जो इश्क कर लिया हर्फों में नजाकत आ गई
यार दीवानगी से थोड़ी शरारत आ गई
ये नया दौर है इसमें जो लगा उनसे जिगर…
ContinueAdded by SANDEEP KUMAR PATEL on May 14, 2012 at 10:30pm — 19 Comments
हरे भरे ये वृक्ष हमारे
देते ठंडी ठंडी छांव |
सबको जरूरत रहती इनकी
नगर हो या हो गाँव ||…
Added by Yogi Saraswat on May 14, 2012 at 3:31pm — 22 Comments
तेरे संग जीवन बीता था
बहुत दिनों तक !
कब सोचा था
तेरा जाना ऐसा होगा !
बिना प्रतीक्षा किए तुम्हारी
अब तो जल्दी सो जाता हूँ !
बुझा दिया करती थी जो तुम ,
दिया रात भर जलता है अब !
बतियाता है भोर भोर तक ,
कीटी-पतंगों से हँस-हँस कर !
खुश रहता हैं !
और पुराने चादर पर अब
नहीं उभरती ,
रोज–रोज की नई सिलवटें !
मैं भी सारी फिक्र भुला कर
सूरज चढ़ने तक सोता हूँ !
नही…
ContinueAdded by Arun Sri on May 14, 2012 at 12:00pm — 20 Comments
(1)
कई दिनों से
सफ़ेद चादर के फंदे ने
गला घोंट रखा था
आज धूप से गले मिलकर
खुल के रोये चिनार
(2)
हाथी दांत की चूड़ियाँ
बाजार में देखी तो ख़याल आया
कि कहीं कल इंसान
की अस्थियों के लाकेट
तो नहीं आ जायेंगे बाजार में
(3)
तेरी इस ग़ज़ल के कुछ शब्दों से
लहू रिस रहा है
लगता है कहीं से बहुत बड़ी
चोट खाकर आये हैं
तभी तो दर्द से बरखे
यूँ फडफडा रहे…
ContinueAdded by rajesh kumari on May 14, 2012 at 10:49am — 23 Comments
कितना कठिन हो जाता है
लिखना
कई बार
'फैशन' के अनुरूप
कैसे साध रखा है हमने
अपने मन को
की वह सोचता है
बिलकुल किसी कंप्यूटर प्रोग्राम की तरह
किस तरह रख पाते हैं हम
अपने मन के भावों को
अनुशासन में
और
वे प्रकट होते हैं
केवल
एक दिवस-विशेष पर...
एक विशेष दिन ही जागता है जज़्बा देश-प्रेम का
या
मातृ-पितृ भक्ति का..
किसी एक दिन ही
आती है
भूली-बिसरी
बहन की याद..
ऐसे ही कई लोग हैं…
Added by AjAy Kumar Bohat on May 13, 2012 at 9:30pm — 13 Comments
मेरी बात को सुन लड़की,
कुछ सपने मत बुन लड़की
सपनो को लगेगा घुन लड़की
मेरी बात को सुन लड़की...
मेरी बात मान लड़की
कुचल अपने अरमान लड़की
राक्षशों को पहचान लड़की
मेरी बात मान लड़की...
मत कर तू प्यार लड़की
ऐतराज़ करेगी 'तलवार' लड़की
बहुत तेज़ है धार लड़की
मत कर तू प्यार लड़की...
चीरती है सब जहां की ख़ामोशी
कौन समझ रहा माँ की ख़ामोशी
ठन्डे पड़े जिस्मोजां की ख़ामोशी
चीरती है सब जहां की ख़ामोशी
मेरी बात को सुन…
Added by AjAy Kumar Bohat on May 13, 2012 at 9:09pm — 5 Comments
होठों से छुआ भी…
Added by AjAy Kumar Bohat on May 13, 2012 at 9:07pm — 11 Comments
असीमित विस्तार
ममता अपार
माँ का प्यार !
----------------
सुख की मेह
करुना सागर
माँ का नेह !
---------------
त्याग वलिदान
सुख की खान
"माँ" एक नाम !
-------------------…
ContinueAdded by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 13, 2012 at 1:00pm — 13 Comments
=========== माँ ===========
मेरे आते ही तेरा मुश्कुराना याद है
वो रोते रोते तुझसे लिपट जाना याद है
तेरे हाथों में माँ जादू रहा मीठा कोई
वो अपने हाथों से मुझको खिलाना याद है
तेरा दर छोड़ा मैंने जब पढ़ाई के लिये
मैं खुद भी रोया माँ तुझको रुलाना याद है
मेरे गम अपने आँचल में छुपा तुमने रखे
मेरी खुशियों में तेरा…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 13, 2012 at 10:19am — 13 Comments
प्रकृति का संगीत है पर्यावरण ,
वनसम्पदा का प्रतीक पर्यावरण |
कोयल की कूक,पंछी की चहक,
फूलो की महक,झरनों की छलक ,
रंगीं धरती का गीत है पर्यावरण |
प्रदूष्ण ने फैलाया है जाल ,
लिपटी धरा उसमें है आज
बचाना है धरती का आवरण |
कटे पेड़ों से बिगड़ा आकार ,
चहुँ ओर फैला है हाहाकार ,
टूटें तार ,सुना है पर्यावरण |
आओ मिल लगायें नये पेड़ पौधे ,
सूनी धरा में खुशियाँ नई बो दे ,
नये स्वर बनाएं रंगीं पर्यावरण |
Added by Rekha Joshi on May 12, 2012 at 10:00pm — 24 Comments
Added by AjAy Kumar Bohat on May 12, 2012 at 8:00pm — 10 Comments
Added by AjAy Kumar Bohat on May 12, 2012 at 7:44pm — 8 Comments
Added by MAHIMA SHREE on May 12, 2012 at 6:30pm — 26 Comments
स्याह रातों में चाँद का गिलास नहीं देख सकता
उखड़ी उखड़ी आवाज़ तेरी, बोझल सांस नहीं देख सकता
.
