For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

July 2011 Blog Posts (106)

मन की मस्ती ,

मन की मस्ती ,

तन की चाहत ,
आता हैं सावन ,
मिलती हैं राहत ,
रिमझिम रिमझिम ,
बरसे हैं बादल ,
तड़पे हैं दिल  ,
बेकरारी का आलम…
Continue

Added by Rash Bihari Ravi on July 11, 2011 at 11:30am — 21 Comments

शोर-ए-दिल

उनकी ज़फ़ा का हमको, क्यूँ ऐतबार आये |

वो आज-कल खफा हैं, दिल कैसे मान जाए ||

माना की आज-कल वो, कुछ दूर हो गए हैं |

हम जानतें हैं की वो, मजबूर हो गए हैं ||

रुसवाइयों के डर से, वो रुख को है छुपाये | वो आज-कल खफा हैं

जो दिल तड़प रहा है, वो ज़रूर होंगे गम में |

जो समझ रहें हैं हमको, वो ज़रूर होंगें हममें ||

साए में आँसुओं के, हम कैसे मुस्कराएँ | वो आज-कल खफा हैं

ऐ दिल उदास न हो, अभी कुछ हुआ नहीं है |

क्यूँ कर रहा यकीं है, असर-ए-दुआ दुआ नहीं है ||

कुछ… Continue

Added by Shashi Mehra on July 11, 2011 at 10:11am — 1 Comment

जरा इधर भी करें नजरें इनायत

1. समारू - टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाले में राजग पर भी उंगली उठी।

पहारू - भ्रष्टाचार के हमाम में सभी नंगे हैं।



2.समारू - केन्द्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल होने वाला है।

पहारू - काले कारनामे वाले कुछ जाएंगे, कुछ आएंगे।



3.समारू -  अन्ना हजारे लाठी ही नहीं, गोली खाने को तैयार हैं।

पहारू - जरा संभलकर, दिल्ली पुलिस की तरह सरकार बौखलाई हुई है।



4.समारू - किसानों की जमीन के लिए उत्तरप्रदेश में जंग छिड़ी हुई है।

पहारू - जमीन के नाम पर राजनीति कर वोट की खेती…

Continue

Added by rajkumar sahu on July 11, 2011 at 1:02am — 1 Comment

मानसरोवर -३

 

इस दुनिया के निर्माता ने, सृष्टि के भाग्य विधाता ने.

मारुति-कृशानु के संगम से, भूमि -वारि और गगन से.

                 एक पुतला का निर्माण किया.

         मानव का नाम उचार दिया.

मांस -चर्म के इस तन में,नर -नारी के सुन्दर मन में.

एक समता का संचार किया, तन लाल रुधिर का धार दिया .

                  सबको समान दी सूर्य -सोम.

                सबको समान दी भूमि -ब्योम.

सबको चमड़े की काया दी. सबको  सृष्टि की छाया…

Continue

Added by satish mapatpuri on July 11, 2011 at 12:30am — 9 Comments

जरा इधर भी करें नजरें इनायत

1. समारू - छग कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल ने अलग बस्तर राज्य बनने पर सहमति जताई है।

पहारू - लगता है, दिग्गी राजा की बीमारी इन्हें भी लग गई है, मीडिया में छाए रहने की।





2. समारू - राहुल गांधी की किसान महापंचायत को नौटंकी बताया जा रहा है। पहारू - आखिर, राजनीति में होता क्या है ?





3. समारू - यूपी के फतेहपुर में ट्रेन हादसा हुआ है।

पहारू - सरकार श्रद्धांजलि देगी और कर देगी, मौत की कीमत का ऐलान।





4. समारू - राहुल गांधी ने कहा कि… Continue

Added by rajkumar sahu on July 10, 2011 at 5:40pm — No Comments

ग़ज़ल

बातइतनी समझ में आई है |
झूठ ही आजकल सच्चाई है ||


सब में जलवा-नुमाँ, खुदा खुद है |
दहर है, ये जगह खुदाई है ||


हया,वफ़ा हैं किताबों में, इसलिए हर सू |
बे-हयाई है, बे-वफाई है ||


दावा बेकार है, किसी शेय पर |
सोच तक तो, यहाँ पराई है ||


जाँचना मत जहां में रिश्ते |
जिसने जांचे हैं, चोट खाई है ||


खेल ज़ारी है, जिंदगानी का |
जीत हारी है,मात पाई है ||

Added by Shashi Mehra on July 10, 2011 at 11:30am — No Comments

क्यों नहीं किसानों की चिंता ?

