For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुझे उम्र भर एक रियाज बक्श दी

किसी  अदीब  ने  मुझे  अलफ़ाज़  बक्श  दी

खामोशियों  को  आवाज़  बक्श  दी
 
 
मेरे  दहलीज़  पर  भी  थोड़ी  रौनक  हो
तरन्नुम   में  कुछ  अंदाज़  बक्श  दी ...
 
 
मेरे  तस्सवुर  में  समाया  कुछ  ऐसे
मेरे  कोशिशों   को  परवाज  बक्श  दी  
 
 
सने   दानिश  थोड़ी  सी  हटकर  दी
मुझे  उम्र   भर   एक   रियाज   बक्श  दी 
 
*********
Nilansh
 
........................................
Adib:          man of letters    
Daanish:    knowledge   
Tassawur:  imagination
Tarannum: tunes         
Parwaaj:    wings            
Riyaaj:       practice          
.........................................

Views: 498

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilansh on June 7, 2012 at 12:37am

venus ji aapka bahut aabhaar

main koshish karta rahunga 

Comment by वीनस केसरी on June 5, 2012 at 2:45pm
सुंदर शब्द संयोजन है, भाव की सुंदरता ने भी मोहित किया

साधने के क्रम में सुंदर प्रयास के लिए अपार बधाई

इसे जारी रखिये ...
Comment by Nilansh on May 12, 2012 at 3:36pm

ashok ji,chotu ji,pradeep ji,rajesh ji aap sabhi ke sneh ka kritagy hoon

koshish karta rahunga

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 7, 2012 at 10:14pm

उसने   दानिश  थोड़ी  सी  हटकर  दी
मुझे  उम्र   भर   एक   रियाज   बक्श  दी
 वाह! बहुत सुन्दर गजल. बधाई नीलांश जी.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 6, 2012 at 9:02pm

bahut khoob soorat gajal, shabdon ke arth dene ka. aanad aa gaya. badhai.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 6, 2012 at 7:24pm

बहुत खूब ...वाह बधाई इस सुन्दर ग़ज़ल  के लिए .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
2 hours ago
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
19 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service