आज 31 मई विश्व तम्बाकू विरोधी दिवस पर एक विशेष रचना
सुट्टों ने सोखा जिस्म, सेहतमन्दगी गई
धुंए का शौक लग गया तो ज़िन्दगी गई
छुप छुप के पीना छोड़, खुल्लेआम पी रहे
माँ की लिहाज़, बाप से शरमिन्दगी गई
गुटखा चबाने वाले की…
Added by Albela Khatri on May 31, 2012 at 4:30pm — 40 Comments
इस गीत मैं कुछ वांछित बदलाव करने की कोशिश की है आदरणीय सम्पादक महोदय से निवेदन है की इसे सम्पादित करने की कृपा कर मुझे कृतकृत्य करें
तेरे नैनों में, कैसा ये जादू है
देख के मन ये, मेरा बेकाबू है
इन नैनो में, अब डूब के, मैंने ये मन गंवाया
तेरे प्रेम में, मैंने प्रेम गीत गया ,मैंने प्रेम .....................
मन में छुपाया है प्रेम तेरा, तन में बसाया है प्रेम तेरा
आँखों की प्यास है प्रेम तेरा, जीवन की आस है प्रेम तेरा
शीतल सी आग है प्रेम तेरा ,…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 31, 2012 at 1:30pm — 17 Comments
तेरी निगाह की जादूगरी मैं कैसे लिखूं
दिखी तराश जो हुश्ने-परी मैं कैसे लिखूं
यहाँ 'न' दिल बिका पामाल का चाहत के लिये
दिवानगी लगी सौदागरी मैं कैसे लिखूं
न कायनात सी दिलकश यहाँ पे शै है कोई
खुदा बता तेरी कारीगरी मैं कैसे लिखूं
न तोड़ आइना झूठा कभी ये होगा नहीं
बड़ी कमाल है…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 30, 2012 at 10:30pm — 15 Comments
जीवन तुझसे एक वर माँगू
पाप पुण्य से दूर
जीवन की समझ माँगू
एकाकी अगर सत्य हो तो
तथागत बनने का वर माँगू
आवेश ही एक मात्र मार्ग हो तो
दुर्योधन का आवेश पाऊँ
क्षमा ही ध्येय हो तो
युधिष्ठिर का मन पाऊँ
समर्पण ही अगर सत्य हो तो
समर्पण की धुरी पर जो कर्ण पिसा
मैं भी समर्पित हूँ
उपेक्षा अगर सत्य हो तो
एकलव्य सा ध्यान…
ContinueAdded by arunendra mishra on May 30, 2012 at 9:30pm — 18 Comments
कोशिशों के समंदर से कामयाबी के मोती ढून्ढ लायेंगे
Added by Rohit Dubey "योद्धा " on May 30, 2012 at 8:00pm — 14 Comments
साहित्य साधना इष्ट आराधना
पवित्रतम ह्रदय निस्सृत पूजा है,
निर्मल निर्झर भाव सरिता ये
उद्गम अन्तः मन जिसका है,…
Added by Dr.Prachi Singh on May 30, 2012 at 7:30pm — 34 Comments
सांस में सुर सनसनाना प्यार का
ज़िन्दगी है ताना बाना प्यार का
मौत से कह दूंगा, रुक जा दो घड़ी
आने वाला है ज़माना प्यार का
यों तो हर मौसम का अपना रंग है…
Added by Albela Khatri on May 30, 2012 at 11:00am — 32 Comments
जैसे ही मैंने दरवाजा खोला …
ContinueAdded by rajesh kumari on May 30, 2012 at 9:30am — 22 Comments
ग़म ज़िंदगी में देख के रोया नहीं कभी।
अश्क़ों से अपने गाल भिगोया नही कभी॥
हर सिम्त है धुआं यहाँ हर सिम्त आग है,
इस खौफ़ से ही चैन से सोया नही कभी॥
दिल में जिगर में था वही साँसों में…
ContinueAdded by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 28, 2012 at 9:30pm — 17 Comments
