For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम्हारा मौन
विचलित कर देता है
मेरे मन को
सुनना चाहती हूँ तुम्हे
और
मुखर हो जाती हैं
दीवारें , कुर्सियां
टेबल , चम्मचे
दरवाजे
सभी तो कहने लगते हैं
सिवाए तुम्हारे

Views: 579

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज़ नवादवी on August 9, 2013 at 12:43am

आपका स्वागत है आदरणीया महिमा जी!

Comment by MAHIMA SHREE on August 7, 2013 at 9:10pm

आपका तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय नवादवी जी ..आपने अपना कीमती वक्त मेरी रचनाओ को दिया .. आपकी  सुंदर प्रतिकियाएँ रचनाओ को नए आयाम देती हैं ..सहयोग बनाये रखे / सादर

Comment by राज़ नवादवी on August 7, 2013 at 8:05pm

सुनना चाहती हूँ तुम्हे
और
मुखर हो जाती हैं
दीवारें , कुर्सियां
टेबल , चम्मचे
दरवाजे
सभी तो कहने लगते हैं
सिवाए तुम्हारे

- आह.. विवशताएं भी बड़ी खामोशी से बोलती हैं आपकी पंक्तियों में, तनहाई भी जैसे कोई शय है  जिसे छुआ जा सकता हो! घर की बेजान चीज़ें शायद हमें बेहतर समझती हैं!....खूबसूरत पंक्तियाँ महिमा जी !     

Comment by MAHIMA SHREE on May 19, 2012 at 8:33pm
आदरणीय अशोक सर ,आदरणीय नीलांश जी ,
आप दोनों के अनमोल प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभारी हूँ .. स्नेह बनाये रखे    
Comment by Ashok Kumar Raktale on May 18, 2012 at 6:46pm

महिमा जी
          सादर, वाह! क्या बात है.मन के भावों को किस खूबसूरती से शब्द दिए हैं आपने.बधाई.

Comment by Nilansh on May 12, 2012 at 11:42am

bahut hi acchi rachna

ehsaaon ko sameti huin hain

bahut badhai aaapko

Comment by MAHIMA SHREE on May 11, 2012 at 8:52pm

आदरणीय  संदीप जी , आदरणीय  अजय जी आप दोनों की आभारी हूँ/

 
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 11, 2012 at 8:02pm

bahut khoob kya baat hai behad prabhavi maun ................

Comment by AjAy Kumar Bohat on May 11, 2012 at 7:10pm

सुनना चाहती हूँ तुम्हे
और
मुखर हो जाती हैं
दीवारें , कुर्सियां
टेबल , 

Bahut hi sundar abhivyakti Mahima ji....

Comment by MAHIMA SHREE on May 11, 2012 at 5:25pm
//सच में कभी -२ मैं भी चौक जाती हूँ अपने आप से ...//

यह एक सम्यक स्थिति है, महिमाजी, जब एक व्यक्ति से उस व्यक्ति का रचनाकार विलग दीखता हो. बधाई हो...

आदरणीय सौरभ सर .. सच में क्या :) याद रखूंगी .. सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
16 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
16 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
19 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
19 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
19 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
19 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
19 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service