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Amit Kumar "Amit"
  • Male
  • ujhani
  • India
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"आदरणीय सर बहुत-बहुत शुक्रिया। आभार "
Feb 25
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"आदरणीय दयाराम मैठानी जी गजल का अच्छा प्रयास हुआ बाकी गुरुजनों की राय संज्ञान में लें"
Feb 25
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"आदरणीय अमीरउद्दीन जी बेहतरीन ग़ज़ल कहीं शेर दर शेर दाद कबूल करें"
Feb 25
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"आदरणीय रचना भाटिया अच्छी गजल कहीं बाकी गुणीजन की बातों पर ध्यान दें"
Feb 25
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"आदरणीय, एक और कोशिश कृपया मार्गदर्शन करें। चंद तिनकों से बनाकर, एक अदना आशियां,ख़ुशनुमा इतना हुआ मैं बदगुमाँ बनता गया।।२।। यूं छुपाना दर्दे ग़म आसां नहीं महबूब से,आंख से ढलका तो गालों पर निशाँ बनता गया।।४।।"
Feb 25
Amit Kumar "Amit" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आदरणीय मैं पुनः प्रयास करता हूं। आभार। "
Feb 25
Amit Kumar "Amit" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आदरणीय एक और प्रयास किया है कृपया मार्गदर्शन करें। कोशिश:बस बनाकर साथ तेरे, ऐक अदना आशियां'खुशनुमां इतना हुआ मैं बदगुमाँ बनता गया।।२।। एक आंसू तक छुपा पाये नहीं उनसे कभी,आंख से ढलका तो गालों पर निशाँ बनता गया।।४।। आभार "
Feb 25
Amit Kumar "Amit" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आदरणीय नादिर खान भाई जी ग़ज़ल पर आपकी प्रतिक्रिया और हौसला अफजाई के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।"
Feb 25
Amit Kumar "Amit" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी ग़ज़ल पर आपकी प्रतिक्रिया और हौसला अफजाई के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद"
Feb 25
Amit Kumar "Amit" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आदरणीय नादिर खान भाई जी ग़ज़ल पर आपकी प्रतिक्रिया और हौसला अफजाई के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।"
Feb 25
Amit Kumar "Amit" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आदरणीया* रिचा जी*"
Feb 25
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"आदरणीय zaif ji ग़ज़ल पर आपकी प्रतिक्रिया और हौसला अफजाई के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद"
Feb 25
Amit Kumar "Amit" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आदरणीय समर कबीर साहब चरण स्पर्श।  आपके सुझाव और यूूफोनिक अमित जी के सुझाव के अनुसार कुछ सुधार का प्रयास किया है। देखिएगा.... फ़ासला हम दोनों के जब दरमियाँ बनता गयाइश्क़ मेरा दर्द की इक दास्ताँ बनता गया।।१।। इक बनाकर साथ तेरे, सिर्फ अदना…"
Feb 25
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"आदरणीय रवि शुक्ला जी गजल पर प्रतिक्रिया और हौसला अफजाई के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद । गिरह के शेर को लिखने का मैंने पुनः प्रयास किया है कृपया देखिएगा। बस मुहब्बत का सलीका सीखने के वास्ते,लोग साथ आते गये और कारवाँ बनता गया।।७।। कहकशां स्त्रीलिंग शब्द…"
Feb 24
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"आदरणीय रिचा ग़ज़ल पर आपकी प्रतिक्रिया और हौसला अफजाई के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद"
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"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी हौसला अफजाई के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद"
Feb 24

Profile Information

Gender
Male
City State
Ujhani ,UP
Native Place
Ujhani
Profession
DM QA
About me
Amit

Amit Kumar "Amit"'s Blog

गीत - मैं तुमको अपनी सबसे प्यारी गजल समझता हूं।

तुम मुझको चाहे जो भी समझो लेकिन सुनो प्रिय।

मैं तुमको अपनी सबसे प्यारी गजल समझता हूं।।



तुम अमृत जैसी दुर्लभ हो, तुम गंगाजल सी पावन हो।

तुम खुशबू से लबरेज पवन, तुम बहका-बहका सावन हो।

तुम कलियों में कचनार प्रिय, तुम नील गगन में चंदा हो।

उर्वशी-मेनका से सुंदर, जो जग पूजे वो वृंदा हो।



उस जीवन दाता रब का मुझ पर फजल समझता हूं।

मैं तुमको अपनी सबसे प्यारी गजल समझता हूं।।१।।



सांसो की मधुमय हाला से मदहोश सदा हो जाता हूं।

इन नैनो की मधुशाला… Continue

Posted on July 19, 2019 at 6:09pm — 3 Comments

गज़ल - गमों का नाम हो जाये हमारे नाम से साकी।

पिला दे घूंट दो मुझको, ज़रा नजरों से ऐ साकी।।

मिलुंगा मैं तुझे हर मोड़ पे पहचान ले साकी।।१।।

अभी तो दिन भी बाकी है ये सूरज ही नहीं डूबा।

इसे दिलबर के आंचल में जरा छुप जान दे साकी।।२।।

जिसे पूजा किये हरदम जिसे समझा खुदा मैंने।

किया बर्बाद मुझको तो उसी इन्सान ने साकी।।३।।

मेरा महबूब भी तू है मेरा हमराज भी तू है।

वे दुश्मन थे मेरे पक्के जो मेरे साथ थे साकी।।४।।

नहीं इससे बड़ी कोई भी अब अपनी तमन्ना है।

गमों का नाम हो जाये हमारे नाम से…

Continue

Posted on January 6, 2019 at 10:30pm — 10 Comments

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At 6:50am on July 2, 2018, राज़ नवादवी said…

आदरणीय Amit Kumar साहब, तरही मुशायरे में मेरी ग़ज़ल में शिरकत का दिल से शुक्रिया. समयाभाव था, कमेंट बॉक्स बंद हो चुका है. इसलिए यहाँ से आभार प्रकट कर रहूँ हूँ.सादर

At 5:01pm on September 29, 2014, Vivek Jha said…

थैंक्स अमित जी, उस दिन आपसे मिलकर काफी अच्छा लगा 

 
 
 

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