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Ashok Kumar Raktale
  • Male
  • Ujjain,M.P.
  • India
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Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post गीत - पर घटाओं से ही मैं उलझता रहा
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर, प्रस्तुत गीत रचना की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. आपकी सराहना से मेरा रचनाकर्म सार्थक हुआ. आपका सुझाव उत्तम है. किन्तु 'फिर' के साथ 'से' का प्रयोग बहुत अच्छा नहीं माना जाता है. इसकारण तो का…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय सुशील सरना जी सादर, रिश्तों में बढ़ते अर्थ के अशुभ प्रभाव पर आपने सुन्दर और सार्थक दोहावली रची है. हार्दिक बधाई स्वीकारें. पांचवे दोहे के तृतीय चरण में प्रसून के स्थान पर 'प्रहसन' का प्रयोग उत्तम होगा. सादर "
Wednesday

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मिथिलेश वामनकर commented on Ashok Kumar Raktale's blog post गीत - पर घटाओं से ही मैं उलझता रहा
"वाह वाह वाह वाह वाह  आदरणीय अशोक रक्ताले जी, वाह क्या ही मनमोहक गीत लिखा है आपने। गुनगुनाते हुए झूम रहा हूं। बादलों का चादरें तानना तो मुग्ध कर गया। धैर्य की परीक्षा की तो बात ही क्या। चांद आया भी तो एक पल के लिए, प्रतीक्षा की सीमा और अधीरता को…"
Monday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 157 in the group चित्र से काव्य तक
"हो जाता है अस्त जब, सूरज, ढलती शाम। लोग करें सब शाम को, बस ठेके के नाम। बस ठेके के नाम पर, बिक जाते मरदूद। खो देते हैं यूं सभी, अपना सकल वजूद।...........सही है नेताओं को दोष देने से पहले स्वयं के दोष देखना भी आवश्यक है.  आदरणीय मिथिलेश वामनकर…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 157 in the group चित्र से काव्य तक
"पैर पकड़ कर कह रहे चाचा रखना ध्यान।।  चाचा भी हैं जानते, इनके सारे  ढंग।। ..........सही कहा है.  आदरणीय प्रतिभा पाण्डे जी सादर,  प्रदत्त चित्र पर सुन्दर और राजनीति की सच्चाई का दर्शाता गीत रचा है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 157 in the group चित्र से काव्य तक
"जैसे  दोहों  को  मिले, सच्चे जोड़ीदार। ऐसे रचनाकार की, यहाँ बहुत दरकार।। प्रतिउत्तर में रच दिये, दोहे पूरे सात। धन्य-धन्य मिथिलेश जी, वाह-वाह क्या बात।। आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर, प्रस्तुत दोहों के प्रतिउत्तर में आपने दोहे रचकर…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 157 in the group चित्र से काव्य तक
"   जी! आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर नमन, आपको दोहे चित्ताकर्षक लगे मेरा रचनाकर्म सफल हुआ. आदरणीय हरिओम जी के कहे को संज्ञान में लिया है और मूल प्रति पर आदरणीय मिथिलेश जी के सुझावानुसार संशोधन कर लिया है. सादर "
Sunday
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" हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी. सादर "
Sunday
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"  जी ! आपका सुझाव उत्तम है. सादर "
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 157 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मेठानी साहब सादर, प्रस्तुत दोहों की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 157 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत दोहों पर उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार. सादर "
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 157 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत दोहों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. जी! मैं 'जहाँ' लिखना चाह रहा था किन्तु किसी कारण वहां 'जब' टंकित हो गया है. असावधानी पर ध्यानाकर्षण के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 157 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय हरिओम श्रीवास्तव जी सादर, प्रस्तुत दोहों पर उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार. सही कहा है आपने. पांचवे दोहे के तृतीय चरण में 'जहाँ' के स्थान पर 'जब' टंकित हो गया है. इंगित करने के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 157 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय समर कबीर साहब सादर नमस्कार, प्रस्तुत दोहों की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 157 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय हरिओम श्रीवास्तव जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर दोहावली के माध्यम से आपने नेताओं के चरित्र को दर्शाया है. इस सुन्दर दोहावली की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
Jul 20
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 157 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मेठानी साहब सादर, प्रदत्त चित्र पर अच्छे दोहे रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. कुछ दोहों के विषम चरणों में गेयता का अभाव है. गेयता के लिए आवश्यक परिवर्तन कर जिन्हें नीचे लिखा है. देख लें. सादर  भूल माफ मेरी  करो,…"
Jul 20

Profile Information

Gender
Male
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Ujjain
Native Place
Ujjain
Profession
service
About me
I am a technical person and always talk in right angle.

