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रोला छंद ......

रोला छंद .....

साबुन बचा न शेष, देह काली  की  काली ।
पहन हंस  का भेष , मनाये  काग  दिवाली ।
नकली जग के फूल, यहाँ का नकली माली।
सत्य  यहाँ पर मौन , झूठ की बजती ताली ।
------------------------------------------ ----------

खूब  किया  शृंगार, लगाई  बिन्दी   लाली ।
घरवाली को छोड़ ,सजन को भायी साली ।
रखना लेकिन याद ,काम अपने ही  आते ।
ऐसे  झूठे  साथ , बाद  में  बहुत   रुलाते  ।

सुशील सरना / 22-3-22

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Added by Sushil Sarna on March 22, 2022 at 4:53pm — 6 Comments

नेता के बोल

(वोट के पहले)

वोट माँगने आए हैं, जोड़ कर दोना हाथ

बोले कभी न छोड़ेंगे, हम जनता का साथ

इस जनता का साथ, कभी जो हमने छोड़ा

उम्मीदों का तार, जैसे हो हम हीं ने तोड़ा

भूखा होगा कोई ना, ना सोएगा खाली पेट

हर कोई शिक्षा पाएगा, विद्यालय में…

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Added by AMAN SINHA on March 22, 2022 at 10:30am — No Comments

आभार - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर" (दोहे)

मात -पिता ने जन्म दे, पाला, किया दुलार।

प्रथम करें हम इसलिए, उनका ही आभार।।

*

गुरुओं ने जो  ज्ञान दे, जीवन दिया सँवार।

चाहे जितना भी करें, कम पड़ता आभार।।

*

सखा, सहेली, मीत जो, सुख दुख में तैयार।

उनका भी तो हम करें, नित थोड़ा आभार।।

**

आस - पड़ौसी जो करें, प्रेम भरा व्यवहार।

हक से उनका भी करें, चलो आज आभार।।

*

सदा चिकित्सक दे दवा, करते हैं उपचार।

जीवन रक्षण के लिए, उनका भी आभार।।

*

अन्य सभी जो  भी  हुए, जीवन  में…

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Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 21, 2022 at 10:00pm — 4 Comments

रोला छंद .......

रोला छंद .....

मात्र नहीं संयोग ,जीव का सुख-दुख  पाना ।
सीमित तन में श्वास,लौट के सब के  जाना ।
भोर-साँझ आभास, जगत  है  झूठी  आशा ।
आदि संग अवसान, ईश का अजब तमाशा ।

***********************************

समझो मन की बात, रात है सजनी  छोटी ।
आ जाओ कुछ पास, प्रेम की  सेकें  रोटी ।
यौवन के दिन चार, न  लौटे कभी जवानी ।
लिख डालें फिर आज,प्रेम की नई कहानी ।

सुशील सरना / 21-3-22

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Added by Sushil Sarna on March 21, 2022 at 1:00pm — 5 Comments

वानिकी के दोहे

सदा कीजिए वानिकी, मिलती इससे छाँव।

नगर प्रदूषण से  रहित, प्यारा  लगता गाँव।।

*

जन जीवन है पेड़ से, नहीं पेड़ को काट।

पेड़ बिना है यह  धरा, बस  रेतीला घाट।।

*

अपने दम पर वानिकी, जीवित रखे पहाड़।

बची नहीं  जो  वानिकी, धरती  बने उजाड़।।

*

इन से ही सुन्दर लगे, इस धरती का रूप।

पेड़ बहुत हैं  काम  के, हरते  तपती धूप।।

*

वन सिखलाते हैं सदा, जीवन की हर रीत।

पुरखों ने सच ही कहा, इनको अपना मीत।।

*

पर्वत पथ तट जो रहे, लम्बी…

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Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 20, 2022 at 10:00pm — 3 Comments

होली पर कुछ चुटकियाँ. . . . .

सभी मित्रों को होली की हार्दिक बधाई

कुछ चुटकियाँ होली पर ....

पत्नि कर दे न

तो बोलो कैसे होगी हाँ

जरा तो सोचो यारा

जोगी रा सा रा रा रा

पत्नी कर दे हाँ

तो बोलो कैसे होगी न

जरा तो सोचो यारा

जोगी रा सा रा रा रा

कैसी लगती भंग

लगे न जब तक नार को रंग

जरा तो सोचो यारा

जोगी रा सा रा रा रा

नैन नैन से रार करे

कैसे लगायें रंग

जरा तो सोचो यारा

जोगी रा सा रा रा रा…

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Added by Sushil Sarna on March 18, 2022 at 1:25pm — 2 Comments

यम का ग़म

भैंसे पर बैठे हुए आ धमके यमराज

बोले बच्चा खत्म हुए सकल तुम्हारे काज

अपने सभी परिजन को देख ले अंतिम बार

यमलोक को जाने को तुम अब हो जाओ तैयार

 

