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बृजेश कुमार 'ब्रज'
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  • noida
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बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल
"रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनंदन एवं आभार आदरणीय मिथिलेश जी...टंकण त्रुटि की ओर ध्यानाकर्षण के लिए भी आपका आभार..."
May 18

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल
"आदरणीय बृजेश जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है. शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं. सादर  टंकण भूल- //मैं उसी मोड़ पर सोचता रहा गया//"
May 15
बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

ग़ज़ल

212 212 212 212मैं उसी मोड़ पर सोचता रहा गया वो गया याद का सिलसिला रह गया उसके होंठो पे कुछ बात सी रह गयी मेरे मन में भी कुछ अनकहा रह गया देख कर सब मुझे बात करने लगे हाय क्या शख़्स था और क्या रह गया आज फिर आँखों में है नमी अज़नबी आज फिर आइना ताकता रह गया मिट गया प्यार मायूस नाकाम हो प्यार का दर्द लेकिन बचा रह गया कहकहों से भरी चाँद की महफ़िलें इक चकोरा उसे टेरता रह गया दोस्त दामन बचाकर बिछड़ते गये 'ब्रज' ठगा सा अकेला खड़ा रह गयाअजीज कैसी साहब की ग़ज़ल "आपको देखकर देखता रह गया" की जमीन पे वसीम…See More
Apr 22
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on नाथ सोनांचली's blog post ग़ज़ल (गर आपकी ज़ुबान हो तलवार की तरह)
"क्या ही खूब ग़ज़ल कही है आदरणीय सोनांचली जी..."
Mar 31
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on मनोज अहसास's blog post अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास
"वाह वाह आदरणीय मनोज जी बहुत ही खूब ग़ज़ल कही..."
Mar 31
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पतझड़ से मत घबराना मन (गीत- २१)- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत ही खूबसूरत गीत है आदरणीय धामी जी...सादर"
Mar 31
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Chetan Prakash's blog post गज़ल ः
"आदरणीय चेतन जी अच्छा प्रयास है...आदरणीय धामी जी से सहमत हूँ..."
Mar 31
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Dr. Geeta Chaudhary's blog post कविता: "एक वज़ह"
"अच्छी प्रवाहमयी कविता के लिए बधाई आदरणीया..."
Mar 31
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Rachna Bhatia's blog post आलेख - माँ की देखभाल औलाद की नैतिक जिम्मेदारी
"इस भावपूर्ण लेख के लिए अनंत आभार आदरणीया..."
Mar 31
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Rachna Bhatia's blog post ग़ज़ल - मेरे घर आज आ रहा है कोई
"आदरणीया रचना जी अच्छी ग़ज़ल हुई...बधाई"
Mar 31
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बरसों बाद मनायें होली(गीत-२०)-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"वाह आदरणीय धामी जी क्या ही रंग बिरंगा गीत रचा है..."
Mar 31
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Er. Ganesh Jee "Bagi"'s blog post लघुकथा : पीठ का दाग (गणेश बाग़ी)
"बहुत बढ़िया आईना दिखाती घुकथा है आदरणीय..."
Mar 31
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- नहीं जो था होना वो सब हो रहा है
"अच्छी ग़ज़ल कही आदरणीय नीलेश जी..."
Mar 31
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल-रफ़ूगर
"आदरणीय धामी जी आपका हार्दिक अभिनंदन एवं आभार...सादर"
Feb 15
बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

ग़ज़ल-रफ़ूगर

121 22 121 22 121 22 सिलाई मन की उधड़ रही साँवरे रफ़ूगर कि ज़ख्म दिल के तमाम सिल दे अरे रफ़ूगर उदास रू पे न रंग कोई उदास टांको करो न ऐसा मज़ाक तुम मसखरे रफ़ूगर हज़ार ग़म पे छटाक भर की ख़ुशी मिली है तुझे अभी कुछ पता नहीं मद भरे रफ़ूगर कहीं पलक से टपक न जाये हरेक आँसू भला हो तेरा न और दे मशवरे रफ़ूगर यही भरोसा है एक दिन फिर से आ मिलेंगे यहीं कहीं खो गये सभी आसरे रफ़ूगर कि 'ब्रज' इसी इक उधेड़बुन में रहे हमेशा छुपाऊँ कैसे ह्रदय के सब घाव रे रफ़ूगर (मौलिक एवं अप्रकाशित) बृजेश कुमार 'ब्रज'See More
Feb 11
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल-रफ़ूगर
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई। भाई समर जी के सुझाव से यह और निखर गयी है।"
Feb 9

