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पहले हँसता था
खुश था
पर लोग दुखी थे
सो करते थे दुखी
अब एक उदासी ओढ़ ली है
और
चुप रहता हूँ
चिपका लिया है दुःख का मुखौटा
पर
अब लोग खुश हैं
दुःख को देख कर
और मैं उनको सुखी देख कर
खुश हूँ 
फर्क इतना है...
पहले अपने ही में खुश था
अब जान लिया है लोगों की ख़ुशी में खुश रहना... 
 

~ © AjAy Kum@r 

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Comment

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Comment by Ajay Singh on May 26, 2012 at 6:26pm

nice one .......

Comment by AjAy Kumar Bohat on May 13, 2012 at 6:59pm

मेरे सभी ज्ञानी मित्रों का शुक्रिया, आपको कविता पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ...

Comment by Abhinav Arun on May 13, 2012 at 6:54pm

आज के ज़माने की हकीकत कह दी है श्रो अजय जी आपने हार्दिक बधाई इस दिल को छू लेने वाली रचना के लिए !!

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 13, 2012 at 3:07pm
आदरणीय अजय जी, सादर 
मुझे दुःख है इसमें मुझे कोई दुःख न 
वो कैसे सुखी  देख मुझे सुख न 
बधाई.
Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 13, 2012 at 1:30pm

अब लोग खुश हैं

दुःख को देख कर
और मैं उनको सुखी देख कर
खुश हूँ 
फर्क इतना है...
पहले अपने ही में खुश था
अब जान लिया है लोगों की ख़ुशी में खुश रहना..
अजय जी बहुत सुन्दर ..अब तीर ऐसे ही सोच के चलाने पड़ते हैं की हम मारेंगे वहां तब तक ये पहुँच जाएगा ...सब उल्टा ही है ..उलटे को सीधा करना ही हमारा काम है ..सुन्दर ..भ्रमर ५ 

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 13, 2012 at 12:57pm

काश सभी लोग दुसरे की ख़ुशी में खुश होना सीख जाते तो दुःख का मुखौटा तो न ओढ़ना पड़ता, बहुत ही सार्थक अभिव्यक्ति , बधाई अजय जी |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 13, 2012 at 12:21pm

ये जीवन की कडवी सच्चाई  है मन के भावों को अच्छे से उकेरा है 

Comment by Bhawesh Rajpal on May 13, 2012 at 9:04am
वाह !  यह  कटु सत्य है  !  - भवेश राजपाल ! 
Comment by अजय कुमार झा on May 12, 2012 at 10:16pm

वाह दूसरों की खुशी में अपनी खुशी तलाश लेना इंसान का सच्चा सुख है

Comment by MAHIMA SHREE on May 12, 2012 at 9:01pm

वाह !!! ये आपने कमाल का लिखा है ....

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