोग हैं देते तुम्हारे जो करीबी हैं

सभी मुंह खोलते कैसे हैं अपनी बात को लेकर

कहीं मासूम हैं बनते कहीं उनकी रकीबी है ||


***************************************************

          अतेन्द्र कुमार सिंह'रवि'

***************************************************

Views: 396

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on November 16, 2012 at 1:11am

वाह अतेन्द्र जी बहुत दिन के बाद आपको सक्रिय देख कर बेहद खुशी हुई

रचना के लिए बधाई स्वीकारें

Comment by रविकर on November 14, 2012 at 5:24pm

nice

Comment by Atendra Kumar Singh "Ravi" on November 14, 2012 at 4:47pm
मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद...

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 14, 2012 at 4:41pm

कोशिश के लिये बहुत-बहुत बधाई और हार्दिक शुभेच्छाएँ, अतेन्द्र ’रवि’जी.  एक अरसे बाद आपका ओबीओ पर आना सुखकारी है. आपका अंदाज़ पसंद आया जो कई लिहाज़ से मंचीय है. लेकिन कई बंद की बह्र राह भटक रही है. 

आप पूरे बंद को   १२२२  १२२२  १२२२  १२२२  के वज़्न में बाँधे और देखिये कि इस प्रविष्टि को तदनरूप तक्तीह किया जाय तो क्या मिसरे सही आ रहे हैं. 

पुनः बधाई..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Sanjay Shukla जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
5 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Euphonic Amit जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
5 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Dinesh Kumar जी, अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई है। "
7 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Richa यादव जी, अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई। इस्लाह से बेहतर हो जाएगी ग़ज़ल। "
11 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' ji, अच्छा प्रयास हुआ ग़ज़ल का। बधाई आपको। "
15 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Chetan Prakash ji, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास रहा। सुझावों से निखार जाएगी ग़ज़ल। बधाई। "
20 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, ख़ूब ग़ज़ल रही, बधाई आपको। "
24 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय जी। सादर अभिवादन स्वीकार करें। ग़ज़ल तक आने व प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार"
42 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Sanjay जी, अच्छा प्रयास रहा, बधाई आपको।"
45 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Aazi ji, अच्छी ग़ज़ल रही, बधाई।  सुझाव भी ख़ूब। ग़ज़ल में निखार आएगा। "
50 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकारें बाक़ी गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Mahendra Kumar ji, अच्छी ग़ज़ल रही। बधाई आपको।"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service