For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

All Blog Posts (18,926)

भीड़...अजय कुमार बहोत

मैं
भीड़ हूँ
इस लोकतंत्र के ढाँचे की मैं रीढ़ हूँ
जी हाँ
मैं भीड़ हूँ...

तिनका-तिनका जोड़ता दिन का
रोज़ बिखरता-जुड़ता
मन-आशाओं का नीड़ हूँ
मैं भीड़ हूँ...

कहाँ फुर्सत
वैष्णव-जन को,
की जाने मुझ को
एक परायी पीड़ हूँ
मैं भीड़ हूँ...

~ © AjAy Kum@r

Added by AjAy Kumar Bohat on May 11, 2012 at 11:30am — 10 Comments

तुम्हारा मौन

तुम्हारा मौन
विचलित कर देता है
मेरे मन को
सुनना चाहती हूँ तुम्हे
और
मुखर हो जाती हैं
दीवारें , कुर्सियां
टेबल , चम्मचे
दरवाजे
सभी तो कहने लगते हैं
सिवाए तुम्हारे

Added by MAHIMA SHREE on May 10, 2012 at 4:15pm — 17 Comments

भीड़...महिमा श्री

हां भीड़ में शामिल
मैं भी तो हूँ
रोज
अलसुबह उठ के
जाती हूँ
शाम को आती हूँ
दूर से देखती हूँ
कहती हूँ
ओह देखो तो जरा
कितनी भीड़ है
और फिर
मैं भी भीड़ हो जाती हूँ

Added by MAHIMA SHREE on May 10, 2012 at 4:00pm — 26 Comments


सदस्य कार्यकारिणी
माँ तुम्हें कहाँ से लाऊं ???

वो छोटी सी पगडण्डी 
जिसकी नुकीली झाड़ियाँ 
अपने हाथों से काटकर 
बनाई थी तुमने मेरे चलने के लिए, 
आज वो कंक्रीट की सड़क बन गई है 
जो पौधा अपने आँगन 
में लगाया था तुमने, 
वो सघन दरख़्त बन गया है 
नई- नई कोंपले 
भी निकल आई हैं उसपर 
जो नन्हा दिया जलाया 
था तुमने मुझे रौशनी देने के लिए 
वो अब आफताब बन गया है 
तुम्हारे उस कच्ची माटी के…
Continue

Added by rajesh kumari on May 10, 2012 at 1:45pm — 17 Comments

उड़ान

यह रचना मैंने करीब १०-११ साल  पहले लिखी थी और आज जब इस रचना को पढ़ती हूँ तो ऐसा लगता है मानो न तब कुछ बदला था न आज कुछ बदला है बस अगर कुछ बदला है तो इस पुरुष प्रधान समाज में तीर मारने वाले बदल गए है. ये रचना हमेशा मेरे मन के निकट रही है इसलिए आप सभी तक पहुंचा रही हूँ ----
"उड़ान"

मैं हूँ इक छोटी सी…
Continue

Added by Monika Jain on May 9, 2012 at 12:30am — 12 Comments

वही तो सृजनकार है....

जिसका अंक है कोई, न रूप कार है,

जो प्रकाश पुंज है, जो निर्विकार है,

कणों कणों से एक सुर में ये पुकार है,

वही तो सृनकार है, वही तो सृनकार है।



ये नगर ये…

Continue

Added by इमरान खान on May 8, 2012 at 1:00pm — 8 Comments

सब की प्यारी माँ.

छहः साल  का नन्हा सा बच्चा था रोहन, लेकिन बड़ा होशियार.मम्मी पापा सब की आँखों का तारा . पढने में जितना होशियार उतना ही बड़ा खिलाडी.हमेशा कोई न कोई नयी हरकत कर के माँ को चौंका देता था. एक दिन  शाम  को काफी अँधेरा हो चला  लेकिन रोहन खेल कर घर नहीं लौटा. माँ की डर के मारे  हालत ख़राब होने लगी. उलटे सीधे विचार मन में आने लगे..बेहाल हो कर ढूंढने  निकली तो देखा की जनाब शर्ट को पेट पर आधा  मोड़े हुए उस में कोई  चीज़ बटोरे लिए चले आ रहे हैं. ख़ुशी…

