For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

न फिर तुम पूंछना क्यूँ भाई की सूनी कलाई है

१२२२    १२२२    १२२२   १२२२ 

बड़ी उम्मीद से मालिक ने ये दुनिया बनायी है

दरिंदों ने मगर ये आग नफरत की लगाई है

 

कमर दुहरी हुई थी उसकी इक झोपड़ के ही खातिर

मगर हैवान ने वो भी नहीं छोडी जलाई है

 

नपुंसक हो गए हैं आज ताजो तख़्त दुनिया के

यही कहती है सबसे चीख बेबा की रुलाई है

 

कुलांचे भर रहा था जो लहू में है पड़ा भीगा

हिरन शावक पे किसने आज ये गोली चलायी है

 

अगर अब भी रही जारी यूं कन्या भ्रूण हत्याएं

न फिर तुम पूंछना क्यूँ भाई की सूनी कलाई है

 

बहा जिनका पसीना उनको रोटी के पड़े लाले

दलालों ने मगर इस देश में खाई मलाई है

 

  

 

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 461

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 2, 2014 at 9:30am

अगर अब भी रही जारी यूं कन्या भ्रूण हत्याएं

न फिर तुम पूंछना क्यूँ भाई की सूनी कलाई है..........बहुत खूब 

सुन्दर ग़ज़ल हुई है ..हार्दिक बधाई आ० अशुतोष जी 

Comment by Satyanarayan Singh on May 1, 2014 at 12:17pm

आ. डॉ आशुतोष जी इस मार्मिक रचना के लिए दिली दाद कबूल करें आदरणीय

अगर अब भी रही जारी यूं कन्या भ्रूण हत्याएं

न फिर तुम पूंछना क्यूँ भाई की सूनी कलाई है

 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 29, 2014 at 12:00am

अगर अब भी रही जारी यूं कन्या भ्रूण हत्याएं

न फिर तुम पूंछना क्यूँ भाई की सूनी कलाई है..........बहुत मार्मिक

बहुत बहुत बधाई आदरणीय डा. आशुतोष जी

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 28, 2014 at 3:38pm

आदरणीया सरिता जी ..मेरी रचना पर आपकी उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद  .सादर 

Comment by Sarita Bhatia on April 28, 2014 at 9:09am

अगर अब भी रही जारी यूं कन्या भ्रूण हत्याएं

न फिर तुम पूंछना क्यूँ भाई की सूनी कलाई है

 

बहा जिनका पसीना उनको रोटी के पड़े लाले

दलालों ने मगर इस देश में खाई मलाई है

 वाह आदरणीय खुब्सुअरत गजल 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 26, 2014 at 1:24pm

आदरणीया कुंतीजी ..आपसे सतत ही हौसला मिलता रहा है ..बस यूं ही आप का स्नेह मिलता रहे ..सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 26, 2014 at 1:22pm

आदरणीय मुकेश जी ..मेरी रचना पर आपकी प्रोत्साहित करने वाली प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद ..सादर 

Comment by coontee mukerji on April 25, 2014 at 3:58pm

बहुत ही मार्मिक रचना है. शुभकामनाएँ.

Comment by Mukesh Verma "Chiragh" on April 25, 2014 at 12:25pm

आदरणीय आशुतोष जी

बहुत बढ़िया.. बहुत मुबारकबाद

बहा जिनका पसीना उनको रोटी के पड़े लाले

दलालों ने मगर इस देश में खाई मलाई है

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Prem Chand Gupta replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"इश्क में दर्द के सिवा क्या है।रास्ता और दूसरा क्या है। मौन है बीच में हम दोनों के।इससे बढ़ कर कोई…"
6 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ओ.बी.ओ के नियम अनुसार तरही मिसरे को मिलाकर  कम से कम 5 और…"
14 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमस्कार, आ. आदरणीय भाई अमित जी, मुशायरे का आगाज़, आपने बहुत खूबसूरत ग़ज़ल से किया, तहे दिल से इसके…"
24 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आसमाँ को तू देखता क्या है अपने हाथों में देख क्या क्या है /1 देख कर पत्थरों को हाथों मेंझूठ बोले…"
37 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बेवफ़ाई ये मसअला क्या है रोज़ होता यही नया क्या है हादसे होते ज़िन्दगी गुज़री आदमी…"
55 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"धरा पर का फ़ासला? वाक्य स्पष्ट नहीं हुआ "
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Richa Yadav जी आदाब। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। हर तरफ शोर है मुक़दमे…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"एक शेर छूट गया इसे भी देखिएगा- मिट गयी जब ये दूरियाँ दिल कीतब धरा पर का फासला क्या है।९।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल से मंच का शुभारम्भ करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आदाब।  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बात करते नहीं हुआ क्या है हमसे बोलो हुई ख़ता क्या है 1 मूसलाधार आज बारिश है बादलों से…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"खुद को चाहा तो जग बुरा क्या है ये बुरा है  तो  फिर  भला क्या है।१। * इस सियासत को…"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service