For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

All Blog Posts (18,999)

चाँद भी खिसक गया

गोरी के आंचल में 

झिलमिल सितारे हैं 

चंदा को सूरज भी 

छिप के निहारे है 

------------------------

रेत के समंदर में 

बूँद एक उतरी तो 

ललचाई नजरों ने 

सोख लिया प्यारी को 

----------------------------

उदय अंत में त्रिशंकु -

बन ! मै लटकता हूँ 

राहु -केतु से कटे भी 

दंभ लिए फिरता हूँ 

---------------------------

चार दिन की जिन्दगी है 

चार पल की यारी है 

चाँद भी खिसक…

Continue

Added by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 14, 2012 at 9:24pm — 16 Comments

जहाँ गंगा जैसी सरिता है

 असंख्य घड़े को जल देकर भी, तेरा कोष न रीता  है.
धन्य - धन्य वह भारत है , जहाँ गंगा जैसी सरिता है.
तू सदैव निःस्वार्थ भाव से, हिंद - भूमि को सींचा है.
श्यामा के अभिराम वक्ष पर, लक्ष्मण - रेखा खींचा है.
भारत की मर्यादा की, यह रेखा एक निशानी है.
शहीदों की कुर्बानी की, यह रेखा एक कहानी है.
तेरी लहरों में…
Continue

Added by satish mapatpuri on April 14, 2012 at 7:30pm — 9 Comments

साधना और आराधना

जिंदगी के दो आयाम,

साधना और आराधना.

दोनों मार्ग हैं मुक्ति के,

पूर्ण करे हर इच्छा-कामना.

एक प्रोत्साहित करे बल-पौरुष को,

दूजा सन्मार्ग दिखाए.

हर विघ्न में, हर बाधा में,

चित्त की धैर्यता और बढ़ाये.

साधना से जीवन सधे,

केन्द्रित करे ध्यान को.

आराधना से सुमति मिले,

सन्मार्ग बताये इंसान को.

जो जन्म लिया नर रूप में,

तो सफल करें इस जीवन को.

करे आराधना उस इश्वर का,

साध लें अपने तन-मन…

Continue

Added by praveen singh "sagar" on April 14, 2012 at 7:00pm — 9 Comments

कवि और कविता १. : प्रो. वीणा तिवारी -- संजीव 'सलिल'

कवि और कविता १. : प्रो. वीणा तिवारी

-- संजीव 'सलिल'

कवि परिचय:

३०-०७-१९४४, एम्. ए., एम्,. एड.

प्रकाशित कृतियाँ - सुख पाहुना सा (काव्य संग्रह), पोशम्पा (बाल गीत संग्रह),…
Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on April 14, 2012 at 6:00pm — 1 Comment

कोई बाबा निर्मल नहीं -

कोई बाबा निर्मल नहीं

सब मन के बड़े मैले हैं ,

दौलत के ढेर पर बैठे

ये ठग बड़े लुटेरे हैं ,

व्यापार इनका धर्म है

धर्म का करते…

Continue

Added by अरुण कान्त शुक्ला on April 14, 2012 at 12:30am — 11 Comments

" भीख "

मैं आपसे भीख मांगता हूँ...
क्या कभी आपसे किसी ने ऐसा कहा है,
उसको ऐसा क्यूँ लगा की
आपसे भीख मांगी जाए,
उसको कैसे यह अंदाज़ा है की आपके पास भीख है,
आपके पास भीख कहाँ से आई,
आपने किस से मांगी थी
भीख.....

© AjAy Kum@r ~

Added by AjAy Kumar Bohat on April 13, 2012 at 8:30pm — 6 Comments

विछोह

मेरा यार मुझसे जुदा हुआ,                                               

मेरी जान जैसे निकल गई.

मुझे प्यार उसका न मिल सका,

मेरी आह मुझमे ही मिल गई.

उसे चाहना या न चाहना

उसे पूजना या न पूजना 

मेरी चाहतों का हिसाब क्या,

मेरी रूह भी हो विकल गई..

मुझे प्यार उसका न मिल सका,

मेरी आह मुझमे ही मिल गई..

कोई…

Continue

Added by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 13, 2012 at 8:00pm — 23 Comments

ये कौन सा मोड़ है जीवन का

ये कौन सा मोड़ है जीवन का 

जहा सिर्फ अंतर्द्वंद है 

यक़ीनन मै जनता हूँ 

हर उस  रास्ते को

जो मेरे चौराहे से गुजरता है 

परन्तु फिर भी मै अविचल हूँ 

यकीन मानो ,…

Continue

Added by arunendra mishra on April 13, 2012 at 1:00pm — 10 Comments

हो न सका

हो न सका


ऐसे बिछुड़े दीदार हो न सका
बेवफाओं से प्यार हो न सका 
ऐसे बिछुड़े -------------
तुझको भूले न भूलना आया-२
हमको खोकर तुमने क्या पाया-२…
Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on April 13, 2012 at 12:25pm — 12 Comments

"जीवन-चक्र "

' जान ' तू मर गयी थी
सदियों पहले
और किसी को
पता न चला
कुछ भी..
और शायद
कोई बड़ी बात नहीं की,
तू मर गयी हो अब भी !
और..
पता न चल सके
मुझको भी /
हत्यारा कौन था ?
या
हत्यारा कौन है !
क्या करूँगा मैं यह जानकर
जबकि, एक हत्यारा तो हरदम
साथ रहता है
मेरे भी....
और
शनः - शनः जान रहा हूँ मैं की
निरंतर
होती रही इन हत्याओं का तारतम्य ही
है शायद
"जीवन-चक्र "
© AjAy Kum@r

Added by AjAy Kumar Bohat on April 13, 2012 at 8:47am — 5 Comments

"धूल से सने तीन किस्से "

धूल भरी आँधी चली, सारी धूल घर में आ गयी,
मगर आपके चरणों की धूल मेरे घर में नहीं आयी ,
आप कब आ रहे हैं मुझसे मिलने?

धूल भरी आंधी चली, सारी धूल घर में आ गयी,
आप तक पहुँचने के लिए, क्या सहारा लेना पड़ेगा आँधी का,
मुझ रास्ते की धूल को.....

धूल भरी आँधी चली, सब और धूल ही धूल छा गयी,
ओह्ह , आप तो घर के खिड़की दरवाज़े सब बंद रखते हैं,
ये गोग़ल्स भी आप पर खूब फबते हैं....

.
© AjAy Kum@r

Added by AjAy Kumar Bohat on April 13, 2012 at 8:30am — No Comments

कोख में ही मार दिया ?

जंग से जमीन में 

घाव बहुत होते हैं 

जख्म गर भरे भी तो 

रोम-रोम रोते हैं !

--------------------

इन्सां ने इन्सां को 

इन्सां सा प्यार दिया 

स्वर्ग धरा लाये आज …

Continue

Added by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 12, 2012 at 10:30pm — 12 Comments

विकास कहां रुकेगा

(प्रस्तुत रचना 'सार' छन्द पर आधारित है।इसके अनुसार छन्द के प्रत्येक चरण में 28 मात्रायें होती हैं,16वीं तथा 12वीं मात्रा पर यति होती है।चरणान्त में दो गुरु अवश्य होने चाहिए।)



जीवन का आधार कहां है,आफत सिर पर भारी।

अपने में ही लिप्त घूमती,पागल दुनिया सारी॥

समय नहीं है पास किसी के,जीवन भागा दौड़ी।

प्यार-व्यार का रिश्ता झूठा,नफरत दरिया चौड़ी॥

कहां बची है वही मनुजता,मानव कहां पुराना।

और अधिक विकसित है दुनिया,मार्डन हुआ जमाना॥

वृद्धों का सम्मान कहां है,छूकर चरन… Continue

Added by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on April 12, 2012 at 8:00pm — 13 Comments

सात जनम का सपना

आप में ही है यह सलीका,
जो कपडे भी- 
सहेजकर रखते हो |
एक थे मंत्री-
दिन में चार बार बदलते थे 
पत्रकार की नजर में आगये 
उनके दिन फिरगए-
मंत्री पद से चले गए…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 12, 2012 at 7:00pm — 5 Comments


