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मेरी भावनाएं ...

एक दिन ,

भावनाओ  की  पोटली  बांध 

निकल  पड़ी  घर  से ,

सोचा,

समुद्र  की  गहराईयों  में  दफ़न  कर  दूंगी  इन्हें ..

कमबख्तों  की  वजह  से  ..

हमेशा  कमजोर  पड़  जाती हूँ  ..

फेक  भी  आई  उन्हें ..

दूर  , बहुत  दूर

पर  ये  लहरें  भी  'न' .--

कहाँ  मेरा  कहा मानती  हैं ..

हर  लहर ....

उसे  उठा  कर  किनारे  पर  पटक  जाती , 

और  वो  दुष्ट  पोटली ..

दौड़ती  भागती  मेरे  ही  कदमो  में  आ  रूकती …  

उठा   ले  आई  उसे,  ये  'सोच  कर '

कल  फिर  आउंगी , और  फेंक  दूंगी  उन्हें 

दूर  'बहुत  दूर' .....

Views: 761

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Comment by राज लाली बटाला on July 27, 2011 at 8:42pm

उठा   ले  आई  उसे,  ये  'सोच  कर '

कल  फिर  आउंगी , और  फेंक  दूंगी  उन्हें 

दूर  'बहुत  दूर' ..... !! khoob!!

Comment by SURINDER RATTI on July 11, 2011 at 2:37pm
Anita Ji, Kya baat hai, bhaavnaon ki baat na puchhiye, Na khatm hone wala silsila hai, lahron ki tarah roz nayi bhaavneyein uthegi aur phir gum ho jayengi .. sunder  kavita ke liye Badhayi  
Comment by HIRALAL KASHYAP on July 10, 2011 at 9:33pm

JEEVAN ME JO SOCHA NAHI HOTA HAI

SAPNE ME JO NAHI SOCHA WAHI HOTA HAI

Comment by Tapan Dubey on July 9, 2011 at 1:04pm
Bahut khub
Comment by shrikantpandey on July 7, 2011 at 2:19pm
bhawnaye kabhi sath nahi chhodti, bhawnawo ka sath hona hi to bhata hai ,bhawna nahi to jivan kaisa? bahut bahut dhanyabad.
Comment by Anand kumar Ojha on July 7, 2011 at 9:22am

Bahut khub ..

 

Comment by Anita Maurya on July 6, 2011 at 5:16pm
बहुत बहुत शुक्रिया.. बहुत दिनों बाद OBO पर कुछ लिखा है .. आप लोगों ने पढ़ा और सराहा.. इसके लिए सादर धन्यवाद्..

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 6, 2011 at 1:38am
शैली को बलौस रखा..
//कमबख्तों की वजह से
हमेशा कमजोर पड़ जाती हूँ//
बजुत खूब..
Comment by आशीष यादव on July 5, 2011 at 7:14pm
भावनाओं पर एक बहुत ही सुन्दर कविता है| ये भी बात सच है की इंसान जब तक इंसान है भावनाएं अवश्य ही आएँगी उसके अन्दर|
सुन्दर कविता, सुन्दर शब्दों से रचित,
बहुत-बहुत धन्यवाद

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 5, 2011 at 6:54pm
अनीता जी, सच कहूँ तो बहुत दिनों बाद इस tarah की खुबसूरत कविता सामने आई है , बहुत ही भावपूर्ण कविता है, बधाई आपको इस खुबसूरत और भावनात्मक प्रस्तुति हेतु |

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