भारत एक कृषि प्रधान देश है और अर्थव्यवस्था की रीढ़ कृषि को ही मानी जाती है। बावजूद, अन्नदाताओं की चिंता कहीं नजर नहीं आती। देश में भूमिपुत्रों की माली हालत बद्तर से बद्तर होती जा रही है और सरकार द्वारा महज नीतियां बनाने की बात की जाती है और जैसे ही चुनाव खत्म होते हैं, वैसे ही किसानों से जुड़े मुद्दे भी रद्दी की टोकरी में डाल दिए जाते हैं। सरकार की ओर से कृषि बजट को बढ़ाने तथा किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के बारे में जैसा प्रयास होना चाहिए, वैसा अब तक नहीं हो सका है। यही कारण है कि देश के…

Continue

Added by rajkumar sahu on July 10, 2011 at 1:44am — No Comments

वलवले

किये अपने पे, पछताता बहुत है |
तड़पता है, जो तड़पाता बहुत है ||
वो महफ़िल में, भी समझे, खुद को तंहा |
हो तन्हाई तो, घबराता बहुत है ||
कहे न, हाल के बारे में, कुछ भी |
सिर्फ माझी को, दोहराता बहत है ||
दिखावे के लिए है, मुस्कराता |
वो दिल ही दिल में, गम खाता बहुत है ||
किनारा कर लिया अपनों से उसने |
उसे खुद पर, तरस आता बहुत है ||
वो अब गैरों में अपने ढूंढ़ता है |
'शशि' के पास वो आता बहुत है ||

Added by Shashi Mehra on July 9, 2011 at 12:16pm — No Comments

शोर-ए-दिल

यह चक्कर क्या है, कि चक्कर समय का |

चला रहता है, यह थमता नहीं है ||



बुढापा इस कदर, हावी हुआ है |

जो पच जाता था, अब पचता नहीं है ||



मेरे ज़ख्मों पे, मरहम मत लगाओ |

अब इससे भी तो, कुछ बनता नहीं है ||



बहुत मांगीं दुआएँ, थक गया हूँ |

दुआओं में असर, लगता नहीं है ||



वो, है तो साँप, पर आदत है उसकी |

डराता है सिर्फ, डंसता नहीं है ||



हमें लगता था, कि वह हस रहा है |

अस्ल मैं जो कभी, हँसता नहीं है…

Continue

Added by Shashi Mehra on July 9, 2011 at 10:30am — 1 Comment

जरा इधर भी करें नजरें इनायत

1. समारू - एक-एक कर मंत्रियों पर गाज गिर रही है।

पहारू - हां, अब उनके भाग्य में जेल की रोटी लिखी है।





2. समारू - सुप्रीम कोर्ट के सख्त फैसलों से सरकारों की नींदे उड़ गई हैं।

पहारू - अब सरकारें कहां रह गई हैं, वो तो कठपुतली बनकर रह गई है।





3. समारू - राहुल बाबा, किसानों के दर्द को समझने निकले हैं।

पहारू - मगर यूपीए-2 के दर्द का मर्ज भी तो ढूंढना चाहिए।





4. समारू - सरकार, माओवादियों से वार्ता की तैयारी कर रही है।

पहारू - वार्ता के… Continue

Added by rajkumar sahu on July 9, 2011 at 2:04am — No Comments

अपनी लिखी पुस्तक शोर-ऐ-दिल से

अब मेरी आँख मैं, आँसू नहीं आने वाले |

लाख जी भर के, सता लें ये ज़माने वाले ||

अब तो शायद ही, किसी बात पे रोना आये |

हादसे इतने हुए, मुझको रुलाने वाले ||

जानता हूँ की नहीं लौट के, फिर आयेंगे |

जितने लम्हे थे, मेरे दिल को, लुभाने वाले ||

राह तकता हूँ, खुली आँख से सोते-सोते |

लौट जाएँ न कहीं, लौट के आने वाले ||

गैर होते तो, ज़माने से, गिला भी करते |

मेरे अपने हैं, मेरा चैन , चुराने वाले ||

कट तो जायेगी 'शशि', उम्र ये जैसे-तैसे |

हम भी रूठों… Continue

Added by Shashi Mehra on July 8, 2011 at 6:34pm — No Comments

सरस्वती वंदना

 

शुभ्र वस्त्र शांत रूप, नैनन में ज्ञानदृष्टि,

देवी हंसवाहिनी को हाथ जोड़ ध्याइये.…

Continue

Added by Er. Ambarish Srivastava on July 7, 2011 at 2:00am — 8 Comments

‘बाप भए चयनकर्ता तो जुगाड़ काहे न होए’

यह तो सभी जानते हैं कि आज क्रिकेट, भारत ही नहीं, दुनिया भर में एक ग्लैमरस खेल है और खेलप्रेमियों में इस खेल का जुनून सिर चढ़कर बोलता है। देश-दुनिया में ऐसे भी खेल प्रेमी मिलते हैं, जिनके लिए क्रिकेट ही सब कुछ है तथा उनके पसंदीदा क्रिकेटर भगवान होते हैं। क्रिकेट के प्रति खेलप्रेमियों में दीवानगी इस कदर देखी जाती है कि वे अपना खाना-पीना को भी दरकिनार कर देते हैं। विश्वकप समेत अन्य कई टूर्नामेंट में एक-एक बॉल पर उनकी नजरें टिकी रहती हैं और यही क्रिकेट का रोमांच उन्हें बांधे भी रखता है। एक-एक बॉल…

Continue

Added by rajkumar sahu on July 6, 2011 at 3:13am — No Comments

जरा इधर भी करें नजरें इनायत

1. समारू - भारतीय क्रिकेट टीम में श्रीकांत ने अपने बेटे का चयन किया है।

पहारू - बाप भए चयनकर्ता तो जुगाड़ कैसे न जमे।

 

2. समारू - मध्यप्रदेश में चिटफंड कंपनियों पर गाज गिरी।

पहारू - छग में भी ऐसा हो, तब तो।



3. समारू - केरल के मंदिर में एक लाख करोड़ का खजाना मिला है।

पहारू - यहां तो चवन्नी भी नसीब नहीं है।



4. समारू - छग में पीएमटी की परीक्षा तीसरी बार होने वाली है।

पहारू - देखना होगा, इस बार पेपर लीक कहां से होता है ?



