For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा : पीठ का दाग (गणेश बाग़ी)

रवाजे को खटकाते हुए पड़ोसन ने आवाज़ लगायी..
"गुड़िया की मम्मी, गुड़िया की मम्मी....."
"आओ आओ, शीला बहन, कैसी हो ?" दरवाजा खोलते हुए गुड़िया की मम्मी ने औपचारिकता निभायी ।
"सब ठीक है बहन, तनिक चीनी चाहिए था"
"अरे क्यों नही, अभी देती हूँ, बैठो तो"
"तुमको पता है शीला ! 605 वाली विमला की छोटी बेटी का चक्कर किसी से चल रहा है, कल उसको एक लड़के से बतियाते देखी थी"
"छोड़ो न बहन, उसके साथ पढ़ने वाला कॉलेज-वालेज का कोई लड़का रहा होगा"
"अरे ना रे, उनका तो संस्कार ही खराब है....."
"गुड़िया की मम्मी, तुम्हारे रसोई से कुछ जलने की महक आ रही है"
"वो बगल वाली मिसराइन की रसोई से महक आ रही होगी, बड़ी लापरवाह है"
"फिर भी एक बार चेक तो कर लो"
"अरे छोड़ ना, हा तो मैं कह रही थी कि....
"विमला की बड़ी बेटी को भी मैंने एक दिन एक लड़के के साथ मोटरसाइकिल पर देखी थी"
"देखो न बहन, जलने की महक कुछ अधिक ही आ रही है"
"अच्छा.....गुड़िया, ऐ गुड़िया, देख तो अपने रसोई में कुछ जल रहा है क्या ?"
"अरे बहन, गुड़िया घर में कहाँ होगी, मैं आ रही थी तो गुड़िया सूटकेस लेकर बाहर कही जा रही थी"
गुड़िया की मम्मी तेज कदमों से गुड़िया के रूम की तरफ भागी, उधर उसके ही किचन में चूल्हे पर रखा खीर जल कर काला पड़ गया था"
"मौलिक एवं अप्रकाशित"

Views: 636

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on April 4, 2023 at 1:47pm

कुछ लोग दूसरों के घरों में ज़ियादा ही ताकझांक करते हैं जबकि ख़ुद के घर भले आग लगी हो।

आद0 गणेश बागी जी सादर अभिवादन। बढ़िया लघुकथा लिखी है आपने। बधाई निवेदित करता हूँ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 31, 2023 at 11:56am

बहुत बढ़िया आईना दिखाती घुकथा है आदरणीय...

Comment by Chetan Prakash on March 12, 2023 at 7:53pm

"पऱ उपदेश कुशल बहुतेरे" को चरितार्थ करती उल्लेखनीय लघुकथा, बधाई, आदरणीय गणेश बागी जी !

Comment by Rachna Bhatia on March 8, 2023 at 8:23pm

आदरणीय श्री गणेश बाग़ी जी, लघुकथा बहुत अच्छी हुई है। बधाई स्वीकारें। कुछ जगह पर लिंग दोष आ गया है।

देख लें। सादर।

Comment by pratibha pande on March 7, 2023 at 9:57am

सर्वप्रथम लघुकथा के शीर्षक के लिये बधाई स्वीकारें। अपनी पीठ का दाग किसे दिखता है। संवादात्मक शैली में लिखी इस रचना में संवादों से स्पष्ट है कि बोलने वाला कौन है। खुद की रसोई में खीर जल जाने का प्रतीक भी बहुत गहन है।हार्दिक बधाई इस उत्तम लघुकथा के लिये जो ऊपर से एक सहज वार्तालाप दिख रही है पर पर अपने अन्दर की अनकहे लिये हुए है।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 6, 2023 at 8:05pm

आभार आदरणीय समर साहब, मैं इस रचना पर और कसरत करूँगा ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 6, 2023 at 8:04pm

आदरणीय अजय गुप्ता जी, यदि लघुकथा पूरी तरह संप्रेषित नही हो रही है तो मैं बगैर किसी संकोच मानता हूँ कि यह लघुकथा की कमी कही जाएगी । संवाद शैली में लिखित यह रचना यदि और भी मित्रों तक नही संप्रेषित हो रही हो तो अवश्य बतायें । 

मैं इस लघुकथा को कसने का प्रयास करूँगा ।

सादर आभार।

Comment by Samar kabeer on March 5, 2023 at 7:18pm

//अच्छा हो कि उन कमियों की तरफ कुछ इशारा की जाय //

इशारा जनाब अजय गुप्ता जी दे चुके हैं,वही मेरा भी मत है ।

Comment by अजय गुप्ता 'अजेय on March 4, 2023 at 4:10pm

आदरणीय श्री गणेश बाग़ी जी, बहुत ही रुचिकर और सोद्देश्यपूर्ण लघुकथा हुई है। अक्सर हम बाहर देखते-देखते भीतर झांकना भूल जाते हैं। तो यह लघुकथा अनेक परतों पर समझी जा सकती है।
जैसा आदरणीय समर साहब ने कहा कि कसावट की और आवश्यकता है तो यह बात एक पाठक के तौर पर मैंने भी महसूस की। संवादों को बहुत बार में समझना पड़ा कि कौन सा संवाद "शीला" का है और कौन सा "गुड़िया की मम्मी का". अन्य पाठकों की प्रतिक्रिया के बाद स्थिति और स्पष्ट हो सकती है। पुनः साधुवाद


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 2, 2023 at 8:21pm

नमस्कार आदरणीय समर साहब, कमी हो सकती है, अच्छा हो कि उन कमियों की तरफ कुछ इशारा की जाय ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
21 hours ago
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
yesterday
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
yesterday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service