For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नाना नाती उवाच -------पिकहा बाबा अवतार

नाना नाती उवाच -------पिकहा बाबा अवतार 

-----------------------------------------------------
नाना नाना ई बतावा फिर कौनो  बात हो गई 
चेहरा काहे लटकौले नानी से मुलाक़ात हो गई 
चुप रहो नाती न बोलो पकड़ो   ई दस रुपिया
दोनों ओर आग लगावत नानी के तुम खुफिया 
------------------------------------------------------
नानी खफा बहुत हमसे ढूंढ रही वो बेला 
कौन बनाया लेखक हमको  इंटरनेट  पे ठेला
इंटरनेट  पे ठेला बैठ अनगिनत बीमारी पाई 
धेला  मिला न एक कहीं से नाहक गोली खाई 
धधा कोई और सोचते साहित्य बड़ा झमेला 
पानी बंद लौकी खाते सवेरे नित पीते  करेला   
-------------------------------------------------------
नाना देखो समय कम हो रहे तुम अब रिटायर 
बनो देश के नेता अभिनेता बेकार हैं अब शायर 
हाथ जोड़ नेता जनता में  बड़े प्रेम से   आते
पीते खून उसी जनता का लौट दुबारा  न जाते 
भरते झोली नोटन वोटन से सैर विलायत करते 
सात पीढ़ी की करते व्यवस्था हवा में डग भरते 
------------------------------------------------------
न न  नाती माफ करो मुझसे ना होगा ऐसा गोरख धंधा
जीवन सादा सचरित्र जिया पैसा देख हुआ कभी  न अंधा 
दीन दुखी मेरे हैं अपने अभी पूरे  करने शेष अधूरे सपने
भूख गरीबी बलात्कार रंग जाति  भेद के नाग लगे डसने 
प्रश्न जटिल उलझी गुत्थी  छाया चहुँ दिस घन  घोर अँधेरा 
क्या करूँ कैसे करूँ राह न सूझे  कब होगा जीवन में  सवेरा 
-----------------------------------------------------------------
सुनो ध्यान से नाना एक बात क्यों नाहक मेरा सर खाते 
करो समाज सेवा हर विधि क्यो न  साधू बाबा बन जाते 
बरसों का अनुभव तुम्हारा नीति  रही जन कल्याण कारक 
दरिद्र नारायण सेवा कर दुष्टन से रक्षा करो बन अस्त्र मारक 
--------------------------------------------------------------------
अक्टूबर ०६ , २०१२ को पिकहा बाबा लीन्ह मनुज अवतार 
जन सेवा रत इंटरनेट पे सदा मिलें  लें आशीष करें भवपार 
 

Views: 593

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 25, 2012 at 3:04pm

धन्यवाद आदरणीय भ्रमर जी, सादर 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on November 22, 2012 at 11:58pm

हाथ जोड़ नेता जनता में  बड़े प्रेम से   आते

पीते खून उसी जनता का लौट दुबारा  न जाते 
भरते झोली नोटन वोटन से सैर विलायत करते 
सात पीढ़ी की करते व्यवस्था हवा में डग भरते 
आदरणीय कुशवाहा जी नाती की बातें गंभीर हैं ...बच्चे अब बड़े समझदार हैं आइये हम सब भी समझें जागें और कुछ न कुछ धामा चौकड़ी करते रहें ..व्यंग्य भरी अच्छी रचना 
नाती और आप को बहुत बहुत बधाई 
सस्नेह 
भ्रमर 5 
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 21, 2012 at 10:31am

आदरणीया शालिनी जी, सादर 

आभार.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 21, 2012 at 10:31am

प्रिय कुमार जी, सस्नेह 

धन्यवाद 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 21, 2012 at 10:30am

आदरणीय सूरज जी, सादर 

जरूर. धन्यवाद 

Comment by shalini kaushik on November 21, 2012 at 1:59am

.शानदार अभिव्यक्ति बधाई

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 20, 2012 at 6:14pm

वाह-वाह आदरणीय काकाश्री.....खूब रंग जमाया आपने.........मजा आ गया.....

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 20, 2012 at 4:54pm

आदरणीय सूरज जी, सादर 

आपकी सराहना के लिए आभार. \आपका यकीन नहीं टूटेगा. वादा है. 

पिकहा बाबा अति शीघ्र प्रेस वार्ता करने वाले हैं. 

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on November 20, 2012 at 4:21pm

जय हो पिकहा बाबा की ! 

अच्छी  व्यंग्य पूर्ण कविता। वैसे आप जहां भी रहोगे हम लोगों को यकीन है की पिकहा बाबा की तरह जन सेवा ही करोगे। वैसे नाती ने बड़े सही धंधे का सुझाव दिया था। आजकल के बच्चे भी बिजनेस समझते हैं.....हाहाहहहहह

बहुत बढ़िया प्रस्तुति ...बधाई स्वीकार करें !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
16 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मंच संचालक जी , मेरी रचना  में जो गलतियाँ इंगित की गईं थीं उन्हे सुधारने का प्रयास किया…"
Monday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 178 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक आभार.…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत रोला छंदों पर उत्साहवर्धन हेतु आपका…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी छंदों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिये हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय गिरिराज जी छंदों पर उपस्थित और प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक जी छंदों की  प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिये हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय मयंक कुमार जी"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
" छंदों की प्रशंसा के लिये हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    गाँवों का यह दृश्य, आम है बिलकुल इतना। आज  शहर  बिन भीड़, लगे है सूना…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service