For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

gumnaam pithoragarhi
  • Male
  • pithoragarh, uttarakhand
  • India
Share on Facebook MySpace

Gumnaam pithoragarhi's Friends

  • Krish mishra 'jaan' gorakhpuri
  • Hari Prakash Dubey
  • somesh kumar
  • harivallabh sharma
  • narendrasinh chauhan
  • भुवन निस्तेज
  • chouthmal jain
  • शकील समर
  • लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
  • गिरिराज भंडारी
  • Akhand Gahmari
  • coontee mukerji
  • अरुन 'अनन्त'
  • अरुण कुमार निगम
  • मिथिलेश वामनकर
 

gumnaam pithoragarhi's Page

Latest Activity

gumnaam pithoragarhi commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लगाओ लगाओ सदा कर लगाओ -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"वाह मुसाफिर साहब वाह "
Jul 20, 2022
gumnaam pithoragarhi commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (देखें यहीं कहीं वो मेरा साए-बान था)
"वाह श्रीमान खूब गजल कही है वाह .. कृपया  शंका समाधान करें ; खंडर हुआ है आज कभी आलीशान था.. ///// आलीशान की मात्रा गणना क्या होगी ///// महरूमियों ने मुझ से उसे दूर कर दिया  इतना बुरा नहीं था वो बस बद-गुमान था  क्या     …"
Jul 20, 2022
gumnaam pithoragarhi commented on Anita Maurya's blog post ग़ज़ल
"वाह खूब गजल कही है वाह ..."
Jul 16, 2022
gumnaam pithoragarhi commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल-आँसू
"वाह बहुत खूब गजल हुई है ॥ बधाई "
Jul 16, 2022
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on gumnaam pithoragarhi's blog post गजल
"बढ़िया आदरणीय गुमनाम जी...आदरणीय धामी जी ,और अमीरुद्दीन जी से सहमत हुँ..."
Jul 10, 2022
gumnaam pithoragarhi commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कालिख दिलों के साथ में ठूँसी दिमाग में - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"वाह भाई साहब वाह , बहुत खूब ..."
Jul 6, 2022
gumnaam pithoragarhi commented on gumnaam pithoragarhi's blog post गजल
"आप दोनो का बहुत बहुत शुक्रिया ....में कुछ सुधार करता हूं ... धन्यवाद मेरी जानकारी में वृद्धि करने के लिए ....."
Jul 6, 2022
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on gumnaam pithoragarhi's blog post गजल
"//सुनहरे की मात्रा गणना 212 ही होगी ॥ शायद ॥ 122 नहीं  । // सु+नह+रा = 1 2 2 .. यगणात्मक शब्द है यह. सुन+हरा नहीं उच्चारित करते. तो मात्रा भार 2 2 की तरह नहीं ले सकते"
Jul 5, 2022
gumnaam pithoragarhi commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post भोर सुख की निर्धनों ने पर कहीं देखी नहीं -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर'
"वाह अच्छा है मुसाफिर साहब ॥ वाह "
Jul 5, 2022
gumnaam pithoragarhi commented on gumnaam pithoragarhi's blog post गजल
"धन्यवाद दोस्तो ..   आपके सलाह सुझाव का स्वागत है । सुनहरे की मात्रा गणना 212 ही होगी ॥ शायद ॥ 122 नहीं  । "
Jul 5, 2022
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on gumnaam pithoragarhi's blog post गजल
"आ. भाई गुमनाम जी , सादर अभिवादन। सुन्दर गजल हुई है। हार्दिक वधाई। हिन्दी में "वहम" बोले जाने के बावजूद इसे गजल में 21 पर लिए जाने का मत प्रचलन में है। इस हिसाब से इसे यू लिखकर आप सबको संतुष्ट कर सकते हैं। वह्म जैसी  लगे  वो भरी…"
Jul 5, 2022
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on gumnaam pithoragarhi's blog post गजल
"जनाब गुमनाम पिथौरागढ़ी जी आदाब, एक ग़ैर मानूस (अप्रचलित) बह्र पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें, मगर... ग़ज़ल अभी समय चाहती है। मतला और सभी सानी मिसरों में 'जेब' की तक़्तीअ आपने कैसे की, सही लफ़्ज़ वह्म (वहम) का वज़्न 21 है…"
Jul 4, 2022
gumnaam pithoragarhi posted a blog post

गजल

212  212  212  22 इक वहम सी लगे वो भरी सी जेब साथ रहती मेरे अब फटी सी जेब ख्वाब देखे सदा सुनहरे दिन के आँख खुलते मिली बस कटी सी जेब चैन आराम सब खो दिया तुमने पास रक्खी भला क्यों बड़ी सी जेब शहर में तेज है धूप नफरत की हर गली मे मिली कुछ भुनी सी जेब रब , खुदा , राम के नाम पर हम तोसिर्फ पाते रहे अधजली सी जेब आँख मे मोतिया * पड़ गया शायद अब नजर आएगी बस हंसी सी जेब मौलिक और अप्रकाशित  गुमनाम .. See More
Jul 4, 2022
gumnaam pithoragarhi commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जबसे तुमने मिलना-जुलना छोड़ दिया)
"वाह शानदार गजल हुई है वाह .. "
Jul 4, 2022
gumnaam pithoragarhi commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post एक अनबुझ प्यास लेकर जी रहे हैं -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"वाह खूब वाह बहुत बहुत बधाई ।  चेतन जी ने सही कहा 2122  2122  2122  .. "
Jul 1, 2022
gumnaam pithoragarhi commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कभी तो पढ़ेगा वो संसार घर हैं - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"वाह मुसाफिर साहब खूब गजल हुई है । बधाई "
Jul 1, 2022