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Ashok Kumar Raktale's Blog

गीत - पर घटाओं से ही मैं उलझता रहा

 

रात के हुस्न  पर थी  टँकी चाँदनी

पर घटाओं से ही मैं उलझता रहा 

चाँद पाने की कोशिश नहीं थी मगर

चाँद छूने को ही मैं मचलता रहा

 

सिक्त आँचल हिलाती रही रात भर

फिर भी गुमसुम हवा ही बही रात भर

कुछ सितारे ही बस झिलमिलाते रहे

धैर्य  की  ही  परीक्षा चली रात भर

 

प्रीति के दर्द को भी दबाये हुए

घूँट आँसू के ही मैं निगलता रहा

 

चाँद आया नहीं देर तक सामने

स्याह बादल लगे चादरें…

Continue

Posted on July 16, 2024 at 5:43pm — 4 Comments

ग़ज़ल

2122    1212   112/22

*

ज़ीस्त  का   जो  सफ़र   ठहर   जाए

आरज़ू      आरज़ू      बिख़र     जाए

 

बेक़रारी    रहे     न    कुछ    बाक़ी

फ़िक्र   का   दौर    ही    गुज़र जाए…

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Posted on June 25, 2024 at 3:30pm — 2 Comments

कैसे खैर मनाएँ

तारकोल से लगा चिपकने

चप्पल का तल्ला

 

बिगड़े हैं सुर मौसम के अब

कहे स्वेद की गंगा

फागुन में घर बाहर तड़पे

हर कोई सरनंगा

दोपहरी में जेठ न तपता

ऐसे सौर तपाए

अपनी पीड़ा किसे बताए

नया-नया कल्ला

 

पेड़ों को सिरहाना देती

खुद उसकी ही छाया

श्वानो जैसी उस पर पसरे 

आकर मानव काया

जो पेड़ों को काटे ठलुआ

बढ़कर धूप उगाए

अपनी गलती से वह भी तो

झाड़ रहा…

Continue

Posted on March 28, 2024 at 10:41pm — 5 Comments

ठहरा यह जीवन

गहरे तल पर ठहरे तम-सा,

ठहरा यह जीवन।

*

मौन तोड़ती एक न आहट,

घूरे बस निर्जन।

कौन रुका इस सूने पथ पर,

जो होगी खनखन।

घर आँगन दालानों की भी,

छाँव नहीं कोई।

दूर-दूर तक वीराना है,

गाँव नहीं कोई।

चले हवाएँ गला काटतीं,

सर्द बहुत अगहन।

*

कहीं चढ़ाई साँस फुलाए

कहीं ढाल फिसलन।

क़दम-क़दम पर भटकाने को,

ख़ड़ी एक उलझन।

लम्बा रस्ता पार न होता,

कितना चल आये।

चार क़दम पर…

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Posted on December 25, 2023 at 10:00pm — 4 Comments

Comment Wall (24 comments)

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At 3:43pm on September 4, 2016, kanta roy said…
सार्थक रचना का सम्मानित होना अच्छा लगता ही है।
"मन उस आँगन ले जाय" को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" सम्मान के रूप मे सम्मानित होने के लिये बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय अशोक जी।
At 11:52pm on August 17, 2016,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी.
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी  गीतिका : मन उस आँगन ले जाय को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" सम्मान के रूप मे सम्मानित किया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |

आपको प्रसस्ति पत्र यथा शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस निमित कृपया आप अपना पत्राचार का पता व फ़ोन नंबर admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराना चाहेंगे | मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई हो |
शुभकामनाओं सहित
आपका
गणेश जी "बागी
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक 
ओपन बुक्स ऑनलाइन

At 5:31pm on July 23, 2014, seemahari sharma said…
बहुत बहुत आभार आदरणीय अशोक रकताले जी।
At 8:43pm on June 15, 2014, mrs manjari pandey said…
आदरणीय रक्ताले जी बहुत बहुत धन्यवाद। वस्तुतः विषय तो चिंतनीय है ही .
At 5:01pm on July 26, 2013, Dr Ashutosh Vajpeyee said…

ashok ji apne Mujhe aur Om neerav ji ko FB par Block kar diya is baat se ham logon ko ateev kasht hua hai ham dono hi yah jaan lena chahtey hain ki kis apradh ke liye apne hame yah dand diya aur kavita lok group kyon chhoda,,,,uttar ki prateeksha me me vyagra hoon

At 10:35am on June 10, 2013, D P Mathur said…

आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले सर हौंसला बढ़ाने के लिए आपका आभार !

At 6:13pm on May 8, 2013, Dr Dilip Mittal said…

आदरणीय इसी तरह आशीर्वाद बनाए रखें 

हार्दिक आभार 
At 7:40pm on May 4, 2013, Dr Dilip Mittal said…

आपके प्रोत्साहन भरे भावों के लिए शुक्रिया 

At 1:51pm on February 27, 2013, Meena Pathak said…

सादर आभार 

At 11:53pm on February 22, 2013, बृजेश नीरज said…

आपने मुझे मित्रता योग्य समझा इसके लिए आपका आभार!

 
 
 

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"बढ़िया सुझाव ............ सादर "
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"वाह "
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"वाह ...................... बढ़िया सुझाव ..................... सादर "
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"बढ़िया सुझाव .... सादर "
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"बहुत बढ़िया सुझाव  धन्यवाद अमित जी "
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"बहुत बढ़िया सुझाव "
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"आदरणीय नादिर खान जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति ...... हार्दिक बधाई ..... सादर "
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"आदरणीय तिलक राज कपूर सर, आज आपकी ग़ज़ल का लुत्फ़ ले रहा हूँ. विस्तृत चर्चा कल ...... सादर "
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"आदरणीया ऋचा यादव जी, इस शानदार प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. सादर "
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"आदरणीय दयाराम मेठानी जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. सादर "
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"आदरणीय जैफ जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. वरिष्ठ जनों के  सुझाओं पर ध्यानकर्षण निवेदित…"
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