देवभूमि हिमाचल प्रदेश में एक छोटा सा गाँव सुन्नी ,हिमालय की गोद में प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर इस गाँव के भोले भाले लोग ,एक दूसरे के साथ मिलजुल कर प्यार से रहते थे | इसी गाँव की दो सहेलियाँ प्रीतो और मीता,बचपन से ले कर जवानी तक का साथ ,लेकिन आज प्रीतो गौने के बाद ,पहली बार अपने ससुराल दिल्ली जा रही थी |मीतो दूर खड़ी अपनी जान से भी प्यारी सहेली को कार में बैठते हुए देख़ रही थी ,उसके आंसू थमने का नाम ही नही ले रहे थे और यही हाल प्रीतो का भी था ,उसकी नम आँखें अपनी सहेली मीता को ढूंढ़…
ContinueAdded by Rekha Joshi on May 28, 2012 at 9:10pm — 27 Comments
फरियाद करती हूँ तुझे गमे ए दिल न मिले
Added by Ajay Singh on May 28, 2012 at 6:40pm — 3 Comments
Added by Dr.Prachi Singh on May 28, 2012 at 12:31pm — 14 Comments
Added by MAHIMA SHREE on May 27, 2012 at 5:00pm — 22 Comments
खुल जा सिम सिम बंद हो जा सिम सिम –दुकान हो या कार्यालय बंद करना,कराना,या खुलवाना,यह तमाशा ‘भारत बंद’ के मौके पर देखने या दिखाने का मधुर दृश्य दृष्टिगोचर होता है|
भारत बंद हम भारतीयों का राष्ट्रिय त्यौहार है. पीने वालों को पीने का बहाना चाहिए, और हमें तो भारत बंद कराने के लिए एक सरकार की टेढ़ी चाल का इंतजार रहता है|यह त्यौहार प्रति वर्ष किसी भी महीने में मनाया जा सकता है|सरकार को भारत बंद को…
ContinueAdded by UMASHANKER MISHRA on May 27, 2012 at 2:00pm — 6 Comments
Added by Rohit Dubey "योद्धा " on May 27, 2012 at 12:30am — 6 Comments
चक्षु पटल भींच
एक अक्स उभरता है...
जो गहन तिमिर में
कोटिशः सूर्य सा चमकता है...
स्मरण जिसका महका देता है
सम्पूर्ण जीवन...
ख़ामोशी में गूंजती है
जिसकी प्रतिध्वनि अन्तः करणों में
और उन अनकहे शब्दों की
झंकृत स्वर तरंगें
नस नस में दौढ़ती हैं
सिहरन बन कर...
और बेसुध मन बावरा
तय कर लेता है
मीलों के फांसले
एक क्षण…
Added by Dr.Prachi Singh on May 26, 2012 at 11:00am — 10 Comments
प्रियतम जब से मैंने प्रेम का आवाहन किया
करुण वेदना , विरह अश्रु , और मौन ने मेरा श्रृंगार किया
कितनी संवेदना ,कितनी आह
कितने अश्रु , कितनी चाह
कितने आलाप , कितने गान
मिल कर भी
संतॄप्त न कर पाती
उर अरमनों में छिपे स्पंदन को,
प्रियतम जब से मैंने प्रेम का आवाहन किया
सावन रिक्त , शशि सुप्त
सूरज न उग्र , रौद्र नयन हैं रुष्ट
प्रियतम जब से मैंने प्रेम का आवाहन किया
करुण वेदना , विरह अश्रु , और मौन ने मेरा…
ContinueAdded by arunendra mishra on May 25, 2012 at 11:56pm — 9 Comments
चश्मे तो हमने राह में पाये हैं बेशुमार
तेरी ही तिश्नगी में आये हैं बार- बार
प्यार से बिठाया और खुशियाँ लूट ली
धोखे यूँ जिंदगी में खाये हैं कई हजार
सीमाएं मेरे दर्द की वो नाप के गए
अश्क जब काँधे पे बहाये हैं ज़ार-ज़ार
बता गमजदा दिल अब कैसे ढकें बदन
खुशियों के पैरहन कर लाये हैं तार-तार
वादियों में बुलबुलें अब चहकती नहीं
जब दर्द…
ContinueAdded by rajesh kumari on May 25, 2012 at 3:00pm — 26 Comments
कुछ तो ऐसा हुआ होगा
Added by Deepak Sharma Kuluvi on May 25, 2012 at 11:00am — 14 Comments
Added by dilbag virk on May 24, 2012 at 7:42pm — 10 Comments
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