For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

July 2016 Blog Posts (184)

राम-रावण कथा (पूर्व-पीठिका) 32

कल से आगे ..........

जैसा कि संभावित था, रावण ने अपने बड़े भाई कुबेर का मानमर्दन कर ही दिया। इस विजय ने उसके अहंकार का पोषण करने का कार्य भी किया। सत्ता के साथ सत्ता का मद आना स्वाभाविक ही है। इस मद के अतिरिक्त इस विजय से उसे जो कुछ भी प्राप्त हुआ था उसमें सबसे महत्वपूर्ण था कुबेर का पुष्पक विमान।



रावण ने कुबेर को परास्त करने के बाद अमरावती का राज्य हस्तगत नहीं किया। जैसे बहुत बाद में, ऐतिहासिक मध्य काल में इस्लामी आक्रमण कारी भारत आते थे और लूट का माल समेट कर लौट…

Continue

Added by Sulabh Agnihotri on July 24, 2016 at 8:46am — No Comments

राम-रावण कथा (पूर्व-पीठिका) 31

कल से आगे ...............

वेद बड़े उहापोह में था। किस प्रकार बात करे वह गुरुजी से मंगला के विषय में। गुरुदेव क्रोधी स्वभाव के कदापि नहीं थे तो भी उसकी हिम्मत नहीं पड़ रही थी। वह नित्य प्रातः निश्चय करता कि आज मध्यान्ह में भोजन के समय अवश्य ही गुरुदेव से पूछेगा किंतु मध्यान्ह से साँझ पर टल जाता और साँझ से पुनः अगली प्रातः पर। अंततः एक दिन उसने निश्चय किया कि अब कोई सोच-विचार नहीं करेगा बस सीधे जाकर गुरुजी से पूछ लेगा, फिर जो होगा देखा जायेगा। नहीं पूछेगा तो फिर घर जाते ही मंगला…

Continue

Added by Sulabh Agnihotri on July 23, 2016 at 10:11pm — No Comments

हुनरबाज [लघु कथा ]

दर्जी रमेश के एक कमरे के घर में आज उत्साह पसरा हुआ था I टी वी के एक कार्यक्रम में बेटे राजू का गाना आनेवाला था I

“काकी टी वी नहीं खोला i राजू भैया का गाना शुरू हो गया है “  पडौस  की लड़की  हाँफती  अन्दर आई I

“सुबह से इंतज़ार था और इनकी मशीन की खट खट में समय का ध्यान नहीं रहा, चल लगा  दे जल्दी से “I  बेटे को टी वी में देखने को बेताब कांता , टी वी के एकदम पास बैठ गई  I

टी वी खोलने तक गाना हो चुका था I तालियों की गडगडाहट के बीच राजू को देख उसकी आँखें भर आईं Iमाथे के…

Continue

Added by pratibha pande on July 23, 2016 at 7:43pm — 18 Comments


सदस्य कार्यकारिणी
मगर दीवार रिश्तों से कभी ऊँची नहीं होती फिल्बदीह ग़ज़ल (राज )

१२२२ १२२२ १२२२ १२२२

 

दिलों में दूर रहकर भी कोई दूरी नहीं होती 

किसी का प्यार पाने से बड़ी पूंजी नही होती

कहाँ किसको कोई पूछे यहाँ तो नाम बिकता है 

किसी मजदूर के फन की कोई गिनती नहीं होती

 …

Continue

Added by rajesh kumari on July 23, 2016 at 6:30pm — 12 Comments

"विसर्जन" लघुकथा

अखबार हाथ में लेकर सृजन लगभग दौड़ते हुए  घर  मे घुसा

"मम्मा!, पापा! ये देखो ये तो वही है ने जो हमारे गणपति बप्पा को..."…

Continue

Added by नयना(आरती)कानिटकर on July 23, 2016 at 3:30pm — 12 Comments

महाराणा प्रताप (वीर छंद प्रयास)

