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सुमधुर भावों की यह रचना तृप्ति दे गई, बहुत बधाई प्रियंका जी.
मधुर भाव से भरपूर रचना। हार्दिक बधाई, आदरणीया प्रियंका जी।
कुछ बंद किताबों के पन्ने
फिर फिर से जैसे खुल जाए
आखर आखर बन सरगम ज्यो
प्राणों में आकर घुल जाए
नयनो की मोहक चितवन में
कोई और नहीं तुम ही थे
आदरणीया प्रियंका जी गीत के सभी बंध सुन्दर हैं किंतु यह बंध काफ़ी मनमोहक लगा |सादर अभिनन्दन
आदरणीया प्रियंका जी , बहुत सुन्दर गीत रचना हुई है , बहुत बहुत बधाई | आदरणीया मात्राएँ एक सी न होने से प्रवाह में बाधा ज़रूर है |
सुंदर कोमल भाव से पूर्ण पंक्तियाँ, बधाई स्वीकारें आदरणीया प्रियंका जी
मानो दूर से कोई संगीत की लहर आई हो i ऐसा है मधर गीत i आदरणीया .
और कोई नहीं तुम ही थे,...बहुत सुन्दर भावप्रवण प्रस्तुति बधाई आदरणीया ...
आदरणीय प्रियंका जी इस सरस और मधुर रचना के लिए हार्दिक बधाई .
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