त्योहार के हादसे
छठ पूजा के दिन आज,
हुई बड़ी दुर्घटना, कई,
आदमी मरे पटना में,
त्योहार को हुई,फिर ये घटना ।
भारत की यह नियमित घटना,
होती है हर साल, कभी यहाँ,
तो कभी वहाँ, कुचले जाते,
हैं लोग प्रार्थना करते-करते…
ContinueAdded by akhilesh mishra on November 20, 2012 at 10:57am — 6 Comments
तुम भी हो चुप- चुप , और मैं भी हूँ मौन /
Added by ajay sharma on November 19, 2012 at 11:22pm — 2 Comments
सभी से सादर निवेदन है कि यह मेरी प्रथम कहानी है कृपया अपने विचा रखें .....
कभी-कभी लोकल सवारी गाड़ी में चलते हुए भी ऐसा महसुस होता है कि जैसे उसकी रफ़्तार जिंदगी से तेज हो गयी हो तो वहीँ कभी-कभार किसी सुपरफास्ट ट्रेन में भी आदमी ऐसे झेल जाता है कि मानो मंजिल ही दोगुने रफ़्तार से भाग रही हो और हम कहीं पीछे छूटते जा रहे ! जनवरी के जाड़े की वो रात आज भी मै भुल नहीं पाया हूँ जब वो पहली और अंतिम बार मुझसे मिली थी ! वाकया लगभग डेढ़ साल पहले का है ,जब २२ जनवरी की उस रात…
ContinueAdded by शिवानन्द द्विवेदी सहर on November 19, 2012 at 10:49pm — 5 Comments
फूल ही सही मगर ख़ारों में ज़िन्दा हूँ
मय बनकर ही तलबदारों में ज़िंदा हूँ
मैं इश्क हूँ मुझे आशारों में न ढूंढ
मैं तेरी आँख के इशारों में ज़िन्दा हूँ
मुझे आसमाँ की आज़ादी मिली न कहीं
मैं तेरी याद के इज्तिरारों में ज़िन्दा हूँ
न दे गवाही मुझे इनकारों की तमाम
मैं तेरे खामोश इकरारों में ज़िंदा हूँ
ये माना कि किश्ती है जलजलों में अभी
मैं मगर उम्मीद के किनारों में ज़िन्दा हूँ
-पुष्यमित्र उपाध्याय
Added by Pushyamitra Upadhyay on November 19, 2012 at 9:35pm — No Comments
तीन भाग जल धरती,शेष जमीन,
प्रकृति सींचे वरना, नीर विहीन/
धरती जल को दुहता,मनुज प्रवीण,
जाने जल बिन होगा, जीवन हीन/
प्रकृति भक्षक बनते, मानव दीन,
बरसें मेघ लगाओ, वृक्ष नवीन/
नद जल सारा खींचा, कूप बनाय,…
ContinueAdded by Ashok Kumar Raktale on November 19, 2012 at 7:08pm — 2 Comments
नाना नाती उवाच -------पिकहा बाबा अवतार
Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 19, 2012 at 5:18pm — 9 Comments
वोह दूर क्या हुए
Added by Deepak Sharma Kuluvi on November 19, 2012 at 11:30am — 4 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 19, 2012 at 11:00am — 2 Comments
Added by shalini kaushik on November 19, 2012 at 12:31am — 4 Comments
मेरे कमरें के केलेंडर पर नया इतवार आया
लग रहा है बाद अरसा इक नया त्यौहार आया
तंग जेबें और झोला देख कर बाज़ार में
कस दिया जुमला किसी ने देखिये "इतवार आया"
झह दिनों की व्यस्तता की धूप से झुलसी हुई
सूखती सी टहनियों में रक्त का संचार आया
छुट्टियो में भी खुलेंगें कारखानें और दफ्तर
हांफता सा ये खबर लेकर सुबह अखबार आया
मौन कमरों में खिली इन आहटों की धूप से
लग रहा है अजय घर में कोई पुराना यार आया
Added by ajay sharma on November 18, 2012 at 10:30pm — 1 Comment
"प्रेमहीन जीवन शून्य है, ये मुझे बेहतर पता है ! इसलिए उसकी पीड़ा को समझता हूं !" आकाश शून्य की ओर देखते हुवे प्रतीक से बोला !
"किसकी पीड़ा? तुम्हारी प्रेमिका?" प्रतीक बोला !
"ना! एक मित्र है, बहुत प्रेम करता है एक से, पर कह नही पा रहा है !"
“कौन मित्र?”
“अभिनव, कॉलेज वाला...!”
“जानता हूं ! किसको चाहता है? रहती कहाँ है?”
“जैसा कि उसने बताया है, तुम्हारे ही मोहल्ले में !”
