For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Dr Dilip Mittal
  • India
Share on Facebook MySpace

Dr Dilip Mittal's Friends

  • केवल प्रसाद 'सत्यम'
 

Dr Dilip Mittal's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
Rajasthan
Native Place
Ajmer
Profession
Doctor

Dr Dilip Mittal's Blog

क्षणिकाएँ

खुदा के घर से किसी के दिल पर ,
ना हिन्दू ना मुसलमान की छाप लगकर आयी है ,
फिर क्यूँ तुमने हमपर जाती की तोहमत लगाई है ,
खुदा का वास्ता -
अब, ना हिन्दू ना मुसमान ना ईसाई बना हमको ,
इंसानियत हमारी ज़ात हैं ,कुछ और ना बना हमको

दिल जिगर गुर्दे ,तुम भी रखते हो ,हम भी रखते हैं ,
चाहो तो जंग के मैदान में आजमा सकते हो ,
और अगर चाहो तो -
ज़रूरतमंद को दान कर इंसान और इंसानियत ,
दोनों को बचा सकते हो


अप्रकाशित मौलिक

Posted on April 21, 2014 at 4:33pm — 6 Comments

क्षणिकाएँ

शौख से आशियाँ उजाड़ ,ये इख्तियार है तुझे ,

खानाबदोश हूँ ,ठहरना मेरी फितरत भी नहीं है

 

मेरे जख्मों पर नमक छिड़क गया ,वो आज ,

उसके ही दिए तोहफों कि याद दिला गया वो आज

उसकी नफरतों के जाम को भी

शांती कि कीमत समझ पिया…

Continue

Posted on March 21, 2014 at 7:22pm — 6 Comments

क्षणिका

कुछ तो मजबूरी की हद रही होगी ,

या निर्लज्जता की इंतेहा रही होगी ,

वो सम्भावित प्रधान मंत्री के पिता थे,

उनकी पत्नी ने प्रधान मंत्री और राष्ट्रपति

बनाये और अपनी उंगलियों पर नचाये होंगे ,  

कुछ तो हुआ  होगा की 11 साल तक

कई असहाय राष्ट्रपतियों के ज़मीर को…

Continue

Posted on February 21, 2014 at 8:17am — 4 Comments

क्षणिकाएँ

करवट  बदल रहा है कोई

-----------------------------------

शर्मसार नहीं हैं हम, हार कर भी ,

हाँ ,सदमे में जरूर  हैं , कि-

नींद में करवट, बदल रहा है कोई

 

जातिवाद का ज़हर

-----------------------

तुम नीलकंठ कहलाते हो ,

ज़हर कोई, कभी पिया…

Continue

Posted on December 11, 2013 at 2:30pm — 8 Comments

क्षणिकाएँ

क्षणिकाएँ

आज़ादी का जश्न मना लेने भर से,

देश भक्तों की पहचान नही होती है ,

सिर उठाने की अगर कोशिश भी करे कोई तो ,

रूह कांप जाये ,ये वीर सपूतों की शान होती है.

उपजाऊ भूमी भी बंजर बन जाती है

बुद्दी जब…

Continue

Posted on November 28, 2013 at 9:30pm — 6 Comments

तुम आज़ाद हो

तुम पिंजरे में बंद मुर्दा ज़िन्दगी के सिवा कुछ भी तो नहीं ,

अपने आप को ,आज़ाद पंछी मान बैठे हो ,

तुम्हारी तनी  हुई मुट्ठियाँ ,बढ़ते कदम ,

बीवी बच्चों को देख, अपाहिज हो जाते हैं ,

तुम्हारे मस्तक की मांसपेशियां ,

पेट की तरफ देख ,अनाथ हो जाती है ,

तुम्हारी जुबान ,साहब को देख ,…

Continue

Posted on August 4, 2013 at 6:00pm — 4 Comments

Comment Wall (4 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 7:47am on March 31, 2014, बृजेश नीरज said…

आदरणीय दिलीप जी, हम सब साथ-साथ साहित्य की विविध विधाओं की जानकारी प्राप्त करेंगे.

सादर!

At 7:58pm on January 8, 2014,
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
said…

भाईजी, अपनी रचनाओं पर आयी सभी प्रतिक्रियाओं का धन्यवाद ज्ञापन वहीं अपनी रचनाओं पर ही किया करें.

सादर

At 6:41pm on May 10, 2013, बृजेश नीरज said…

आदरणीय यह कमी तो मुझमें भी थी और अब भी बहुत सी कमियां हैं। हम एक दूसरे से ही सीखकर आगे जा सकते हैं। आपने इतना मान दिया इसके लिए आभार।
सादर!

At 7:07pm on March 31, 2013,
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
said…

आपका हार्दिक धन्यवाद.

नववर्ष की अनेकानेक बधाइयाँ, भाई. हम सब समवेत सीखते हैं.. .

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय धामी जी स्नेहिल सलाह के लिए आपका अभिनन्दन और आभार....आपकी सलाह को ध्यान में रखते हुए…"
38 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय गिरिराज जी उत्साहवर्धन के लिए आपका बहुत-बहुत आभार और नमन करता हूँ...आपसे आदरणीय नीलेश…"
41 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय नीलेश जी सर्व प्रथम रचना पटल पे उपस्थिति के लिए आपका हार्दिक आभार....वैसे ये…"
53 minutes ago
Admin posted discussions
11 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सड़सठवाँ आयोजन है।.…See More
12 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
" आदरणीय सुशील सरना जी सादर, जीवन के सत्य पर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थित और मार्गदर्शन के लिए आभार। कुछ सुधार किया है…"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थित और मार्गदर्शन के लिए आभार। कुछ सुधार किया है…"
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service