For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नीले नीले नयनो पर पलकों का पहरा

2122  2122   2122

नीले नीले नयनो पर पलकों का पहरा

जैसे  चिलमन झील पे कोई  हो पसरा

 

दिल तेरा बेचैन है मुझको भी मालुम

बाँध लूं कैसे मैं लेकिन सर पे सहरा

 

झीने बस्त्रों में तेरा मादक सा ये तन  

जैसे बैठा चाँद कोई ओढ़े कुहरा  

 

सुध में उसकी होश मेरे जब भी उड़ते

जग को लगता जैसे मैं कोई हूँ बहरा

 

उसकी बातें ज्यों हो कोयल कूके कोई

उतरे बन अहसास कोई दिल पे गहरा 

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 617

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 4, 2014 at 1:40pm

आदरणीय निलेश जी ..उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 4, 2014 at 1:26pm

आदरणीय सौरभ सर ..सादर प्रणाम ...आपकी हर प्रतिक्रिया नित्य ही कुछ न कुछ सिखाती है ..आपका स्नेह बस यूं ही मिलता रहे ..इसी कामना के साथ 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on June 3, 2014 at 12:11pm

अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 3, 2014 at 12:02pm

मालुम  को मालूम भी किया जाय तो अरुज़ के लिहाज से दोष नहीं होगा.

कई विद्वान कहते हैं कि मिसरों में दीर्घ मात्राओं को बार-बार गिराने से बचना चाहिये. यह एक सुविधा ही है न कि जरुरत.

ग़ज़ल से मासूमीयत छलकी दिखती है. इसके लिए दिल से दाद कुबूल करें.

शुभ-शुभ

Comment by बृजेश नीरज on May 28, 2014 at 9:50pm

सुन्दर ग़ज़ल! आपको बहुत बधाई!

मालुम ?........ यह टंकण की त्रुटि है या इसी तरह प्रयोग किया गया है?

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 28, 2014 at 7:28pm

नीले नीले नयनो पर पलकों का पहरा

जैसे  चिलमन झील पे कोई  हो पसरा - वाह ! उम्दा गजल रचना हुई है | बधाई श्री आशुतोष मिश्रा जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 28, 2014 at 5:33pm

आदरनीय आशुतोष भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है , आपको बधाइयाँ ॥

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on May 28, 2014 at 2:54pm

  pyaaree gazal mitra

Comment by Meena Pathak on May 27, 2014 at 4:10pm

बेहतरीन ......बहुत बहुत बधाई | सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 27, 2014 at 11:33am

बहुत खुबसूरत गजल आदरणीय डा.आशुतोष जी, दिली बधाई स्वीकार करें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"पुनः आऊंगा माँ  ------------------ चलती रहेंगी साँसें तेरे गीत गुनगुनाऊंगा माँ , बूँद-बूँद…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"एक ग़ज़ल २२   २२   २२   २२   २२   …"
5 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"स्वागतम"
17 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
17 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service