वीर कहीं रावल बप्पा थे,राणा कुम्भा की थी शान

आधी देह संग लड़ जाते,राणा सांगा बहुत महान

जिनके पुरखों की गाथा का,कर पाया न कोई बखान

कहें महाराणा जी सारे,उन प्रताप का गाऊं गान



जैवन्ता बाई थी माता,औ उदय सिंह जी थे तात

बड़े चाव से उनको पाला,शुरु से सीखी अच्छी बात

पलते-बढ़ते ही राणा ने,दुश्मन की जानी औकात

मौके पर ही धोखा देदे,ऐसी थी अकबर की जात



अकबर ने तो यह सोचा था,जीतेगा वह हिंदुस्तान

नतमस्तक बहु राज्य हुए थे,बढ़ जाती थी उसकी… Continue

Added by सतविन्द्र कुमार राणा on July 23, 2016 at 7:48am — 4 Comments

बहुत क़र्ज़ है पापा मुझ पर

बहुत कर्ज़ है पापा मुझ पर

कैसे अदा करूं|



बचपन में मैं जब छोटी थी

कैरम की जैसे गोटी थी

घूमा करती छत के ऊपर

कभी न टिकती एक जगह पर

उन सपनों को उन लम्हों को 

कैसे जुदा करूँ ।



सुबह सुबह उठ कर तुम पापा

सरदी में ना करते कांपा

मुझे उठा कर मुंह धुलवाते

शिशु कवितायें भी तुम सिखलाते

कहाँ छिप गये तुम तो जा कर

कैसे निदा  करूं|

मेरे विवाह के थे वह फेरे

आँखों पर रूमाल के डेरे

थकी कमर थी, थकी थी…

Continue

Added by Abha saxena Doonwi on July 22, 2016 at 10:00pm — 7 Comments

सावन

इस बार सावन कुछ और होगा 

सखियों की छेड़ छाड़

और

और पिया का संग होगा |

झूलों पर गुनगुनाते गीत होंगे

फूलों के खुशबू

और

और पिया से मिलन होगा |

गुन गुनाएंगे पत्ते भी

हरी हरी डालियों पर

बिजली जब भी चमकेगी

पिया के आग़ोश में

यौवन पिघलेगा|

अधरों पर अधर

गीतों की फुहार होगी

सावन में लहेरिया पहने

सजन से मिलने की ख्वाहिश 

सजन होंगे प्रीत होगी

अब के सावन कुछ और होगा |

नाचेंगे मोर बागों…

Continue

Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 22, 2016 at 6:30pm — 3 Comments

जाने किस ऊंचाई पर सब लोग जाना चाहते

२१२२ २१२२ २१२२ २१२2

जाने किस ऊंचाई पर सब लोग जाना चाहते है

हो जमी पे ही खड़े सब क्या दिखाना चाहते हैं

 

जो समंदर पार  के ले आदमी वो ही बड़ा अब

आप ऐसी सोच रखकर क्या जताना चाहते है

 

आदि से कंगूरों की सूरत टिकी जिस नीव पर थी

आप क्यूँ उस नीव को ही अब भुलाना चाहते हैं

 

बंगले नौकर गाडी मोटर की तमन्ना तो नयी अब

पर अभी भी प्यार दिल में हम पुराना चाहते हैं

 

पढ़ लिया इतिहास सबने जानते अंजाम भी सब

फिर भी…

Continue

Added by Dr Ashutosh Mishra on July 22, 2016 at 1:30pm — 6 Comments

राम-रावण कथा (पूर्व-पीठिका) 30

कल से आगे ...

सभाकक्ष में सुमाली के साथ एक अपरिचित व्यक्ति भी प्रतीक्षारत था। वज्रमुष्टि, प्रहस्त और अकंपन भी उपस्थित थे। रावण के प्रवेश करते ही सब उठ कर खड़े हो गये। रावण अपने सिंहासन पर आसीन हुआ। अभिवादन की औपचारिकताओं के बाद उसने सुमाली से पूछा -

‘‘यह अपरिचित सज्जन कौन हैं मातामह ?’’

‘‘लंकेश्वर ! ये तुम्हारे भ्राता कुबेर के दूत हैं। उनका संदेश लेकर आये हैं।’’

‘‘महाराज ! मैं श्वेतांक हूँ, लोकपाल, धनपति कुबेर का दूत !’’

