For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भारतीय छंद विधान

Information

भारतीय छंद विधान

इस समूह में भारतीय छंद शास्त्रों पर चर्चा की जा सकती है | जो भी सदस्य इस ग्रुप में चर्चा करने के इच्छुक हों वह सबसे पहले इस ग्रुप को कृपया ज्वाइन कर लें !

Location: ओपन बुक्स ऑनलाइन
Members: 217
Latest Activity: Oct 6

साथियों !

इस समूह में भारतीय छंद पर व्यापक चर्चा की जायेगी, साथ में छंदों का नियम विधान आदि पर भी जानकारी साझा की जायेगी |

Discussion Forum

आयास चाहती है दोहे की सिद्धि    :: डॉ. गोपाल नारायन श्रीवास्तव 3 Replies

Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव. Last reply by Om Parkash Sharma Jun 27, 2021.

ताटंक छन्द के मूलभूत सिद्धांत // - सौरभ 6 Replies

Started by Saurabh Pandey. Last reply by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' Oct 5, 2016.

विभावन-व्यापार में साधारणीकरण की प्रक्रिया 3 Replies

Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव. Last reply by मिथिलेश वामनकर Apr 27, 2015.

उल्लाला छन्द // --सौरभ 13 Replies

Started by Saurabh Pandey. Last reply by मिथिलेश वामनकर Jun 18.

अर्थ गौरव की ऊर्जा है शब्द शक्ति 22 Replies

Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव. Last reply by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव Apr 27, 2015.

चौपई छंद // --सौरभ 15 Replies

Started by Saurabh Pandey. Last reply by Saurabh Pandey Mar 13, 2016.

कामरूप छंद // --सौरभ 14 Replies

Started by Saurabh Pandey. Last reply by मिथिलेश वामनकर Jun 18.

सार छंद/ छन्न पकैया // --सौरभ 19 Replies

Started by Saurabh Pandey. Last reply by सतविन्द्र कुमार राणा Feb 20, 2016.

कुण्डलिया छंद : मूलभूत नियम 9 Replies

Started by Saurabh Pandey. Last reply by मिथिलेश वामनकर Jun 18.

चौपाई : मूलभूत नियम 22 Replies

Started by Saurabh Pandey. Last reply by मिथिलेश वामनकर Jun 18.

रोला छंद : मूलभूत नियम 3 Replies

Started by Saurabh Pandey. Last reply by मिथिलेश वामनकर Jun 18.

Comment Wall

Comment

You need to be a member of भारतीय छंद विधान to add comments!

Comment by Toshan Kumar Churendra on May 26, 2017 at 7:14pm
बहुत बढ़िया जानकारी है यहाँ हम सबके लिये...
Comment by Kalipad Prasad Mandal on October 15, 2016 at 10:28pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी , नमस्कार,  ओ बी ओ में आपका सन्देश पढ़ा, पता लगा आप बाहर है और वहाँ नेट की समस्या है | इसीलिए यह प्रश्न यहाँ छोड़ रहा हूँ ताकि आप लौटकर फुर्सत में मार्ग दर्शन कर सके |

संस्कृत में तीन लिंग होते हैं -  स्त्री-लिंग ,पुल्लिंग  और नपुंसक लिंग |हिंदी में केवल स्त्री और पुल्लिंग होते हैं | नपुंसक लिंग के सभी शब्द स्त्री लिंग और पुल्लिंग में समावेश किया गया है |उपलब्ध व्याकरण में लिंग पहचानने का नियम भी बताया है | जैसे ख, त ,ट,स वट,हट से अंत होने वाले शब्द तथा ई, ऊ तथा अनुस्वारांत सज्ञा  शब्द स्त्री लिंग होते हैं |भाषा,बोली, नदी के नाम,तिथियाँ स्त्री लिंग हैं  |

इसी प्रकार पुल्लिंग –आ, आव, पा, पण, न से अंत वाले पुल्लिंग|पर्वत ,मास, दिन,ग्रह, पेड़, अनाज,द्रव्य, खनिज के नाम पुल्लिंग हैं

मेरा प्रश्न है : अ ,इ,उ, क, ग, द ढ... आदि से अंत होने वाले शब्दों ( जो ऊपर लिखित नियमों के अंतर्गत नहीं हैं) का लिंग कैसे पता लगाए जाय ? जैसे सड़क,सरहद,बादल,मेघ,यति,गति,लता,जटा,झरना.नक्शा,समस्या , किताब, पुस्तक  .,आदि आदि ... , कोई विशेष नियम या तरिका है जिससे सटीक पहचान हो सके ? कोई व्याकरण की किताब का नाम जिसमे ये सब नियम है,कृपया बताएं |

सादर |  

Comment by Kalipad Prasad Mandal on September 9, 2016 at 10:03pm

आदरणीय सौरभ जी और आ रामबली गुप्ता जी , आप दोनों के स्पष्टीकरण से जो मेरे मन में शंका थी वह दूर हो गई | लय या गेयता के बारे में जो बात आपने कही वह हम जैसे नए  रचनाकारों के लिये बहुत उपयोगी है |

सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 6, 2016 at 1:11pm

मेरे कहे हुए के मर्म और उसके आशय को स्पष्टता और उदाहरण के साथ प्रस्तुत करने केलिए हार्दिक धन्यवाद. भाई रामबली जी. 

