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आज जहाँ सुनिये वहीँ भाषा का बिगड़ा स्वरूप सुनाई देता है। किस पुरुष का कर्ता है और कौन सी क्रिया लग गई पता ही नही। यह भी नही की यह युवा पीढ़ी ढंग से आंग्ल भाषा ही जानती हो। तो क्या हमारी और सरकार की यह…Continue
Started this discussion. Last reply by आशीष यादव Jul 28, 2012.
2122 2122
पत्थरों पर चल रहा हूँ
रास्तों को छल रहा हूँ 1
लग रहा हूँ आज मीठा
सब्र का मैं फल रहा हूँ 2
कर दिया उनको पवित्तर
यार गंगा जल रहा हूँ 3
अब नहीं ख्वाहिश किसी की
हाँ कभी बेकल रहा हूँ 4
आज इतनी गाड़ियाँ है
मैं कभी पैदल रहा हूँ 5
याद आऊँ, मुस्कुरा दो
वह तुम्हारा कल रहा हूँ 6
मैं डुबोया हूँ खुद ही को
स्वयं का दलदल रहा हूँ…
ContinuePosted on January 19, 2023 at 11:56pm — 1 Comment
ऋतु शीत रवानी में अपने
ऊर्ध्वगी जवानी में अपने
चहुँओर सर्द को बढ़ा रही
जीवन वह्निः तक बुला रही
थी जगह जगह जल रही आग
प्रमुदित होकर जन रहे ताप
कौड़े में जैसे उठी ज्वाल
मन मोह लिया इक अधर लाल
रति जैसी जिसकी छाया थी
वह थी समक्ष या माया थी
पहने थे वसन तरीके से
सब सज्जित स्वच्छ सलीके से
कुंतल को उसने झटक दिया
मनसिज प्रसून पर पटक दिया
कितने उद्गार उठे मन में
ताड़ित से कौंध रहे तन…
ContinuePosted on January 19, 2023 at 11:10am
2122 2122 2122 2122
क्या पता उस लोक में दिखती हैं कैसी अप्सराएँ
किस तरह चलतीं मचल कर किस तरह से भाव खाएँ
कौन सा जादू लिए फिरतीं सभी पर मार देतीं
किस तरह पुचकारती हैं किस तरह से प्यार देतीं
क्या महावर और मेहँदी आँख में काजल अनोखा
केशिनी मृगचक्षुणी हैं सत्य, या उपमान धोखा
किस तरह श्रृंगार रचती किस तरह गेशू सजाएँ
क्या पता कितनी सही है आमजन की कल्पनाएँ
आज देखी थी परी जो हाल कुछ उसका सुनाऊँ
देखता ही रह गया…
ContinuePosted on January 19, 2023 at 6:32am — 1 Comment
एक दिन स्वर्ग में घूमते-घूमते
एक जगह रुक्मिणी राधिका से मिली
एक दिन स्वर्ग में……………
सैकड़ों प्रश्न मन में समेटे हुए
श्याम की प्रीत तन पर लपेटे हुए
जोड़कर हाथ राधा के सम्मुख वहाँ
एक रानी सहज भावना से मिली
एक दिन स्वर्ग में …………….
देखकर राधिका झट गले लग गई
साँवरे की महक से सुगंधित हुई
प्रीत की प्रीत में घोलकर मन, बदन
साधना प्रीत की साधना से मिली
एक दिन स्वर्ग में……………
भेँटना हो गया बात होने…
ContinuePosted on March 25, 2022 at 1:30pm
प्रिय आशीष जी.....मेरी कविता को पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार.....
आशीष जी, प्रोत्साहन हेतु आपका हार्दिक आभार.......
आशीष जी मित्र बनने का अवसर प्रदान करने के लिए धन्यवाद |
आशीष जी आपकी शुभकमानयों और बधाइयों के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद !
आशीष जी आपकी दाद के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ! अच्छा लिखते हो ! ऐसे ही लिखते रहो और सबका मनोरंजन करते रहो !!
swagat hai
Dhanyavaad Ashish Bhai.
thanx ashish ji for liking my post...
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