“क्या बात कर रहे हो, ऐसा है, तब तो तुम्हारे दोस्त की समस्या हल..!”…
ContinueAdded by पीयूष द्विवेदी भारत on November 18, 2012 at 8:00pm — 14 Comments
उम्र की दौड़ में हम बदल जाते हैं
वक्त की ठोकरों से संभल जाते हैं l
चाँद-तारों की हसरत है जिनको नहीं
सूखी रोटी खुशी से निगल जाते हैं l
कूड़े-कर्कट में पाया हुआ जो मिला
उन खिलौनों से ही वो बहल जाते हैं l
हैं जहाँ में बहुत जिनमें है वो हवस
जो भी देखा उसी पर मचल जाते हैं l
बिन किसी बात हम उनको खलने लगें
इस दुनिया में ऐसे भी मिल जाते हैं l
राजे-दिल खोलो जिसको अपना समझ…
ContinueAdded by Shanno Aggarwal on November 18, 2012 at 7:30pm — 6 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 18, 2012 at 4:36pm — 4 Comments
दोहा सलिला
नीति के दोहे
संजीव 'सलिल'
*
रखें काम से काम तो, कर पायें आराम .
व्यर्थ घुसेड़ें नाक तो हो आराम हराम।।
खाली रहे दिमाग तो, बस जाता शैतान।
बेसिर-पैर विचार से, मन होता हैरान।।
फलता है विश्वास ही, शंका हरती बुद्धि।
कोशिश करिए अनवरत, 'सलिल' तभी हो शुद्धि।।
सकाराsत्मक साथ से, शुभ मिलता परिणाम।
नकाराsत्मक मित्रता, हो घातक अंजाम।।
दोष गैर के देखना, खुद को करता हीन।
अपने दोष सुधारता, जो- वह रहे न दीन।।…
Added by sanjiv verma 'salil' on November 18, 2012 at 1:21pm — 1 Comment
शब्द-पुष्पों का एक गुच्छा सादर प्रस्तुत है --
हर दिल के दरबार में, बादशाह बेताज
सहज-धीर-उद्भाव-नत, ओबीओ सरताज
ओबीओ सरताज, पूर्ण जो जीवन जीता
’जो कुछ है, वह सार’, सोच का सुगढ़ प्रणेता …
Added by Saurabh Pandey on November 18, 2012 at 11:30am — 25 Comments
Added by mohinichordia on November 18, 2012 at 9:05am — 3 Comments
हिन्दू हृदयसम्राट श्री बाला साहेब ठाकरे के देहावसान से मुझे वैयक्तिक दुःख पहुंचा है . उनकी सुप्रसिद्ध कार्टून पत्रिका मार्मिक के वर्धापन समारोह हों या उनके नाती-नातिन के जन्म-दिवस समारोह, अनेक बार उनके साथ रंगारंग महफ़िलें जमती थीं जिनमे वे तो हमारी कविता कम सुनते थे हम उनसे हमारी हास्य कवितायें ज्यादा सुनते थे . अनेक कवियों की कवितायें उन्हें याद थीं और हू बहू उसी शैली में सुना कर तो वे विस्मित कर देते थे .…
ContinueAdded by Albela Khatri on November 18, 2012 at 1:00am — 3 Comments
२१२ २१२ २१२ २१२ २१२ २१२ २१२ २१२
पुर-शुआ पुर-शुआ था हमारा शहर, रोशनी में नहाया हुआ था समाँ,
आज लेकिन न जाने ये क्या हो गया, हो गया है अँधेरा अँधेरा जवाँ।
हैं तवारीख में दास्तानें सभी, वक्त की मार से खाक में मिल गये,
जो जवाहर सजाते रहे ताज में, और ताबे रहा जिनके सारा जहाँ।
उल्फतों से यही हाय कहता रहा, मैं तुम्हारा बना हूँ सदा के लिये,
पर अचानक उसी ने गज़ब ये किया, चल दिया ठोकरें दे न जाने कहाँ।
बन्द कर के निगाहें भरोसा किया, जानो…
Added by इमरान खान on November 17, 2012 at 2:00pm — 3 Comments
लेकर तिनका चौंच में ,चिड़िया तू कित जाय
नीड महल का छोड़ के , घर किस देश बसाय
घर किस देश बसाय ,सभी सुख साधन छोड़े
ऊँची चढ़ती बेल , धरा पे वापस मोड़े
देख बिगड़ते बाल, माथ मेरा है ठनका
जाती अपने गाँव , चौंच में लेकर तिनका
***************************************
(अपने एक ख़याल के ऊपर बनाई यह कुंडली )
चोँच में तिनका ले जाती हुई चिड़िया से पूछा अब क्यों घर बदल रही हो तुम तो उस महल के रोशनदान में कितनी शानो शौकत से रहती हो तो वो बोली वहां मेरे बच्चे बिगड़ रहे…
Added by rajesh kumari on November 17, 2012 at 11:00am — 18 Comments
चन्द्रबदन!
तेरे कपोल पे तेरे नैनों का नीर
लागे जैसे सीप में मोती
शशी से भी तू सुन्दर लागे
जब ओढ़ चुनर तू है सोती
झरने सी तू चंचल है
सुन्दरता से भी सुन्दर है
सुगंध तेरी जैसे कोई संदल
चन्द्रबदन, चन्द्रबदन, हय तेरा चन्द्रबदन…
तेरे केशों में…
ContinueAdded by Ranveer Pratap Singh on November 16, 2012 at 10:30pm — 8 Comments
2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
2012
2011
2010
1999
1970
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |