For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ईमान पर न टंगती, आज देश की नीति

बे-ईमानी हो गई, हर पार्टी की रीति  |1|

भूल हुई है आम से, जनता अब पछताय    

बाहर पहुंच  दाल है, भात नमक से खाय |२|   

टूट गये  सब वायदे, समय हुआ प्रतिकूल

अब चुनाव ही हारकर, वो समझेगा भूल |३|

शुभदिन अब कब आयगा, हुए भले दिन दूर

महँगाई को झेलने, जनता है मजबूर |४|

देखा समतावाद को,  है स्वांग अर्थ हीन

धनियों की यह मंडली,  दूर है  दीन हीन |५|

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 419

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 25, 2016 at 9:36am

आदरणीय काली पद भाई . दोहा वली के लिये हार्दिक बधाइयाँ ! आ. अशोक भाई जी के उचित सलाहों लर गौर कीजियेगा ।

Comment by Ravi Prabhakar on July 22, 2016 at 8:10am

आदरणीय /बाहर पहुंच दाल है/ , /टूट गई सब बायदे/ , /शुभदिन अब कब आयगा/ , /धनियों का है मंडली/  इस सब के बारे में आदरणीय अशोक सर कर चुके हैं। चूंकि काव्‍य मेरी विधा नहीं है पर फिर भी ये मुझे भी अखर रहे हैं। गुणीजनों की सलाह पर ग़ौर फरमाएं । सादर

Comment by Samar kabeer on July 21, 2016 at 3:14pm
जनाब कालीपद प्रसाद जी आदाब,भाव को देखे तो आपके दोहे अच्छे लगे,बधाई स्वीकार करें ।
वैसे जनाब अशोक कुमार रक्ताले जी बता ही चुके हैं उनकी सलाह पर ध्यान दीजियेगा ।
Comment by Ashok Kumar Raktale on July 21, 2016 at 1:30pm

आदरणीय कालीपद प्रसाद मंडल जी सादर, अच्छा प्रयास हुआ है आपका दोहों पर.फिरभी कुछ और ध्यान देने की आवश्यकता है. सादर.

ईमान पर न टंगती, आज देश की नीति

बे-ईमानी हो गई, हर पार्टी की नीति |1|.......नीति/नीति समान्त हो गया है.

भूल हुई है आम से, जनता अब पछताय    

बाहर पहुंच दाल है, भात नमक से खाय |२|............पहुँच को पहुंच लिखना उचित नहीं है. फिर //बाहर पहुँच दाल है//..कहन सही नहीं है. 

टूट गई सब बायदे, समय हुआ प्रतिकूल

हारकर फिर चुनाव में, वो समझेगा भूल |३|......टूट गई/गए ..बायदे/वायदे /// हारकर फिर चुनाव में ......इसे // अब चुनाव ही हारकर //....इसतरह किया जा सकता है.

शुभदिन अब कब आयगा, हुए भले दिन दूर

महँगाई को झेलने, जनता है मजबूर |४|.........अच्छा दोहा हुआ है.किन्तु आएगा को आयगा करना ठीक नहीं है.

देखा समतावाद को, है स्वांग अर्थ हीन

धनियों का है मंडली, है दूर दीन हीन |५|.......दोनों ही सम चरणों में गेयता सही नहीं है.//धनियों /धनिकों  का/की

Comment by Ram Sharma on July 21, 2016 at 12:00pm
वाह जी, बहुत बढ़िया दोहे

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"दोहे******करता युद्ध विनाश है, सदा छीन सुख चैनजहाँ शांति नित प्रेम से, कटते हैं दिन-रैन।१।*तोपों…"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"स्वागतम्"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश , आपका चुनाव अच्छा है , वैसे चुनने का अधिकार  तुम्हारा ही है , फिर भी आपके चुनाव से…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"एक अँधेरा लाख सितारे एक निराशा लाख सहारे....इंदीवर साहब का लिखा हुआ ये गीत मेरा पसंदीदा है...और…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"//मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक अलग तह बन के रहती है// मगर.. मलाई अपने आप कभी दूध से अलग नहीं होती, जैसे…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय जज़्बातों से लबरेज़ अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। मतले पर अच्छी चर्चा हो रही…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 179 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"बिरह में किस को बताएं उदास हैं कितने किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितने सादर "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"सादर नमन सर "
yesterday
Mayank Kumar Dwivedi updated their profile
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब.दूध और मलाई दिखने को साथ दीखते हैं लेकिन मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service