For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पलकों के महके उपवन में
गीतों के सारे सरगम में
हर उलझन में हर सुलझन में
कोई और नहीं तुम ही थे

कुछ बंद किताबों के पन्ने
फिर फिर से जैसे खुल जाए
आखर आखर बन सरगम ज्यो
प्राणों में आकर घुल जाए
नयनो की मोहक चितवन में
कोई और नहीं तुम ही थे

महकी महकी सी साँसों में
तेरी मोहक खुशबू बस जाए
हरपल पलछिन रात और दिन
यादे तेरी सज सज जाएँ
सपनो के खिलते गुलशन में
कोई और नहीं तुम ही थे

श्वाँस श्वाँस मधुरिम स्पंदन ले
मन चातक कुछ भी न कह पाए
नयनो की मधुरिम भाषा सुन
विस्मित अधर मूक से रह जाए
जो तस्वीर बसी मन दर्पण में
कोई और नहीं तुम ही थे
------प्रियंका े

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 565

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on September 18, 2014 at 11:31pm

सुमधुर भावों की यह रचना तृप्ति दे गई, बहुत बधाई प्रियंका जी.

Comment by vijay nikore on September 18, 2014 at 11:07am

मधुर भाव से भरपूर रचना। हार्दिक बधाई, आदरणीया प्रियंका जी।

Comment by khursheed khairadi on September 18, 2014 at 9:52am

कुछ बंद किताबों के पन्ने
फिर फिर से जैसे खुल जाए
आखर आखर बन सरगम ज्यो
प्राणों में आकर घुल जाए
नयनो की मोहक चितवन में
कोई और नहीं तुम ही थे

आदरणीया प्रियंका जी गीत के सभी बंध सुन्दर हैं किंतु यह बंध काफ़ी मनमोहक लगा |सादर अभिनन्दन 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 18, 2014 at 7:53am

आदरणीया प्रियंका जी , बहुत सुन्दर गीत रचना हुई है , बहुत बहुत बधाई | आदरणीया मात्राएँ एक सी न होने से प्रवाह में बाधा ज़रूर है |

Comment by seemahari sharma on September 17, 2014 at 5:54pm
बहुत सुंदर गीत
Comment by Dr. Vijai Shanker on September 17, 2014 at 2:10pm
भावनाओं की कोमल अनुभूतियों की किसी के सुखद एहसास के साथ इतनी अच्छी प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाइयां आदरणीय प्रियंका पांडे जी .
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 17, 2014 at 12:04pm

सुंदर कोमल भाव से पूर्ण पंक्तियाँ, बधाई स्वीकारें आदरणीया प्रियंका जी

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 17, 2014 at 11:46am

मानो दूर से कोई संगीत की लहर आई हो  i ऐसा है मधर गीत i  आदरणीया .

Comment by harivallabh sharma on September 17, 2014 at 11:10am

और कोई नहीं तुम ही थे,...बहुत सुन्दर भावप्रवण प्रस्तुति बधाई आदरणीया ...

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 17, 2014 at 10:51am

आदरणीय प्रियंका जी इस सरस और मधुर रचना के लिए हार्दिक बधाई .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"जय हो.. "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह .. एक पर एक .. जय हो..  सहभागिता हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय अशोक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"क्या बात है, आदरणीय अशोक भाईजी, क्या बात है !!  मैं अभी समयाभाव के कारण इतना ही कह पा रहा हूँ.…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, आपकी प्रस्तुतियों पर विद्वद्जनों ने अपनी बातें रखी हैं उनका संज्ञान लीजिएगा.…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी सहभागिता के लि हार्दिक आभार और बधाइयाँ  कृपया आदरणीय अशोक भाई के…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाई साहब, आपकी प्रस्तुतियाँ तनिक और गेयता की मांग कर रही हैं. विश्वास है, आप मेरे…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, इस विधा पर आपका अभ्यास श्लाघनीय है. किंतु आपकी प्रस्तुतियाँ प्रदत्त चित्र…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मिथिलेश भाईजी, आपकी कहमुकरियों ने मोह लिया.  मैंने इन्हें शमयानुसार देख लिया था…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार.…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय मिथिलेश जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से आभार.…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"    प्रस्तुति की सराहना हेतु हृदय से आभार आदरणीय मिथिलेश जी. सादर "
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service