Profile Information

Gender
Male
City State
pithoragarh
Native Place
pithoragarh
Profession
teaching
About me
sahity ki dunia me jana pahachana naam hona chahta hoon............

gazal

धड़कता है गुनगुनाता है बतियाता है लेकिन

ख़त कि तरह मोबईल महकता नहीं है

--------------------------------------------------------------

मज़हब की किताबों के पैगाम बदल देते हैं

नानक और ईसा के नाम बदल देते हैं

फिर न होगी शिकायत किसी को ज़माने में

लाओ पैगम्बर से राम बदल देते हैं

----------------------------------------------------------------------------

ऐ वाइज़ तू क्यों फिकर में रहता है

सारा निज़ाम उसकी नज़र में रहता है

सिर्फ दैरो हरम नहीं ठिकाना उसका

हर जर्रे में वो हर बशर में रहता है

 

 

 

अप्रकाशित व मौलिक -------------------------------------

Comment Wall (5 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 1:22pm on March 24, 2015, Dr Ashutosh Mishra said…

आदरणीय गुमनाम जी ..महेनी का सक्रीय सदस्य चुने जाने पर मेरी तरफ से भी हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर 

At 2:50pm on March 19, 2015, Krish mishra 'jaan' gorakhpuri said…

भाई गुमनाम जी 'महीने का सक्रिय सदस्य' के रूप में आप को देखकर अपार हर्ष हो रहा है! बहुत बहुत बधाईयां!!

At 8:22pm on March 15, 2015, maharshi tripathi said…

आ.गुमनाम पिथौरागढ़ी जी आपको विगत माह का सक्रिय सदस्य चुने जाने पर हार्दिक बधाई |

At 12:40pm on March 15, 2015,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय
गुमनाम पिथौरागढ़ी जी,
सादर अभिवादन,
यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करें | प्रशस्ति पत्र उपलब्ध कराने हेतु कृपया अपना पता एडमिन ओ बी ओ को उनके इ मेल admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध करा दें | ध्यान रहे मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई है |
हम सभी उम्मीद करते है कि आपका सहयोग इसी तरह से पूरे OBO परिवार को सदैव मिलता रहेगा |
सादर ।
आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन

At 10:46pm on January 28, 2015, vijay said…
गुमनाम जी इस ग़ज़ल पर कोई काम हो तो बताएं
आपकी पिछली टिप्पणी से साहस मिला
धन्यवाद

Gumnaam pithoragarhi's Blog

गजल

212  212  212  22 

इक वहम सी लगे वो भरी सी जेब 

साथ रहती मेरे अब फटी सी जेब 

ख्वाब देखे सदा सुनहरे दिन के 

आँख खुलते मिली बस कटी सी जेब 

चैन आराम सब खो दिया तुमने 

पास…

Continue

Posted on July 4, 2022 at 9:30am — 6 Comments

अब क्या करें

२१२२ २१२२ २१२

जिस्म चाँदी का हुआ अब क्या करें
उम्र निकली बेवफा अब क्या करें

इश्क़ पहला जो हुआ वो इश्क़ था
इश्क़ तो है गुमशुदा अब क्या करें

याद की अल्बम पलटकर देख ली
दिन हुए वो लापता अब क्या करें

किस तरह बच पाएगी अस्मत यहाँ
हर तरफ है खौफ सा अब क्या करें

उम्र की सारी तहें भी खोल दीं
खत मिले कुछ बेपता अब क्या करें

गुमनाम पिथौरगढ़ी


स्वरचित व अप्रकाशित

Posted on February 19, 2021 at 6:36pm — 6 Comments

ग़ज़ल

2122 2122 2122 212

ज़ख्म मेरे जब कभी तुम पर बयाँ हो जाएंगे 

सामने के सब नज़ारे बेजुबाँ  हो जाएंगे 

हाथ में  पत्थर नहीं कुछ ख्वाब दो कुछ काम दो 

हाथ ये नापाक के  कठपुतलियाँ हो जाएंगे 

खेलने दो आज इनको फ़िक्र सारी छोड़कर 

ज़िन्दगी उलझा ही देगी जब जवाँ हो जायेंगे 

जब कभी अफवाह उठ्ठे तुम यकीं करना नहीं 

झूठ की इस आग में ही घर धुवां हो जायेंगे 

ये सफर तन्हा नहीं है साथ गम यादें तेरी 

गम…

Continue

Posted on July 31, 2018 at 5:00pm — 7 Comments

ग़ज़ल .....

22  22  22  22  

गाता जाए एक दिवाना

दुनिया यारो पागलखाना

परदेश बनाया घर लेकिन

घर मे कम है एक सयाना

इससे आगे सोच ना पाऊं

बीबी बच्चे और ठिकाना

केक खिलाया साल बढ़ाए

भूल गया पर उम्र घटाना

एक शिगूफा छोड़ेगा फिर

अबके राजा भौत सयाना

मौलिक व अप्रकाशित

Posted on June 16, 2018 at 5:52pm — 10 Comments

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
51 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Nov 18
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service