‘‘कहिये भ्राता कुशल से तो हैं ? और…

Continue

Added by Sulabh Agnihotri on July 22, 2016 at 9:15am — 2 Comments

"मौन"कुर्सी मायावी है

रणवीर सिंह और अशोक कालकर  दोनो ने गुड़गाँव मे एक साथ  एक मल्टीनेशनल कंपनी ने ज्वाइन किया था । दो भिन्न संस्कृति, मातृभाषा के वे तीसरी तरह की संस्कृति मे रचने-बसने का प्रयत्न करने लगे थे। धीरे-धीरे आपसी मित्रता गहरा गई. ऑफ़िस के …

Continue

Added by नयना(आरती)कानिटकर on July 21, 2016 at 9:28pm — 4 Comments

बेला महका

नव गीत.....

बेला महका.......



बेला महका चम्पा महकी

महकी है कचनार

झूम रहीं सब काकी बहनें

नृृत्य करें हर बार।

गाँव में शादी है होली

फूलों से सजती है डोली

संबन्धी ने भेजा न्योता

गाँव मेरे अब क्यों ना आता

बातों की भर मार।

रात रात भर बेला जागा

खिल न सका वह कहीं अभागा

कहीं गुंथ गया गजरे अन्दर

समझ रहा वह तुझे सिकन्दर

नहीं पा सकी पार।

बचपन बीता यौवन आया

शैतानी ने कदम बढ़ाया

तंत्र मंत्र…

Continue

Added by Abha saxena Doonwi on July 21, 2016 at 7:21pm — 8 Comments

चन्द हाइकू

चन्द हाइकू:
---------------

कवि हृदय
निश्छल सा आशिक
शब्दों से प्यार।

छँटे तमस
मन पर पसरा
शब्द उजाला।

कल्पना सधे
झूठ-कपट भगे
सज्जन कवि।

शब्द साधना
विश्व की जागृति
रचनाकार।

प्रकृति प्रेम
पर्यावरण सेवा
शब्द उद्गार।

राष्ट्र भावना
बलवती अपार
करे सृजन।

समाजिकता
सोहार्द को बढ़ावा
सत्य उद्गार।

मौलिक एवम् अप्रकाशित

Added by सतविन्द्र कुमार राणा on July 21, 2016 at 4:30pm — 8 Comments

चैन लुटा जब नैन मिले

मदिरा सवैया

चैन लुटा जब नैन मिले
तन औ मन की सुध भी न रही।

कोमल भाव जगे उर में
शुचि-शीतल-स्नेह-बयार बही।।

मौन रहे मुख नैनन ने
प्रिय से मन की हर बात कही।

चंद्र निहारत रैन कटें
मन की अब पीर न जाय सही।।

रचना-रामबली गुप्ता
मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by रामबली गुप्ता on July 21, 2016 at 4:30pm — 12 Comments

इच्छापूर्ति(लघुकथा)राहिला

"चलो अच्छा है,आखिरकार जीजाजी के सर का बोझ कुछ तो हल्का हुआ"

"अरी! अब तो बाकी की दोनों लड़कियाँ झट से निपट जाएँगी ।ये तो सुचि ही रंगरूप में इतनी गयीबीती थी, कि चार साल लग गए मौसाजी को चप्पल चटकाते ।उन दोनों के रिश्तों की तो लाइन लगी है।"

"वो तो आज भी चप्पल ही चटकाते फिरते ,अगर सुचि ने लड़का खुद पसंद न किया होता तो।"

"हाय...,क्या कह रही हो? तो क्या ये पसंद की शादी है।"

"और क्या। सहकर्मी है सुचि का।"

"लेकिन लड़के ने इसमें क्या देखा ?"

