१२१२ ११२२ १२१२ २२/११२
अभी सुहाग कि मेहंदी हटीं न हाथों से
जहर उगलने लगे हैं बशर तो बातों से
जो घूमते थे सदा तान सीना जंगल में
वो शेर टूटे हैं जंगल में अपनी मातों से
हयात रो के गुजारी तमाम जनता नें
कहाँ ये लात के हैं भूत मनते बातों से ?
सुना है आज वो संसद है इक मंदिर सी
सुना था पहले जो चलती थी घूंसे लातों से
गले न मिलते हैं अब लोग इस सियासत में
कहीं न छीन ले कुर्सी ही कोई घातों…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on July 6, 2014 at 7:56pm — 8 Comments
2222 2222 2222 22
चलते चलते इन राहों में जब मिल जाते हो तुम
जाने क्या हो जाता है जो यूं सकुचाते हो तुम
तेरी आँखों में लगता है काला कोइ जादू
जिसपे नजरें पड़ जाती उसको भरमाते हो तुम
इक पल को आते हो छत पर फिर गुम हो जाते हो
क्या बच्चो के जैसा ही हमको बहलाते हो तुम
उजला उजला योवन तेरा फूलों सा है भाये
क्यूँ छुईमुई जैसा छू लेने पर मुरझाते हो तुम
तेरी इन मादक आँखों से मदिरा छलका…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on July 3, 2014 at 3:39pm — 8 Comments
२१२२ ११२२ २१२२
कुछ जलाना तो चिरागों को जलाओं
पी के तम को ये जहाँ रोशन बनाओ
चल पड़ा है वो मसीहा जग बदलने
राह से कांटे सभी उसको हटाओ
आज चिलमन है हमारे दरमिया क्यों
नाजनीनो यूं न हमको तुम सताओ
सब की हम पर ही नजर है बज्म में अब
जाम नजरों से हमें छुपकर पिलाओं
है सबब कोई खफा जो हमसे हो तुम
बेकली दिल की बढ़ी कुछ तो बताओ
बात बज्मों में निगाहें ही करेंगी
तुम भी जो…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on June 26, 2014 at 2:32pm — 20 Comments
१२२२ १२२२ १२२२ १२२
मेरे हाथों में तारे देख कर वो क्यूँ जला है
मेरे मालिक तेरा इंसान जाने क्या बला है
लड़ा ताउम्र दरिया हौसलों के साथ अपने
लगाया था गले जिनको उन्हें ही क्यूँ खला है
घुसे थे झाड़ियों में तो बहुत ज्यादा संभलकर
थे हम भी बेखबर उस नाग से जो घर पला है
बड़ा मुश्किल है फहराना ये परचम शोहरत का
यकीनन कारवा पहले या आखिर में चला है
नहीं शिकवा गिला हमको कभी भी आपसे था
कभी खिलता…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on June 10, 2014 at 5:50pm — 15 Comments
Added by Dr Ashutosh Mishra on June 1, 2014 at 2:11pm — 19 Comments
२१२२ २१२२ २१२२ २१२
हर ग़ज़ल अच्छी बनेगी ये जरूरी तो नहीं
दुनिया मुझको ही पढेगी ये जरूरी तो नहीं
फ़ौज सरहद पे खडी हो चाहे दुश्मन की तरह
कोई गोली भी चलेगी ये जरूरी तो नहीं
आज सागर हाथ में माना कि मेरे दोस्तों
प्यास पर मेरी बुझेगी ये जरूरी तो नहीं
इन चिरागों में भरा हो तेल कितना भी भले
रात भर बाती जलेगी ये जरूरी तो नहीं
आज उसकी ही खता है खूब है उसको पता
मांग पर माफी वो लेगी ये जरूरी तो नहीं
जोड़ लो दुनिया की दौलत जीत लो हर जंग…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on May 28, 2014 at 12:15pm — 31 Comments
२२२ ११२ १२२
नानी अब न कहे कहानी
राजा खोये नहीं वो रानी
रेतीली वो नदी पुरानी
गुम पैरों कि मगर निशानी
बोली तुतली हिरन सी आँखे
जाने खोयी कहाँ दिवानी
बचपन बीत गया है पल में
मुरझाई सी लगे जवानी
देखेंजब भी जहर हवा में
बहता आँख से मेरी पानी
भूली सजनी किये थे वादे
उंगली में है पडी निशानी
बिसरा पाये कभी नहीं हम
गांवों वाली…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on May 26, 2014 at 2:54pm — 12 Comments