वो बोली मैं चलती हूँ बस काम पड़े है चार 

कपडे, बर्तन बाकि है धर दूँ मैं आचार

रसोई अभी तक हुई नहीं, नहीं बना आहार

कैसे अभी मैं चल पडू छोड कर ये…

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Added by AMAN SINHA on March 18, 2022 at 12:29pm — No Comments


सदस्य टीम प्रबंधन
गजल - जा तुझे इश्क हो // -- सौरभ

२१२ २१२ २१२ २१२ 
 
पुतलियों ने कहा, जा तुझे इश्क हो

फागुनी है हवा, जा तुझे इश्क हो

 

हैं कई मायने रंग औ’ गंध के

गर नहीं ये पता, जा तुझे इश्क हो

 

चुन रहे थे सदा कौडियाँ, शंख-सीप

फिर समुंदर हँसा, ’जा तुझे इश्क हो’

 

चैत्र-बैसाख की थिर-मदिर साँझ में

टेरती है हवा.. ’जा तुझे इश्क हो’

 

देख कर ये गगन गेरुआ-गेरुआ

गा उठी है धरा, जा तुझे इश्क हो

 

उपनिषद गा रहे सुन सखे,…
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Added by Saurabh Pandey on March 17, 2022 at 8:00pm — 10 Comments

याद आ रही है

याद आ रही है

उन गलियों की

जहां खेल कर मैं बड़ा हुआ

उन राहों की जो आज भी

मेरे मन मे बसते है

वो कच्चा मकान

जिसमे मेरा बचपन बिता

वो छोटी दुकान जिसमे ना जाने

कितनी उधारी रह गयी…

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Added by AMAN SINHA on March 17, 2022 at 1:00pm — 2 Comments

होली

मन की कारिख धोई कै,  प्रेम रंग चटकाय

मोद सरोवर  डूबिए, काम, क्रोध विलगाय



पाप ताप की होलिका जब जारै कोई बुद्ध

प्रकटै तब आह्लाद संग नित्य, मुक्त जो शुद्ध



ज्ञानाग्नि में दहन कर , सभी शुभ अशुभ कर्म

होली हो वैराग्य की, जाने सत का…

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Added by Usha Awasthi on March 16, 2022 at 11:50pm — 8 Comments

होली  की  हर रीत (दोह) - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अहंकार की हार हो, जीते नित्य विनीत।

इतना ही  संदेश  दे, होली  की  हर रीत।१।

*

दहन होलिका का करो, होली के त्योहार।

तजकर ही होली मने, पाखण्डी व्यवहार।२।

*

रंग अनोखे  थाल  भर, हर  घर गाती फाग।

होली कहती मिल गले, भेद भाव को त्याग।३।

*

कहकर बाँटें रंग ढब, मत रख खाली हाथ।

निखरा लाल पलास तो, सेमल आया साथ।४।

*

होली सब को पर्व हो, चाहे बिलकुल एक।

मन में उठी उमंग  जो, उस के अर्थ अनेक।५।

*

चाहे सूखी खेलना, या फिर पानी डाल।

पर्व…

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Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 16, 2022 at 10:27pm — 2 Comments

कैंसर

क्या?

क्या कहा तुमने ?

अब और जी ना पाओगे

चल पड़े हो लम्बे सफर पर

अब कभी लौट के ना आओगे

मैंने देखा है तुम्हे

 

रात को छुप के तन्हाई…

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Added by AMAN SINHA on March 16, 2022 at 11:30am — 2 Comments

होली मुक्तक ( सरसी छंद ) .....

होली मुक्तक  (सरसी छंद )......

बार - बार पिचकारी ताने, मारे भर -भर  रंग ।

भीगी  मोरी  अँगिया  चोली , भीगे  सारे अंग ।

मार शरम के मर-मर जाऊँ,लाल हो गए गाल -

बेदर्दी को  लाज न  आवे, छेड़े  पी  कर  भंग ।

---------------------------------------------------------

जुल्मी कितना जुल्म करे है, देखो पी कर भंग ।

मदहोशी में  रंग  लगावे , खूब  करे  फिर  तंग ।

अंग- अंग से छेड़ करे वो,तनिक न आवे लाज -

बार - बार  वो  रंग लगावे , खूब  करे  हुडदंग …

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Added by Sushil Sarna on March 15, 2022 at 1:30pm — 4 Comments

कोरोना का डर

सुबह निंद से जागा तो मैं काँप उठा

सर्दी कड़क की थी पर मेरे तन से भांप उठा

एक जकड़न सी थी पूरे बदन मे मेरे

हाथ ऊपर जो उठाया तो बदन जाग उठा

 

पहले कभी मुझे ऐसा लगा ही नहीं

मर्ज़ हल्का हीं रहा कभी बढ़ा ही नहीं

लगा ये रोग मुझे कैसे क्या बताऊँ मैं

कभी बदनाम उन गलियों मे मैं गया ही नहीं

 

थोड़ी सर्दी थी लगी और ये तन तपता था

ज़रा बदन भी मेरा आज जैसे दुखता था

सर दबाया मैंने खूब मगर फर्क पड़ा हीं नही

एक…

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Added by AMAN SINHA on March 15, 2022 at 12:01pm — No Comments

दोहा मुक्तक ......

