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1222 - 1222 - 1222 - 1222
ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ कि वो इस्लाह कर जाते
वगर्ना आजकल रुकते नहीं हैं बस गुज़र जाते
न हो उनकी नज़र तो बाँध भी पाता नहीं मिसरा
ग़ज़ल हो नज़्म हो अशआर मेरे सब बिखर जाते
बड़ी मुद्दत से मैं भी कब 'मुरस्सा' नज़्म कह पाया
ग़ज़ल पर सरसरी नज़रों ही से वो भी गुज़र जाते
अरूज़ी हैं अदब-दाँ वो अगर बारीक-बीनी से
न देते इल्म की दौलत तो कैसे हम निखर जाते
मिले हैं ओ. बी. ओ.…
ContinuePosted on September 8, 2024 at 5:15pm — 20 Comments
1212 - 1122 - 1212 - 112/22
महब्बतों से बने रिश्ते यूँ बिखरने लगे
मुझी से कट के मेरे मेह्रबाँ गुज़रने लगे
*
मशाल इल्म की फिर से बुझा गया कोई
फ़सादी सारे जिहालत में रक़्स करने लगे
*
अवाम जिनको समझती रही भले किरदार
मुखौटे उन के भी चेहरों से अब उतरने लगे
*
ख़ुलूस और महब्बत के पैरोकार भी अब
धरम के नाम पे आपस में वार करने लगे
*
सिला ये हमको मिला उन से दिल लगाने का
जुनून-ए-इश्क़ में हर…
ContinuePosted on August 18, 2023 at 8:31am — 4 Comments
22 - 22 - 22 - 2
उम्र मिरी यूँ रही गुज़र
कोई परिंदा ज्यूँ बे-पर
तपती रेत के सहरा में
ढूंढ रहा हूँ आब-गुज़र
हद्द-ए-नज़र वीराना है
कोई साया है न शजर
ग़म के लुक़्मे खाकर मैं
पी लेता हूँ अश्क गुहर
ढूँड रहा हूँ ख़ुद को ही
बेकल दिल बेताब नज़र
जूँ-जूँ रात गुज़रती है
दूर हुई जाती है सहर
तन्हा और बेबस हूँ मैं
देख मुझे भी एक…
ContinuePosted on July 13, 2023 at 11:52pm — 2 Comments
221 - 2122 - 221 - 2122
आया है चाट वाला ले कर गली में ठेला
आते ही लग गया है बच्चों का जैसे मेला
अम्मा से पैसे लेके दौड़ी जो बिटिया रानी
सुनकर ही आ गया है चच्ची के मुँह में पानी
भाभी भी हो रहीं ख़ुश भय्या मँगा रहे हैं
खाते नहीं मगर वो सबको खिला रहे हैं
टन-टन तवा बजाता कर्छी से चाट वाला
कहता है आओ बाजी आओ जी मेरी ख़ाला
गर्मा-गरम पकौड़े चटनी है खट्टी-मीठी
रगड़ा-मसाला खा के मुँह से…
ContinuePosted on July 6, 2023 at 8:53pm — 4 Comments
जनाब अमीरुद्दीन साहिब,ओबीओ पर आपका स्वागत है,मैं हर ख़िदमत के लिए हाज़िर हूँ ।
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