2122 2122 2122
नीले नीले नयनो पर पलकों का पहरा
जैसे चिलमन झील पे कोई हो पसरा
दिल तेरा बेचैन है मुझको भी मालुम
बाँध लूं कैसे मैं लेकिन सर पे सहरा
झीने बस्त्रों में तेरा मादक सा ये तन
जैसे बैठा चाँद कोई ओढ़े कुहरा
सुध में उसकी होश मेरे जब भी उड़ते
जग को लगता जैसे मैं कोई हूँ बहरा
उसकी बातें ज्यों हो कोयल कूके कोई
उतरे बन अहसास कोई दिल पे गहरा
मौलिक व अप्रकाशित
Added by Dr Ashutosh Mishra on May 23, 2014 at 4:25pm — 15 Comments
२१२२ २१२२ २११२२
कितने ही लोगों से हमने हाथ मिलाये
गम में डूबे जब भी कोई काम न आये
दिल तन्हा ये रो के अपनी बात बताये
कैसे उल्फत हाय तन में आग लगाये
तोहफे में दे सका जो गुल भी न हमको
आज वही फूलों से मेरी लाश सजाये
जिनके दिल में गैरों की तस्वीर लगी है
करके गलबहिया वो सर सीने में छुपाये
दिल की बातें दिल ही जब समझे न यहाँ पर
क्यूँ तन्हा फिर भीड़ में दिल खुद को न…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on May 17, 2014 at 2:30pm — 21 Comments
2222 2112 2 222
देखा जब भी जाम मेरे हाथों रूठे
कोई तो समझाए उन्हें दिल भी टूटे
हमसे कहते यार कभी भी मत पीना
खुद पीते मयख्वार बड़े ही हैं झूठे
यारों अपने पास नशे की वो दौलत
चोरी करता चोर नहीं डाकू लूटे
माया ममता त्याग कठिन होता कितना
मय जब उतरे यार गले सब कुछ छूटे
हमको ये मालूम हुआ मैखाने आ
कहकर मय को शेख बुरा मस्ती लूटे
मैखाने से देख निकलना मयकश का
डगमग डगमग…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on May 14, 2014 at 12:30pm — 13 Comments
2122 1222 2122 22/112
दिल से ज्यादा हमें करता कोई मजबूर नहीं
रोज कहता कि घर है उनका बहुत दूर नहीं
मैकदे की चुनी खुद मैंने डगर है साकी
रिंद के दिल में तू रहती है कोई हूर नहीं
आज सागर पिला दे पूरा मुझे ऐ साकी
रिंद वो क्या नशे में जो है हुआ चूर नहीं
गर जो होती नहीं मजबूरी वो आती मिलने
प्यार मेरा कभी हो सकता है मगरूर नहीं
रुख पे बिखरी तेरी जुल्फों ने सितम ढाया है
आज चिलमन में…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on May 9, 2014 at 5:00pm — 22 Comments
Added by Dr Ashutosh Mishra on April 30, 2014 at 11:19am — 9 Comments
१२२२ १२२२ १२२२ १२२२
बड़ी उम्मीद से मालिक ने ये दुनिया बनायी है
दरिंदों ने मगर ये आग नफरत की लगाई है
कमर दुहरी हुई थी उसकी इक झोपड़ के ही खातिर
मगर हैवान ने वो भी नहीं छोडी जलाई है
नपुंसक हो गए हैं आज ताजो तख़्त दुनिया के
यही कहती है सबसे चीख बेबा की रुलाई है
कुलांचे भर रहा था जो लहू में है पड़ा भीगा
हिरन शावक पे किसने आज ये गोली चलायी है
अगर अब भी रही जारी यूं कन्या भ्रूण…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on April 24, 2014 at 3:42pm — 9 Comments
१२१२ ११२२ १२१२ २२
हसींन जुल्फ कहीं पर बिखर रही होगी
हवा है महकी उधर से गुजर रही होगी
फलक पे चाँद है बेताब चांदनी गुमसुम
कहीं जमी पे वो बुलबुल निखर रही होगी
जमी पे आज हैं बिखरे तमाम आंसू यूं
ग़मों में डूबी ये शब किस कदर रही होगी
मेरे खतों को लगा दिल से चूमती है वो
खुदा कसम ये खबर क्या खबर रही होगी
जो जान हम पे छिड़कती उसे नहीं देखा
वो झिर्रियों से ही तकती नजर रही…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on April 16, 2014 at 12:12pm — 17 Comments
1222 1222 1222 1222
इशारों को शरारत ही कहूं या प्यार ही समझूं