Continue

Added by Sarita Sinha on May 8, 2012 at 1:00am — 24 Comments

ज़िंदगी कर दी सनम तेरे हवाले अब तो

ज़िंदगी कर दी सनम तेरे हवाले अब तो।

तू भी बढ़के मुझे सीने से लगा ले अब तो॥

दूर रहता हूँ तो आँखों में नमी रहती है,

मैं भी हँस लूँ तू ज़रा पास बुला ले अब तो॥…

Continue

Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 7, 2012 at 9:30pm — 18 Comments

बचपन

याद तुम्हारी आते ही मन व्याकुल हो जाता है,
छूट गया वो साथ जो कभी नहीं फिर आता है.
 
कितना था आनंद कितना था फिर प्यार वहां,
कितने थे कोमल सपने कितने थे अरमान…
Continue

Added by Ashok Kumar Raktale on May 7, 2012 at 6:00pm — 16 Comments


सदस्य टीम प्रबंधन
एक चिड़िया की कहानी

एक चिड़िया की कहानी

 

मैं नन्ही सी चिड़िया...भरती हूँ आज खुले आसमान में लम्बी से लम्बी उड़ान l याद है मुझे आज भी सर्द ठिठूरी कुहासे भरी वो गीली गीली सी सुबह, जब अपनी ही धुन में मस्त, मिट्टी की सौंधी सी खुशबू में गुम मैं फुदक रही थी एक पगडंडी पर l नम घास की गुदगुदाती छुअन मदमस्त कर रही थी मुझे और मैं अपनी ही अठखेलियों से आह्लादित चहक रही थी…

Continue

Added by Dr.Prachi Singh on May 7, 2012 at 1:07pm — 16 Comments

“कर लो अब तैयारी”

                                                             सूरज की गरमी को देखो, पड़ती सब पे भारी

सूखे ताल तलैया भाई,  पिघली सड़कें सारी

सूख चली देखो हरियाली, सहमा उपवन सारा. 

पंथिन को तो छांह नहीं अब,  क्योंकर चलता…

Continue

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 7, 2012 at 12:30pm — 29 Comments

ये है कंप्यूटर सदी यानि ज़माना है नया ,

मंजिले  ऊँची  बनाना  आज  की  तामीर  है , 

इस  सदी  की  दोस्तों  कितनी  अजब  तस्वीर  है ... 



ये  है  कंप्यूटर  सदी  यानि  ज़माना  है  नया , 

कितनी  आसानी  से  बदली   जा  रही  तस्वीर  है ... 



क्या  कटेगी  ज़िन्दगी  अपनों  की  मोबाईल  बगैर , 

ये  हमारे  दौर  की  मुंह …

Continue

Added by MOHD. RIZWAN (रिज़वान खैराबादी) on May 7, 2012 at 11:30am — 11 Comments

कौरवों के साथ में धृतराष्ट्र अँधा है

कौरवों के साथ में धृतराष्ट्र अँधा है

धर्म है पाखंड सा हर दिल दरिंदा है



हिंद में ही लुट रही क्यूँ लाज हिंदी की

पश्चिमी रंग में रंगा हर एक बंदा है



ना हया ना शर्म है आदम के अन्दर अब

औ सनातन धर्म भी मंदिर में धंधा है



आज तक अच्छा किया ना एक नेता ने

जो करे अच्छा यहाँ वो ही तो गन्दा है



फिक्र तुझको…
Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 7, 2012 at 9:30am — 15 Comments

''औरत की कदर''

औरत न तेरा दर कहीं काँटों भरी डगर है  

तेरे जन्म के पहले ही बनती यहाँ कबर है l

रखती कदम जहाँ है गुलशन सा बना देती     

फिर भी यहाँ दुनिया में होती नहीं कदर है l  

ये नादान नहीं जानते कीमत नहीं पहचानते

तेरे बिन कायनात तो सूखा हुआ शजर है l 

जब भी कहीं देश में कोई ज्वलंत समस्या उठी है तो चारों तरफ एक चर्चा का विषय बन जाती है. भ्रूण हत्या भी एक ऐसा ही विषय बना हुआ है. भारत में आये दिन खबरों में, या फिर कभी रचनाओं, कभी लेखों या सिनेमा के माध्यम से…

Continue

Added by Shanno Aggarwal on May 7, 2012 at 6:00am — 12 Comments

अंगूठा चूसते-चूसते वो इतना "बड़ा" हो गया

मै ६ दिसंबर हूँ

मै ११ सितम्बर हूँ

२६ नवम्बर हूँ

आंसुओं का

महासागर हूँ मै !