मैं कोई विन्दु यों ही नहीं उकेरता. वस्तुतः इसी मंच ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव के मात्र एक दो अंक पूर्व एक नये किन्तु अत्यधिक मुखर सदस्य ने उनकी एक पंक्ति में लय-भंगता का इशारा किये जाने पर ऐसा कहा था, कि पंक्तियों की लय तो अवश्य बिगड़ेगी, क्यों कि उनको संगीत का ज्ञान नहीं है और साहित्य और संगीत दो क्षेत्र हैं इसलिए इन विन्दुओं पर वे अधिक ध्यान नहीं देते. यह साफ था कि उनको छन्द और छान्दसिक पंक्तियों में लय की महत्ता का अर्थ ही नहीं मालूम था.लेकिन छन्दों को लेकर उनका मुखर व्यवहार इतना आग्रही था कि उनकी समझ पर आश्चर्य भी हो रहा था.  

आदरणीय कालीपद जी के शंका निवारण के क्रम में मुझे उसी बात का ध्यान हो आया. अतः आवश्यक विन्दु सोच कर यहाँ भी इशारा दे दिया कि आ० कालीपद जी अभी छन्दबद्ध रचनाओं को सीखने की पहल कर रहे हैं और अभी प्रारम्भिक दौर में हैं. 

शुभ-शुभ

Comment by रामबली गुप्ता on September 6, 2016 at 12:17pm
बिल्कुल सत्य विचार आद० सौरभ जी, साधु!
पठनीय गेयता को संगीत संदर्भित गायन तो कभी समझना ही नही चाहिए। पठनीय गेयता का सम्बन्ध मानव मुख से उच्चरित वर्णों की ध्वनि और उसमे लगने वाले समय से है जबकि गायन का संबंध कंठगत सुर एवं उनके संयोजन से है। क्या जिस प्रकार हम दुर्मिल को पढ़ते हैं उसी प्रकार महाभुजंगप्रयात को भी पढ़ते हैं या जिस प्रकार हम दोहे को पढ़ते हैं उसी प्रकार रोले को भी, नही न? हर छंद की अपनी एकल पठनीय गेयता होती है जबकि एक ही छंद को विविध रागों में स्वरबद्ध किया जा सकता है। किसी दुर्मिल को यदि राग भीमपलासी में स्वरबद्ध किया जा सकता है तो उसे ही भैरवी और वागश्री में भी गाया जा सकता है। अतः पठनीय गेयता और संगीत-गायन की समता स्थापित करना भारी भूल ही होगी।

मानव मुख-जिह्वा आदि से उच्चारण की ऐसी प्राकृतिक व्यवस्था है कि वह द्विमात्रिकता(गुरु) की ओर अधिक उन्मुख होती है। तातपर्य यह है कि यदि हम पनघट को पढ़ें तो प न घ ट का अलग-अलग उच्चारण नही होता और न ही 'पनघट' इकट्ठा पढ़ते हैं बल्कि दो-दो वर्णों के युग्म में पढ़ते है जैसे-'पन' 'घट' और इन दोनों के बीच बहुत ही हल्का सा पॉज प्रतीत होता है। इसी प्रकार कमल अचल पटल जैसे शब्दों को पढ़ते समय क्रमशः क अ प तथा मल चल टल दो भागों में बांट कर पढ़ते हैं और इनके बीच हल्का सा पॉज होता है। इस प्रकार हम देखें तो कमल का प्रथम एक वर्ण एक लघु और अंतिम दो वर्ण मिलकर एक गुरु का भान देते हैं। यही कारण है कि दोहे के प्रथम एवं तृतीय चरणान्त में कोई लघु गुरु वाला शब्द या तीन लघु वाला शब्द रखने पर सहज प्रवाह होता है बशर्ते इनके पूर्व गुरु वर्ण या दो लघु वर्ण हों। सादर

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 6, 2016 at 10:41am

भाई रामबली जी ने जो कुछ कहा है वह शत-प्रतिशत सही है, आदरणीय कालीपदजी. 

क्षितिज वस्तुतः छन्दों के अनुसार तीन लघु (१११ लघु-लघु-लघु) का समुच्चय ही है. 

लेकिन ग़ज़ल चूँकि वाचिक परम्परा का निर्वहन करती हैं, अतः उच्चारण के अनुसार ’क्षितिज’ का उच्चारण ’क्षि+तिज’ हुआ करता है. यही ’तिज’ एक साथ उच्चारित होने के कारण एक ’गुरु’ (ग़ाफ़) की तरह व्यवहृत होता है. 

