For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल --- ख़ुद-परस्ती का दायरा क्या था / दिनेश कुमार

2122---1212---22

ख़ुद-परस्ती का दायरा क्या था
मैं ही मैं था, मेरे सिवा क्या था

.

झूठ बोला तो बच गई गरदन
हक़-बयानी का फ़ाएदा क्या था

.

चाह मंज़िल की थी निगाहों में
ठोकरें क्या थीं आबला क्या था

.

पर निकलते ही थे उड़े ताइर !
ये रिवायत थी, सानेहा क्या था

.

दर्द, ग़ुस्सा, मलाल, मजबूरी
आख़िर उस चश्मे-तर में क्या क्या था

.

क्यों मैं बर्बादियों का सोग करूँ
जब मैं आया, यहाँ मेरा क्या था

आग पानी हवा ज़मीन फ़लक
पेश-तर दहर के बता क्या था

.

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 897

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by gumnaam pithoragarhi on July 19, 2018 at 4:27pm

वाह खूब सूरत ग़ज़ल के लिए बधाई .. .. 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on July 18, 2018 at 10:18pm

जनाब दिनेश साहिब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं l शेर 4 में शब्द "सानेहा" को "सानिहा  "कर लें l

Comment by Sushil Sarna on July 17, 2018 at 5:55pm

आदरणीय निशब्द हूँ आपकी इस गहन भावों की अभिव्यक्ति वाली बेहतरीन ग़ज़ल पर। हार्दिक हार्दिक बधाई सर।

Comment by vijay nikore on July 17, 2018 at 2:04pm

अच्छी गज़ल के लिए बधाई

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 17, 2018 at 9:35am

आ. भाई दिनेश जी, बहुत अच्छी गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on July 17, 2018 at 8:11am

बहुत खूब आ. दिनेश जी 
बहुत बहुत बधाई 

Comment by Shyam Narain Verma on July 14, 2018 at 11:02am
बहुत खूब ! इस सुंदर गजल हेतु बधाई स्वीकारें ।  सादर 
Comment by Ram Awadh VIshwakarma on July 14, 2018 at 8:10am

झूठ बोला तो बच गई गरदन

हकबयानी का फायदा क्या था।

क्या कहने वाह बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई है। हर शेर बोलता हुआ। बधाई 

Comment by Ajay Tiwari on July 14, 2018 at 6:09am

आदरणीय दिनेश जी, आपके अपने ख़ास अंदाज़ के उम्दा अशआर हुए हैं. हार्दिक बधाई. 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 13, 2018 at 6:04pm

बहुतखूब बहुतखूब आदरणीय..बेहतरीन ग़ज़ल

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ अड़सठवाँ आयोजन है।.…See More
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"अश्रु का नेपथ्य में सत्कार भी करते रहेवाह वाह वाह ... इस मिसरे से बाहर निकल पाऊं तो ग़ज़ल पर टिप्पणी…"
18 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं

.सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं  जहाँ मक़ाम है मेरा वहाँ नहीं हूँ मैं. . ये और बात कि कल जैसी…See More
19 hours ago
Ravi Shukla posted a blog post

तरही ग़ज़ल

2122 2122 2122 212 मित्रवत प्रत्यक्ष सदव्यवहार भी करते रहेपीठ पीछे लोग मेरे वार भी करते रहेवो ग़लत…See More
19 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागा अर्थ प्रेम का है इस जग में आँसू और जुदाई आह बुरा हो कृष्ण…See More
19 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय नीलेश जी "समझ कम" ऐसा न कहें आप से साहित्यकारों से सदैव ही कुछ न कुछ सीखने को मिल…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय गिरिराज जी सदैव आपके स्नेह और उत्साहवर्धन को पाकर मन प्रसन्न होता है। आप बड़ो से मैं पूर्णतया…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना की विस्तृत समीक्षा के लिए आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार व्यक्त करता हूँ।…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. बृजेश जी मुझे गीतों की समझ कम है इसलिए मेरी टिप्पणी को अन्यथा न लीजियेगा.कृष्ण से पहले भी…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. रवि जी ,मिसरा यूँ पढ़ें .सुन ऐ रावण! तेरा बचना है मुश्किल.. अलिफ़ वस्ल से काम हो…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. रवि जी,ग़ज़ल तक आने और उत्साह वर्धन का धन्यवाद ..ऐ पर आपसे सहमत हूँ ..कुछ सोचता हूँ…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service