शुभ्र वस्त्र शांत रूप, नैनन में ज्ञानदृष्टि,
देवी हंसवाहिनी को हाथ जोड़ ध्याइये.
चरण कमल से हैं, आसन कमल का है,
ब्राह्मी ज्ञान दायिनी को, शीश ये नवाइये.
पुस्तक प्रतीक ज्ञान, वीणा सुर पहचान,
प्राणवायु ज्ञान की तो अब बन जाइये..
त्यागें द्वेष भाव और भूलें सब बैर-भाव,
ज्ञान बाँट-बाँट सृष्टि, स्वर्ग ही बनाइये,
--अम्बरीष श्रीवास्तव
Comment
स्वागत है मित्र अरुण जी ! इसे सराहने के लिए हृदय से आभार मित्रवर!
आज हिंदी दिवस के सन्दर्भ में इस रचना को पढ़ा !! बहुत अच्छी कामना का काव्य !! साधुवाद !!
जय माँ शारदे !
स्वागत है आदरणीया सुनीता जी ! आपका हार्दिक आभार .....
स्वागत है भाई दुष्यंत सेवक जी ! घनाक्षरी की सराहना के लिए हार्दिक आभार मित्रवर! हम सभी के पास जो कुछ भी है वह माँ वीणा वादिनी की ही कृपा है .......
ahaaa. man prafullit ho gaya...prastut rachna ka ek ek shabd apne aap me maa saraswati ke charnon me sadar vandan ka dyotak hai....layatmakta ka bhi javab nahi....behad umda ambreesh bhaiya
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online