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खबर:-तलवार दम्पति पर अपनी ही  बेटी के क़त्ल का मुकदमा चलेगा I
कुछ तो 
आरुषी जिगर का टुकड़ा थी 
फिर ऐसा क्यों कर डाला 

कुछ तो ऐसा हुआ होगा 

जो बेटी को मार डाला
उनके दर्द को देखों यारो 
जो रो भी नहीं सकते
ज़ख्म उनके भी ऐसे होंगे 
जो कभी नहीं भर सकते 
इलज़ाम लगाना आसाँ है 
पर हकीकत कड़वी होती है
ऐसे ही नहीं कोई माँ 
बेटी की कातिल होती है 
बेटी की कातिल हो----
दीपक कुल्लुवी 
२५/५/१२.
जहाँ मुझे नादान आरुषी की मौत का गम है वहीँ उसके माँ बाप  की मजबूरी का भी बेहद दुःख है I

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Comment

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Comment by Deepak Sharma Kuluvi on May 31, 2012 at 10:02am

दोस्तों इस  रचना में मेरी दोनों तरफ से ही हार है.....लेकिन   जिंदगी रूकती नहीं निरंतर चलती रहती है ...........

बहुत कुछ DEKHA  बहुत कुछ DEKHNA JHELNA BAQI है..........
'कुल्लुवी '
Comment by Deepak Sharma Kuluvi on May 31, 2012 at 10:02am

दोस्तों इस  रचना में मेरी दोनों तरफ से ही हार है.....लेकिन   जिंदगी रूकती नहीं निरंतर चलती रहती है ...........

बहुत कुछ DEKHA  बहुत कुछ DEKHNA JHELNA BAQI है..........
'कुल्लुवी '
Comment by Deepak Sharma Kuluvi on May 31, 2012 at 9:50am

YOU ARE VERY RIGHT UMASHANKAR JI KHOON TO DONON TARAF HI HUA HAI ,,KAHIN ARMANON KA AUR KAHIN......

Comment by UMASHANKER MISHRA on May 30, 2012 at 10:53pm

आपने सही लिखा है यह प्रश्न हमारे जेहन में

सदैव घुमड़ता रहता है कि कुछ तो ऐसा कारण रहा होगा

जो माँ बाप को अपने जिगर के टुकड़े का खून करना पड़ा

कारण कुछ भी हो परन्तु उत्तर में मन से यही आवाज आई की

हो सकता है बेटी की करतूत से उनकी झूठी सामाजिक प्रतिष्ठा

को ठेस पहुंची होगी |परन्तु बेटी की  हत्या यह बर्दास्त नहीं |

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on May 28, 2012 at 10:59am

Dr.Prachi u r very right no one has a power to kill their daughter but sometime anger cross the limit due to circumstances .

Comment by Abhinav Arun on May 26, 2012 at 2:55pm

क्या कहूं ..सामयिक और सार्थक इन विषयों पर लिखना  धार पर चलने के सामान होता है aap  सफल रहे हार्दिक बधाई !!

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 25, 2012 at 11:47pm

उनके दर्द को देखों यारो 

जो रो भी नहीं सकते
ज़ख्म उनके भी ऐसे होंगे 
जो कभी नहीं भर सकते 
इलज़ाम लगाना आसाँ है 
पर हकीकत कड़वी होती है
हाँ  दीपक जी हकीकत बहुत कडवी होती ही है ,,,,काल न जाने कब काल का पहिया चला दे ..व्यथा  दिखाती रचना  ....भ्रमर ५ 
Comment by AVINASH S BAGDE on May 25, 2012 at 8:42pm

उनके दर्द को देखों यारो 

जो रो भी नहीं सकते
ज़ख्म उनके भी ऐसे होंगे 
जो कभी नहीं भर सकते ...sahi kaha Deepak bhai..

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 25, 2012 at 7:32pm
चाहे कोई भी वजह रही हो ....
पर बच्ची की जीवन छीन लेने का अधिकार क्या माँ बाप को किसी भी हाल में होना चाहिए? 
Comment by Rekha Joshi on May 25, 2012 at 6:55pm

जो रो भी नहीं सकते

ज़ख्म उनके भी ऐसे होंगे 
नही विशवास होता ,कोई अपनी बेटी का कातिल हो सकता है |

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