छन्द शास्त्र के ऐडवांस पाठों में भी इस विधि को शब्दकल के अंतर्गत मान्य किया गया है,  लेकिन छन्दों पर आजकल काम करने वाले या नये अभ्यासी लोग उस स्तर तक अकसर नहीं पहुँच पाते या जाना नहीं चाहते.  और, मात्र लघु-गुरु की गणनाओं के आधार पर, या मात्रिक या वर्णिक सूत्रों के आधार पर ही रचनाकर्म  करते रहने के आग्रही हो जाते हैं.  यही कारण है, कि शब्दकलों का निर्वहन हो ही नहीं पाता और उनकी रचनाएँ लय सम्बन्धित दोषों से भरी होती हैं. जबकि लय या गेयता छान्दसिक रचनाओं का अभिन्न अंग है.

आदरणीय कालीपद जी, लय से या गेयता से संगीत या गाने की क्षमता से मत लीजियेगा. बल्कि, इसे वाचन-प्रवाह समझियेगा. जिसके कारण किसी रचना को पढ़ने में स्पष्टता और सहजता हुआ करती है, और पंक्तियों को पढ़ने के क्रम में कहीं स्वर-सुर नहीं टूटता. इसी कारण ’कमल’ जैसे शब्द को मात्र तीन लघु का समुच्चय नहीं समझ कर ’क+मल’ के उच्चरण के अनुरूप व्यवहृत करना चाहिए. कमल जैस शब तीन गुरु का समुच्चय तो है ही. लेकिन उसके आगे उच्चारण की महत्ता भी समझी जानी चाहिए. इस समझ की आवश्यकता दोहा जैसे मात्रिक छन्दों में हुआ करती है.

 

Comment by रामबली गुप्ता on September 6, 2016 at 8:42am
आद० कालीपद मण्डल जी
क्षितिज को ग़ज़ल में 12 छंद में 111 गिना जायेगा।

इसी प्रकार तंत्र में ग़ज़ल और छंद दोनों में 21 गिना जायेगा।
Comment by Kalipad Prasad Mandal on September 6, 2016 at 8:07am

आदरणीय सौरभ जी , आज मैं आदरणीय वीनस जी  के हिन्दी छन्द परिचय भाग एक पढ़कर दो शब्दों की मात्र गणना में उलझा हूँ , कृपया मेरी उलझन दूर करे |

'क्षितिज' शब्द की मात्र ग़ज़ल में १२ गिना जाता है

छन्द में  १२ होगा या १११ होगा ? 

दूसरा :  तंत्र = तन -त्र  २२ या २१ (छंद में )

सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 3, 2016 at 2:19pm

आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आप यदि इसी पोस्ट पर पहले की टिप्पणियाँ देखें तो आप देखेंगे कि इस आशय के प्रश्न पहले भी उठाये गये हैं। लेकिन वीनस भाई की ओर से कोई विन्दुवत स्पष्टीकरण नहीं आया है।

मेरी समझ यही बनी है कि उक्त पंक्ति में टंकण त्रुटि है। जिसका निराकरण भाई वीनस जी ही कर सकते हैं।

लेकिन मुख्य आशय तो शब्दों की मात्रा को गिनना समझने से है। इस विन्दु पर आप सहज होते दिख रहे हैं। ऐसा न होता तो आप भ्रम की स्थिति में ही नहीं आते।

सादर 

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on July 3, 2016 at 1:17pm
आदरणीय श्री सौरभ पांडे जी आदरणीय वीनस केसरी जी द्वारा लिखित 'हिन्दी छन्द परिचय, गण, मात्रा गणना, छन्द भेद तथा उपभेद-(भाग2)' में इस पंक्ति की 14 मात्रा बताई गई हैं।इसके कारण ही मैं उलझन में हूँ।
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदाब 'अर्ज़ है महफ़िल। "
28 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"पाएदारी है कब सियासत में  क्या बुरा है ज़रा बग़ावत में  कुछ मिलेगा नहीं 'अदावत…"
32 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"2122 1212 22 जान फँसती है जब भी आफ़त में बढ़ती हिम्मत है ऐसी हालत में 1 और किसका सहारा होता है…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"सादर अभिवादन आदरणीय कबीर सर जी नमन मंच"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"जिसको देखो वही अदावत मेंकौन खुश है भला सियासत में।१।*घिस गयी जूतियाँ थमीं साँसेंकेस जिसका गया…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"सादर अभिवादन आदरणीय।"
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय उस्ताद-ए-मुहतरम साहिब को सादर अभिवादन "
8 hours ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"सबका स्वागत है ।"
9 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . रोटी

दोहा पंचक. . . रोटीसूझ-बूझ ईमान सब, कहने की है बात । क्षुधित उदर के सामने , फीके सब जज्बात ।।मुफलिस…See More
14 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा पंचक - राम नाम
"वाह  आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत ही सुन्दर और सार्थक दोहों का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Wednesday
दिनेश कुमार posted a blog post

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार ( गीत )

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार( सुधार और इस्लाह की गुज़ारिश के साथ, सुधिजनों के…See More
Wednesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service