5. समारू -…

Continue

Added by rajkumar sahu on July 6, 2011 at 12:31am — No Comments

ठीक है क्या ?

चाँद से पुछो बेबसी चीज है क्या

रात भर यूँ जागना ठीक है क्या

 

उन लम्हो को सम्भाल कर रक्खा है

अश्क जो बहे आँखो से मीत है क्या

 

जाने वालो ने कभी मुडके ना देखा

दिलमे है आग जलता दीप है क्या

 

दर्दो जहाँ मे कदम बढा के चले

हार का हो यकिन तो जीत है क्या

Added by kalpana on July 5, 2011 at 8:00pm — No Comments

कविता

कविता एक सुन्दर माध्यम अभिव्यक्ति का,
कविता एक कल्पना स्वरचित!
कविता एक मधुर लय ताल शब्दों का,
कविता एक यथार्थ शब्दरचित !
कविता एक संगम भावनाओ का,
कविता एक संसार हस्तरचित!
कविता एक प्रेरणा मनुष्य की,
कविता एक शब्द रचना ओज-संचित!
कविता एक मंथन व्यथित हृदय का,
कविता एक पुकार हृदय प्रेरित!!

Added by Vasudha Nigam on July 5, 2011 at 1:00pm — 1 Comment

मेरी भावनाएं ...

एक दिन ,

भावनाओ  की  पोटली  बांध 

निकल  पड़ी  घर  से ,

सोचा,

समुद्र  की  गहराईयों  में  दफ़न  कर  दूंगी  इन्हें ..

कमबख्तों  की  वजह  से  ..

हमेशा  कमजोर  पड़  जाती हूँ  ..

फेक  भी  आई  उन्हें ..

दूर  , बहुत  दूर

पर  ये  लहरें  भी  'न' .--

कहाँ  मेरा  कहा मानती  हैं ..

हर  लहर ....

उसे  उठा  कर  किनारे  पर  पटक  जाती , 

और  वो  दुष्ट  पोटली ..

दौड़ती  भागती  मेरे  ही …

Continue

Added by Anita Maurya on July 4, 2011 at 3:46pm — 15 Comments

हरे भरे हैं खेत सुहाने ,

हरे भरे हैं खेत सुहाने ,

देख के मचले ये दिवाने ,
जैसे होती सुबह की बेला ,
चिडियों का कोलाहल सुन के ,
उठ के प्रथम बैलो को ,
लगते हैं ये तो खिलने ,
हरे भरे हैं खेत सुहाने ,
देख के मचले ये दीवाने  ,
सुबह सुबह ले बैलो को ,
कंधे पे ये हल संभाले ,
दिन भर मेहनत करने वाले ,
शाम को लौटे थके हरे ,
सकून देती हरियाली ने…
Continue

Added by Rash Bihari Ravi on July 4, 2011 at 12:00pm — 12 Comments

ममतामयी माँ



माँ
शब्दों में न बांधी 
जा सकने वाली परिभाषा,
कोटिश: दुखों में छिपी 
सुखों की एक अभिलाषा....
तुम्हारा आँचल 
अनंत गगन को भी, 
छोटा कर देता
तुम्हारा प्यार 
समुद्र से विशाल दुखों 
को भी कम कर देता....
कहा से समाया है ,
तुममे इतना…
Continue

Added by Yogyata Mishra on July 4, 2011 at 11:14am — 2 Comments

श्रेय लेने का शुरूर

अक्सर देखा जाता है कि जब कोई उल्लेखनीय कार्य होता है तो उसका श्रेय लेने की होड़ मच जाती है और स्थिति मारामारी की बन जाती है। श्रेयमिजाजी लोग खास मिसाल पेश कर लेते हैं, तब वह इतिहास में अपना नाम दर्ज कराने भी उतारू हो जाता है। भले ही वह किसी भी रूप में हों ? आज जहां देखें वहां, केवल श्रेय लेने की होड़ दिखती है। ऐसा लगता है, जैसे गली-गली में ‘श्रेय की दुकान’ खुल गई है और वहां से जो जब चाहे, तब ‘श्रेय’ खरीदकर ले लाए। जैसे, बाजार से हम सेब खरीद कर ले आते हैं। फिर अपना एकाधिकार जमाने में उसे कहां देर… Continue

Added by rajkumar sahu on July 4, 2011 at 12:28am — No Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
5 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service