दोहा मुक्तक 

1

मिट्टी का घर  ढूँढते, भटक  रहे  हैं  पाँव।
कहाँ गई पगडंडियाँ, कहाँ गए वो  गाँव ।
पीपल बूढ़ा हो गया, मौन हुए सब  कूप -
काली सड़कों पर हुई, दुर्लभ ठंडी छाँव ।

2.

कच्चे घर  पक्के  हुए, बदल  गया  परिवेश ।
छीन लिया हल बैल का, ट्रेक्टर ने अब देश ।
बदले- बदले अब लगें , भोर साँझ  के  रंग  -
वर्तमान  में  गाँव  का, बदल  गया  है  पेश ।
(पेश =रूप, आकार )

सुशील सरना / 14-3-22

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Added by Sushil Sarna on March 14, 2022 at 3:14pm — 2 Comments

क्या होगा मेरे मरने के बाद

क्या होगा मेरे मरने के बाद?

मेरी लाश को उठाएंगे

नाक को दबाते हुए

शरिर को छूएँगे मगर

खुदको बचाते हुए

 

बच्चे कुछ दिन रोएँगे, गाएँगे

मेरी यादों मे डूब जाएंगे

बीबी की चूड़ियाँ तोडी जाएगी

सिंदूर मिटाया जाएगा

सफ़ेद सारी पहनाई जाएगी

कुछ लोग जो…

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Added by AMAN SINHA on March 14, 2022 at 12:17pm — 7 Comments

अनोखे रंग - दोहे

फैला आँचल है बहुत, लेकिन चोली तंग।

धरा  देश  की  देखिए, लिए  अनोखे रंग।।

*

भरें अनोखे रंग नित, जीवन में त्योहार।

तभी सनातन धर्म में, है इनकी भरमार।।

*

बहना, माता, सहचरी, बंधु , तात आधार।

भरे अनोखे रंग नित, मीत रूप में प्यार।।

*

बचपन यौवन वृद्धता, चलते संग कुसंग।

नित  जीवन  देता  रहा, हमें  अनोखे रंग।।

*

बड़े अनोखे  रंग  यूँ, रखती धरती पास।

पानी पानी है कहीं, कहीं सिर्फ है प्यास।।

*

विविध अनोखे रंग की, मौसम मौसम धार।

धरती…

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Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 13, 2022 at 11:54pm — 4 Comments

दोहा सप्तक. . . .

दोहा सप्तक ....

नारी अब सक्षम हुई, मुक्त हुई परवाज़ ।

विश्व पटल पर गूँजती, नारी की आवाज़ ।।

नर से नारी माँगती, बस थोड़ा सा प्यार ।

बदले में उसको मिला, धोखे का संसार ।।

 

चूल्हा चक्की छोड़ दी, तोड़े बंधन तार ।

अब नारी ने रच दिया,  एक नया संसार ।।

अम्बर को छूने चली, कल की अबला नार ।

नर के पौरुष का हुआ, तार- तार संसार ।।

नारी ताकत पुरुष की , स्वयं नहीं कमजोर ।

अनुपम कृति वो ईश की, वो आशा की भोर…

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Added by Sushil Sarna on March 12, 2022 at 7:43pm — 3 Comments

धोखा हो गया

हज़ारों यहाँ इश्क़ में बीमार बैठे है

जीस गली में देखो दो चार बैठे है

किसी काम में अब जी नहीं लगता इनका

लोग कहते है की ये सब बेकार बैठे है

 

उंगलिया हटती नहीं कभी इनकी चैटिंग से

वक्त मिलता नही इनको कभी भी डेटिंग से

हर दिन बदलते है ये प्रोफाइल कपड़ो की तरह

फर्क पड़ता है इन्हे बस टिंडर की सेटिंग से

 

साथ इनके है अभी कल कोई नया आएगा

भूल जाएगा ये भी वो भी इन्हें भूल जाएगा

दिल का टूटना तो बस एक छलावा है

ये किसी…

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Added by AMAN SINHA on March 12, 2022 at 11:44am — No Comments

केसरी

रंग है ये शान का रंग है ये आन का

वीरों के मान का देश के अभिमान का

रंग है बखान का प्राणों के दान का

सीमा पर जो मर मिटे उनके बलिदान का

 

रंग है ललकार का शत्रु पर वार का

शेरों से जा भिड़े जो उनके हुंकार का

रंग है ये आस का मन के विश्वास का

दुष्टों को ताड़ दे उस शुभ के आभास का

 

रंग है प्रताप का रंग है सुभाष का

तिलक का रंग है और रंग है आज़ाद का

रंग है कमान का वीरों के बाण का

आश्रित कभी न हो उस सत्य के प्रमाण…

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Added by AMAN SINHA on March 11, 2022 at 12:47pm — No Comments

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