तेरे माथे पर कोई दोष न होगा कभी ,
तुझे मजबूर, बद -हवास नहीं देख सकता
.
हाँ , तेरी रुसवाई तो फिर भी सह लूँगा ,
तुझे खुद से नाराज़, उदास नहीं देख सकता
.
मेरी रूह में घुल गयी है मधु तेरी रहमत की
क्या हुआ कि रहूँ तनहा, तुझे आस पास नहीं देख सकता
.
हैं अजीब हालात, मगर तेरे कदम न रुकें
तुझे बिखरा हुआ सा, उजास…
Added by Nilansh on May 12, 2012 at 3:30pm — 13 Comments
हमारी फिक्र थी ये गाँव अब भी गाँव है
सियासत के करम से गाँव अब भी गाँव है
मखमली सेज सूखी घास से देखो बनी
महल सी झोपड़ी में गाँव अब भी गाँव है
मिलेगी छाँव बरगद नीम पीपल की घनी
मिटे हर पीर जाके गाँव अब भी गाँव है
ख़ुशी हर चेहरे में औ दर्द दिल में दफ़न
रंज औ गम भुलाके गाँव अब भी गाँव है
सखी ऐसे तके है राह हाये प्रियतम की
बिछाये चश्म अपने गाँव अब भी गाँव है…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 12, 2012 at 1:44pm — 10 Comments
Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 12, 2012 at 1:30pm — 28 Comments
कितना जोश और ख़ुशी
थी तुम्हारी आवाज में
जब तुमने मुझे फोन पर बताया
की माँ तुम्हारे दामाद ने
आज पांच आतंकवादियों
को मार गिराया
तुम लगातार ख़ुशी से बता
रही थी और मेरा मन
कंहीं दूर किसी धुंधलके
की तरफ खिंचता जा रहा था
तुम्हारी आवाज दूर होती जा रही थी
कुछ क्षण बाद वापस आती हूँ तो सोचती हूँ
की तुम कितनी बहादुर हो
बिलकुल अपने
जांबाज पति की तरह
मुझे गर्व है तुमपर
मेरी…
ContinueAdded by rajesh kumari on May 12, 2012 at 12:47pm — 5 Comments
हे ईश्वर
यह सच है की,
मैंने चाहा 'ए.सी'
ये भी सच
मैंने माँगी
'प्राइवेसी'
हे अंतर्यामी
रही चाहत मेरी सदैव
रहूँ मैं लाईम-लाईट में
और
टिका रहे हर वक़्त मुझ पर ही कैमरा
आती रहे निरंतर कानो में
हरे-हरे नोटों के
फड़फड़ाने की आवाज़...
लेकिन
मेरी मुद्दत की तमन्नाओं का
ये क्या तर्जुमा.... मेरे परवरदिगार
आज खड़ा हूँ मैं बन कर
ATM का चौकीदार !!!
~…
Added by AjAy Kumar Bohat on May 11, 2012 at 9:59pm — 6 Comments
तुम्हारे दिल में बस जाते, अगर तुम रास्ता देते....
तबाह-ए-ख़ाक हो जाते, अगर तुम वास्ता देते ....
दिल को एहसास ही रहा, मगर तेरे ना हुए हम....
ज़माने को रुला जाते, अगर हम दास्ताँ कहते ....
Added by Shayar Raj Bajpai on May 11, 2012 at 8:00pm — 5 Comments
मनाने का हुनर हमको कभी न आया दोस्तों
बड़ी मगरूर थी वो मैं समझ न पाया दोस्तों
दिखे नादान सा लेकिन खबर सभी की है उसे
जिसे सबने सता के आदमी बनाया दोस्तों
गर्दिशों से मिटा जिसके ख्वाब महलों के रहे
उजालों की ख्वाहिस में झोपड़ी जलाया दोस्तों
बुरा कितना रहा हो आदमी जमाने में मगर
जनाजा चार कांधो ने वही उठाया दोस्तों
तडपता वो रहा जिसके लिये जिगर को थाम…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 11, 2012 at 7:30pm — 10 Comments
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