For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हाथ लगा जो गाल पर, पटकेंगे धर केश ।
दुनिया संग बदल रहा, गाँधी का ये देश।।

नैतिकता का पाठ अब, पढ़े-पढ़ाये कौन ?
मात-पिता-बच्चे सभी, ले मोबाइल मौन।।

'तुम' धन 'मैं' जब 'हम' हुए, दोनों हुए विशेष।
'हम' ऋण 'तुम' जैसे हुए, नहीं बचा अवशेष ।।

रीति जहां की देख कर, मन चंचल, मुख मौन।
मतलब के सधते सभी, पूछें तुम हो कौन ?

छप कर बिकता था कभी, जिंदा था आचार।
जबसे बिक छपने लगा, मृत लगते अखबार।।

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 904

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ajay Tiwari on July 11, 2018 at 6:46am

आदरणीय गणेश जी,

दोहे बहुत अच्छे लगे. हार्दिक बधाई. 

'छप कर बिकता था कभी, जिंदा था आचार।
जबसे बिक छपने लगा, मृत लगते अखबार।।' 

इस दोहे में मेरे ख़याल से 'लगते' के अनुरूप 'बिकता था' को 'बिकते थे' और दूसरी पंक्ति में 'लगा' को 'लगे' करना उपयुक्त होगा.

सादर      

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 10, 2018 at 7:22pm
छप कर बिकता था कभी, जिंदा था आचार।
जबसे बिक छपने लगा, मृत लगते अखबार।।
उत्कृष्ट . नयी पत्रकारिता पर बेहतरीन तंज आदरणीय
Comment by babitagupta on July 7, 2018 at 6:09pm

जीवन जीने के पहलुओं को वयां करती बेहतरीन रचना, हार्दिक बधाई आदरणीय सर जी. 

Comment by TEJ VEER SINGH on July 6, 2018 at 8:01pm

हार्दिक बधाई आदरणीय गणेश जी बागी जी।लाज़वाब प्रस्तुति।

Comment by Neelam Upadhyaya on July 6, 2018 at 4:05pm

सभी दोहे एक  से बढ़कर एक हैं।  प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय  गणेश जी।   

Comment by Shyam Narain Verma on July 6, 2018 at 12:22pm

बेहद उम्दा ...बहुत बहुत बधाई आप को आदरणीय | सादर 

Comment by Samar kabeer on July 6, 2018 at 11:57am

जनाब गणेश जी "बाग़ी" साहिब आदाब,हालात-ए-हाज़िरा पर  बहुत उम्दा दोहे रचे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by अजय गुप्ता 'अजेय on July 6, 2018 at 11:32am

बहुत बढ़िया दोहे गणेश जी।

/तुम + मैं =हम

/हम - तुम =0

वाह। अद्भुत

Comment by नाथ सोनांचली on July 6, 2018 at 11:01am

आद0 गणेश जी बागी जी सादर अभिवादन। एक से बढ़कर एक उम्दा दोहे। वर्तमान को आईना दिखाती,, 

रीति जहां की देख कर, मन चंचल, मुख मौन।
मतलब के सधते सभी, पूछें तुम हो कौन ? वाह वाह वाह, क्या कहने

 बहुत बहुत बधाई आपको।

Comment by Chetan Prakash on July 6, 2018 at 10:11am

 खूबसूरत दोहे, सामाजिक यथार्थ को रेखांकित करते हुए। कदाचित् भूलवश दूसरे दोहे का दूसरा तुकान्त फौन होना चाहिए, श्री जी !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब। इस उम्द: ग़ज़ल के लिए ढेरों शुभकामनाएँ।"
12 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। इस जहाँ में मिले हर…"
16 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, अभिवादन।  गजल का प्रयास हुआ है सुधार के बाद यह बेहतर हो जायेगी।हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले ग़ौर…"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ ,बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले…"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए और बेहतर सुझाव के लिए सुधार करती हूँ सादर"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी बहुत शुक्रिया हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपका मक़्त के में सुधार की कोशिश करती हूं सादर"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी बेहतर इस्लाह ऑयर हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया आपका सुधार करती हूँ सादर"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी और अमीर जी के सुझाव क़ाबिले…"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी नमस्कार बहुत ही लाज़वाब ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार कीजिये है शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ ,गिरह भी…"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी आदाब, और प्रस्तुति तक पहुँचने के लिए आपका आपका आभारी हूँ। "बेवफ़ा है वो तो…"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service