सदस्य कार्यकारिणी
पिघलते हिमनद

सो रही है दुनिया सारी

तुम हर पल क्यूँ सजग रहे 

कौन व्यथा है दबी हिय में 

किस अगन में संत्रस्त रहे |

घूर रहे क्यूँ रक्तिम चक्षु 

कुपित अधर क्यूँ फड़क रहे 

दावानल से केश खुले क्यूँ 

तन से शोले भड़क रहे |

प्रदूषण ने ध्वस्त किये 

जो, बहु  तेरे संबल रहे 

कतरा -कतरा टूट-टूट कर 

चुपके -चुपके पिघल रहे…

Continue

Added by rajesh kumari on April 12, 2012 at 6:30pm — 19 Comments

प्यार का ख्याल.....

प्यार  का ख्याल.....

प्यार  का ख्याल गर खाब मैं ही हो आये, 

तो ज़िन्दगी खूब से खूबतर हो जाये.

हर आँख से…

Continue

Added by Monika Jain on April 12, 2012 at 4:31pm — 5 Comments

हक़ीकत

 हक़ीकत


आज नहीं तो कल सबके ही दिन आएँगे

सुंदर दिखते चेहरे इक दिन बदसूरत हो जाएँगे
फिर न दिखेगी चमक…
Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on April 12, 2012 at 12:48pm — No Comments

नदी सी मैं ...

जिंदगी के चंद टुकड़े
यूँही
बिखरने दिया
कभी यूँही
उड़ने दिया
संभाल कर जब कभी
रखना चाहा
समय ने ना रहने दिया
नदी सी मैं
बहती रही
कभी मचलती रही
कभी उफनती रही
तोड़ किनारा
जब भी बहना चाहा
बांधो( बन्धनों) से और भी
जकड़ा पाया
गंदे नाले हों
या शीतल धारा
जो भी मिला
अपना बना डाला
जिंदगी
कभी नदी सी
कभी टुकड़ो सी
जैसे भी पाया
बस जी डाला

Added by MAHIMA SHREE on April 12, 2012 at 11:45am — 12 Comments

मै भी लड़ना चाहती हूँ!

मै भी लड़ना चाहती हूँ! मुझे लड़ने दो!

हार का मै स्वाद चखना चाहती हूँ.

जीत का अभ्यास करना चाहती हूँ.

.

प्रेयसी बन बन के हो गई हूँ बोर!

मै नए किरदार बनना चाहती हूँ.

मै भी जिम्मेदार बनना चाहती हूँ.

.

सीता-गीता मेरे अब नाम मत रखो!

धनुष का मै तीर बनाना चाहती हूँ,

गरल पीकर रूद्र बनना चाहती हूँ.

.

अपने पास ही रखो हमदर्दी अपनी!

खड़े होकर सफ़र करना चाहती हूँ,

'बसो' का मै ड्राइवर बनना चाहती हूँ.

मै…

Continue

Added by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on April 12, 2012 at 11:03am — 10 Comments

हक़ीकत

हक़ीकत


आज नहीं तो कल सबके ही दिन आएँगे

सुंदर दिखते चेहरे इक दिन बदसूरत हो जाएँगे
फिर न दिखेगी चमक दमक सब फीका हो जाएगा…
Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on April 12, 2012 at 10:33am — 2 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"सादर अभिवादन।"
57 minutes ago
Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति हुई है । हार्दिक बधाई सर"
16 hours ago
Admin posted discussions
19 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत खूब, बहुत खूब ! सार्थक दोहे हुए हैं, जिनका शाब्दिक विन्यास दोहों के…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय सुशील सरना जी, प्रस्तुति पर आने और मेरा उत्साहवर्द्धन करने के लिए आपका आभारी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय भाई रामबली गुप्ता जी, आपसे दूरभाष के माध्यम से हुई बातचीत से मन बहुत प्रसन्न हुआ था।…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय समर साहेब,  इन कुछेक वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है। प्रत्येक शरीर की अपनी सीमाएँ होती…"
yesterday
Samar kabeer commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"भाई रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत अच्छे कुण्डलिया छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
yesterday
AMAN SINHA posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
Wednesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service