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खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...

ओपन बुक्स ऑनलाइन के सभी सदस्यों को प्रणाम, बहुत दिनों से मेरे मन मे एक विचार आ रहा था कि एक ऐसा फोरम भी होना चाहिये जिसमे हम लोग अपने सदस्यों की ख़ुशी और गम को नजदीक से महसूस कर सके, इसी बात को ध्यान मे रखकर यह फोरम प्रारंभ किया जा रहा है, जिसमे सदस्य गण एक दूसरे के सुख और दुःख की बातो को यहाँ लिख सकते है और एक दूसरे के सुख दुःख मे शामिल हो सकते है |

धन्यवाद सहित
आप सब का अपना
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दुखद समाचार है

सभी आदरणीय गुरुजन एवं मित्रगण अपना ध्यान रक्खे बेहद कठिन समय है गुजर जायेगा

आदरणीय नारायण जी को प्रकृति आत्मीय शांति प्रदान करे

विनम्र श्रद्धांजलि! 

भारी वक्त है, ईश्वर शीघ्र उबारें!

दुखद समाचार ... भावभीनी श्रद्धांजलि

विनम्र श्रद्धांजलि।

विनम्र श्रद्धांजलि। उनका यूँ जाना हमारे लिए एक अपूरणीय क्षति है. 

विनम्र श्रद्धांजलि.

बहुत ही दुखद समाचार है..ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। 

आदरणीय रवि प्रभाकर जी,

लघुकथा ने एक सृजक, चिंतक , आलोचक ही नहीं खोया, आपके रूप में मैनें एक स्नेहसिन्धु, पथप्रदर्शक भी खो दिया है। आपके बारे में सुने समाचार पर यकीन नहीं कर पा रहा हूँ।

आजीवन स्मृतियों में जिंदा रहोगे।

ॐ शांति! 

विनम्र श्रद्धांजली

विनम्र श्रद्धांजलि ।

हे भगवान तू है भी या नहीं योगराज जी पर एक के बाद एक दुःखो का पहाड़ टूट रहा है ये कैसी परीक्षा है प्रभु।

मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा।मेरी गुल्लक की इतनी बेहतरीन समीक्षा की थी उन्होंने।साहित्य जगत ने एक और चमकता सितारा खो दिया।किस मुँह से परिवार को धीरज बँधाएँ।

भगवान रवि भाई को अपने चरणों में स्थान दें।विनम्र अश्रुपूरित श्रद्धांजलि।

जब से यह समाचार सुना है तब से स्तब्ध हूँ। अभी भी कुछ कह पाने में समर्थ नहीं हो पा रहा हूँ। अलिवदा सर! आपकी बहुत याद आएगी।

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