Profile Information

Gender
Male
City State
noida
Native Place
jhansi

बृजेश कुमार 'ब्रज''s Blog

ग़ज़ल

212 212 212 212

मैं उसी मोड़ पर सोचता रहा गया

वो गया याद का सिलसिला रह गया



उसके होंठो पे कुछ बात सी रह गयी

मेरे मन में भी कुछ अनकहा रह गया



देख कर सब मुझे बात करने लगे

हाय क्या शख़्स था और क्या रह गया



आज फिर आँखों में है नमी अज़नबी

आज फिर आइना ताकता रह गया



मिट गया प्यार मायूस नाकाम हो

प्यार का दर्द लेकिन बचा रह गया



कहकहों से भरी चाँद की महफ़िलें

इक चकोरा उसे टेरता रह गया



दोस्त दामन बचाकर बिछड़ते…

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Posted on April 21, 2023 at 8:00am — 2 Comments

ग़ज़ल-रफ़ूगर

121 22 121 22 121 22



सिलाई मन की उधड़ रही साँवरे रफ़ूगर

कि ज़ख्म दिल के तमाम सिल दे अरे रफ़ूगर



उदास रू पे न रंग कोई उदास टांको

करो न ऐसा मज़ाक तुम मसखरे रफ़ूगर



हज़ार ग़म पे छटाक भर की ख़ुशी मिली है

तुझे अभी कुछ पता नहीं मद भरे रफ़ूगर



कहीं पलक से टपक न जाये हरेक आँसू

भला हो तेरा न और दे मशवरे रफ़ूगर



यही भरोसा है एक दिन फिर से आ मिलेंगे

यहीं कहीं खो गये सभी आसरे रफ़ूगर



कि 'ब्रज' इसी इक उधेड़बुन में रहे हमेशा…

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Posted on February 2, 2023 at 9:30pm — 5 Comments

ग़ज़ल

1222 1222 122
बड़ी दिल-जू रही सूरत हमारी
उदासी खा गई सूरत हमारी

ग़मों को एक चहरा चाहिए था
उन्हें भी भा गई सूरत हमारी

सभी हैरान होकर देखते हैं
लगे सबको नई सूरत हमारी

न जाने कौन शब भर ख़्वाब में था
किसे अच्छी लगी सूरत हमारी

हमारे लब भले चुप हो गये 'ब्रज'
कहे हर अनकही सूरत हमारी

(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Posted on December 15, 2022 at 6:30pm — 18 Comments

ग़ज़ल

221 2121 1221 212



आँखों को रतजगे मिले हैं जल भराव भी

उल्फ़त में दुख मिले तो मिले गहरे भाव भी



कानों को आहटें सुने बर्षों गुज़र गये

बुझने लगे हैं आँखों के जलते अलाव भी



कुछ इसलिये खमोशियाँ ये रास आ गईं

दुनिया न जान ले कहीं अंतस के घाव भी



गर डूबना नसीब है तो फ़िक़्र क्यों करूँ

दरिया में अब उतार दी है टूटी नाव भी



वो साथ दे सका न बहुत देर तक मेरा

इक तो हवा ख़िलाफ़ थी उसपे बहाव भी



वो चाँद है,वो चाँद भला किसका हो…

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Posted on November 1, 2022 at 6:30pm — 16 Comments

Comment Wall (2 comments)

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At 6:59pm on October 24, 2017, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव said…

स्वागत है आदरणीय ,  आपको मित्र के रूप में पाना मेरा सौभाग्य है .

At 11:43pm on November 17, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

आपका अभिनन्दन है.

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