कहूं मरहम इन्हें या खंजरों का वार ही समझूं
कशिश बातों में तेरी अब अजब सी मुझको लगती है
कहूं बातों को बातें या इन्हें इकरार ही समझूं
वो डर के भेडियो से आज मेरे पास आये हैं
कहूं हालात इसको या कि फिर एतवार ही समझूं
झरे आँखों से आंसू आज तो बरसात की मानिंद
कहूं मोती इन्हें या सिर्फ मैं जलधार ही समझूं
तेरी नजरों ने कैसी आग सीने में लगाई है …
Added by Dr Ashutosh Mishra on April 16, 2014 at 11:00am — 8 Comments
१२२२ १२२२ १२२२ १२२२
जो भूखा रो रहा उसको नही रोटी खिलाते हैं
जो बुत हैं मौन मंदिर में उन्हें सब सर झुकाते हैं
जिकर होता है जिसका दोस्तों हर सांस में मेरी
मेरे दुश्मन का लेके नाम वो मेंहदी रचाते है
जहाँ भी चाहते दिल फेंकते आदत है ये उनकी
नजर जब हमसे मिलती है तो वो कितना लजाते हैं
सजाये थे गुलाबी पांखुरी से पथ मगर अब क्या
जो पल्लू झाड़ियों में खुद ही अब उलझाये जाते हैं
गुलाबों की भी किस्मत आशु…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on March 30, 2014 at 1:00pm — 19 Comments
२२१२ १२२२ २२१ २१२
वो बज्म में यूं तनहा क्यूँ खुद आप सोचिये
वो मैकदे मैं प्यासा क्यूँ खुद आप सोचिये
सूरज फलक पे आता है हर रोज वक़्त पर
फिर भी रहा अँधेरा क्यूँ खुद आप सोचिये
बचपन जवान होने से पहले ज़वाँ हुए
है बात इक इशारा क्यूँ खुद आप सोचिये
भरपूर तेल बाती भी दमदार थी मगर
किस ने दिया बुझाया क्यूँ खुद आप सोचिये
कांधा जो देने आया था हर शख्स गैर था
खुद को ही यूं मिटाया क्यूँ खुद आप…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on March 28, 2014 at 4:00pm — 12 Comments
१२२२ १२२२ १२२२ १२२२
अभी तो म्यान देखी है अभी तलवार देखोगे
हिरन के सींग देखे सींग की तुम मार देखोगे
बहुत खुश होते हो परदे के जिन अश्लील चित्रों पर
बहुत रोओगे जब घर पर यही बाज़ार देखोगे
जिस्म की मंडियों में डोलते हो बन के सौदागर
करोगे खुदकशी बेटी को जब लाचार देखोगे
नदी, नाले, तलैया-ताल यारों देखकर सँभलो
नहीं तो तुम सड़े पानी का पारावार देखोगे
अभी भाता बहुत है ये सफ़र पूरब से पश्चिम…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on March 26, 2014 at 5:00pm — 12 Comments
२२१२ १२१२ १२१२ १२
कातिल हँसी तू इक दफा जो हमको देख ले
किस की हो फिर मजाल भी जो तुझको देख ले
औरो से हूँ जुदा तुझे भी होगा कल यकी
मलिका-ए- हुस्न पहले जो तू सबको देख ले
दिलकश हसींन कातिलों में कुछ तो बात है
धड़कन थमें जो इक दफा भी उसको देख ले
दिल चाहता जिसे उसे मैं कहता हूँ खुदा
जब सामने खुदा तो कोई किसको देख ले
सागर की आरजू कभी भी थी नहीं मेरी
आँखों में जाम भर के ही तू हमको देख…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on March 25, 2014 at 1:30pm — 16 Comments
221 2122 222 1222
बीरान जिन्दगी में वो आयी बहारों सी
सहरा में तपते जैसे कोई आबशारों सी
लगती है इक ग़ज़ल की ही मानिंद वो मुझको
उसकी तो हर अदा ही हो जैसे अशारों सी
जुल्फों को जब गुलों से है उसने सजाया तो
मुझको लगी अदा ये यारों चाँद तारों सी
जब साथ साथ चलके भी वो दूर रहती है
तब लगती इक नदी के ही वो दो किनारों सी
मौसम हसींन सर्द है गर हो गयी बारिश
होगी हसींन सी कली वो बेकरारों…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on March 5, 2014 at 3:30pm — 9 Comments
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