--------------------------

गोल-गोल

बूँद भरी

पूर्ण हो

निकल पड़ी

-------------------…

Continue

Added by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 6, 2012 at 10:09pm — 5 Comments

मैंने अपनी हर दुआ में बस तुझे मांगा यहाँ

मैंने अपनी हर दुआ में बस तुझे मांगा यहाँ

तेरे आने से मिला है अब मुझे सारा जहाँ

 

लब हैं नाजुक पंखुड़ी  से ये गुलाबों की तरह

जुल्फों में उलझे पड़े जो जी रहे हैं अब कहाँ

 

भूलूं कैसे "दीप" आखिर वो हया रुखसार की

उनके बिन कैसे रहूँगा मैं यहाँ औ वो वहाँ

 

…………."दीप"…………..

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 6, 2012 at 8:48pm — 3 Comments

तुम क्या समझो तुम क्या जानो......मोनिका जैन "डाली"

तुम क्या समझो तुम क्या जानो

है पीर कहा ? है दर्द कहाँ ?

क्यों है मन आकुल व्याकुल सा

क्यों है तन थका थका सा ये

क्यों हार - हार कर  भी लेती हूँ

जीने की प्रबल प्रतिग्या मैं

क्यों बुझे हूऐ दीपों में मैं

आशा की जोत जलाती हूँ  

क्यों हूँ  रूठी हूँ दुनिया से मैं

क्यों फिर भी सबसे हिली मिली

हैं प्रश्न बहुत पर फिर भी

मैं क्यों खडी - खडी मुस्काती हूँ ?

क्या है ? क्यों है ? कैसा है ?

प्रश्नों की ठेलम ठेली है !

हो चकित देख कर…

Continue

Added by Monika Jain on May 6, 2012 at 7:00pm — 11 Comments

चल दिल चलें अपने जहाँ.......

दर्द भरा है ये समां, होने लगा धुआं धुआं.

ये तेरी मंजिलें कहाँ, चल दिल चलें अपने जहाँ.



दो पल मुझे हंसा गया, सदियों मगर रुला गया.

सीने में आग जल गयी, इतना मुझे सता गया,

रोने लगा रुवां रुवां, चल दिल चलें अपने…

Continue

Added by इमरान खान on May 6, 2012 at 11:41am — 7 Comments

मुझे उम्र भर एक रियाज बक्श दी

किसी  अदीब  ने  मुझे  अलफ़ाज़  बक्श  दी

खामोशियों  को  आवाज़  बक्श  दी
 
 
मेरे  दहलीज़  पर  भी  थोड़ी  रौनक  हो…
Continue

Added by Nilansh on May 6, 2012 at 9:30am — 6 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ ,बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले…"
6 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
13 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए और बेहतर सुझाव के लिए सुधार करती हूँ सादर"
14 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी बहुत शुक्रिया हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपका मक़्त के में सुधार की कोशिश करती हूं सादर"
15 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी बेहतर इस्लाह ऑयर हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया आपका सुधार करती हूँ सादर"
16 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी और अमीर जी के सुझाव क़ाबिले…"
18 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी नमस्कार बहुत ही लाज़वाब ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार कीजिये है शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ ,गिरह भी…"
20 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी आदाब, और प्रस्तुति तक पहुँचने के लिए आपका आपका आभारी हूँ। "बेवफ़ा है वो तो…"
29 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
" आदरणीय मुसाफिर जी नमस्कार । भावपूर्ण ग़ज़ल हेतु बधाई। इस्लाह भी गुणीजनों की ख़ूब हुई है। "
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा यादव जी नमस्कार । ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। तेरे चेहरे पे शर्म सा क्या…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Prem Chand Gupta जी आदाब  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है। कृपया नुक़्तों का विशेष ध्यान रखें…"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service