"उसकी सरकारी नौकरी और क्या?"वो मुँह… Continue

Added by Rahila on July 21, 2016 at 3:12pm — 14 Comments

पडौसी देश के नाम [ कुण्डलियाँ छंद ]

मेरे घर की आग में,,सेंक रहा है हाथ

दूत बने शैतान के , देता उनका साथ

देता उनका साथ ,लगा मति पर  है ताला

ड्रेगन धुन पर नाच ,करे होकर बेताला

जग पर जाहिर आज ,सभी मंसूबे तेरे

छोड़ लगाना आग ,बाज आ भाई मेरे

 

 

छोड़ें ढुलमुल रीत को ,अब उँगली लें मोड़

रोग पुराना हो रहा ,खोजें दूजा तोड़

खोजें दूजा तोड़ ,नहीं अब मीठी गोली

बातें जफ्फी खूब ,खूब समझाइश हो ली

हमको सकता बाँट ,ख़्वाब उसका ये तोड़ें

सच में हों गंभीर ,महज…

Continue

Added by pratibha pande on July 21, 2016 at 12:30pm — 22 Comments

राम-रावण कथा (पूर्व-पीठिका) 29

पूर्व से आगे ...........

चारों कुमार धीरे-धीरे बड़े होने लगे।

अयोध्या में राज-परिवार ही नहीं प्रजा के भी चहेते थे चारों बाल-कुमार।



विधाता ने उन्हें छवि भी तो अद्भुत प्रदान की थी। उनमें भी श्यामल होते हुये भी राम के सौन्दर्य की तो कोई उपमा ही नहीं थी। पुष्ट-गुदगुदा शरीर, अपनी वय के अनुसार श्रेष्ठ लम्बाई, सदैव आसपास की प्रत्येक वस्तु को पूरी तरह समझने को तत्पर्य आँखें। उसकी चंचलता में भी अद्भुत सौम्यता थी जो किसी ने और कहीं देखी ही नहीं थी। राम की सौम्यता के…

Continue

Added by Sulabh Agnihotri on July 21, 2016 at 10:57am — 2 Comments

राम-रावण कथा (पूर्व-पीठिका) 27, 28

कल से आगे ...........

27

मंगला के वेद भइया आ गये थे।

उनके आते ही मंगला जुगत में लग गई कि कैसे अपना सवाल उनके सामने रखा जाये। उन्हें तो भीतर अंतःपुर में आने का अवकाश ही नहीं मिलता था। भाइयों से करने को अनेक बातें थीं, मित्रों से मिलना था, उनके साथ कभी न समाप्त होने वाले असंख्य संस्मरण साझा करने थे और भी जाने क्या-क्या था करने को। बस इसी सब में लगे रहते थे। उन्हें…

Continue

Added by Sulabh Agnihotri on July 21, 2016 at 10:30am — 2 Comments

दोहे!

ईमान पर न टंगती, आज देश की नीति

बे-ईमानी हो गई, हर पार्टी की रीति  |1|

भूल हुई है आम से, जनता अब पछताय    

बाहर पहुंच  दाल है, भात नमक से खाय |२|   

टूट गये  सब वायदे, समय हुआ प्रतिकूल

अब चुनाव ही हारकर, वो समझेगा भूल |३|

शुभदिन अब कब आयगा, हुए भले दिन दूर

महँगाई को झेलने, जनता है मजबूर |४|

देखा समतावाद को,  है स्वांग अर्थ हीन

धनियों की यह मंडली,  दूर है  दीन हीन |५|

मौलिक…

Continue

Added by Kalipad Prasad Mandal on July 21, 2016 at 9:30am — 5 Comments

मन उस आँगन ले जाए ( गीतिका )

 

आकर साजन तू ही ले जा क्यूँ ये सावन ले जाए

अधरों पर छायी मस्ती ये क्यूँ अपनापन ले जाए

 

भिगो रहा है बरस-बरस कर मेघ नशीला ये काला

कहीं न ये यौवन की खुश्बू मन का चन्दन ले जाए

 

कड़क-गरज डरपाती बिजली पल-पल नभ में दौड़ रही

कहीं न ये चितवन के सपने संचित कुंदन ले जाए

 

बिंदी की ये जगमग-जगमग खनखन मेरी चूड़ी की,

बूँदों की ये रिमझिम टपटप छनछन-छनछन ले जाए

 

पुहुप बढाते दिल की धड़कन शाखें नम कर डोल…

Continue

Added by Ashok Kumar Raktale on July 20, 2016 at 1:00pm — 28 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service