For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लव चूमना गुलों के हैं आसाँ कहाँ भ्रमर

221   2122        222  1222

बीरान जिन्दगी में वो आयी बहारों सी

सहरा में तपते जैसे कोई आबशारों सी

लगती है इक ग़ज़ल की ही मानिंद वो मुझको

उसकी तो हर अदा ही हो जैसे अशारों सी

जुल्फों को जब गुलों से है उसने सजाया तो

मुझको लगी अदा ये यारों चाँद तारों सी

जब साथ साथ चलके भी वो दूर रहती है 

तब लगती इक नदी के ही वो दो किनारों सी

मौसम हसींन सर्द है गर हो गयी बारिश

होगी हसींन  सी कली वो बेकरारों सी

लव चूमना गुलों के हैं आसाँ कहाँ भ्रमर

खारों की फ़ौज ही खडी है पहरेदारों सी

जब चूर चूर वक़्त से लड़ते हुए थे हम

बांहों का हार ले खडी थी वो सहारों सी

उस नाजनी के हुस्न की चर्चा करूँ मैं क्या

गुल सी हसींन शोलों सी शबनम शरारों सी

खामोश रह के बोलने का जानती है फन

उसकी तमाम बात तो होती इशारों सी

 

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 578

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 10, 2014 at 2:26pm

आदरणीय नीरज जी , केवल जी , जीतेन्द्र जी ..आप सभी का तहे दिल धन्यवाद ..सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 6, 2014 at 11:40pm

बहुत खुबसूरत गजल कही आपने आदरणीय डा. आशुतोष जी, हार्दिक बधाई स्व्वीकारें

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 6, 2014 at 9:02pm

आ0 आशुतोष भार्इ जी,  क्या बात है...! बहुत ही सुन्दर गजल कही है।  हार्दिक बधार्इ स्वीकारें।  सादर,

Comment by Neeraj Neer on March 6, 2014 at 7:26pm

बहुत खूब ग़ज़ल कही है 

खामोश रह के बोलने का जानती है फन

उसकी तमाम बात तो होती इशारों सी... क्या कहने .. बहुत सुन्दर.

Comment by annapurna bajpai on March 6, 2014 at 4:00pm

बेहद खूबसूरत गजल , बधाई आपको आ0 आशुतोष जी । 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 6, 2014 at 2:54pm

आदरणीय वैद्यनाथ जी ..मेरी रचना आपको पसंद आयी आपके स्नेहिल शब्द मुझे नूतन श्रजन की उर्जा से लबरेज करते है सादर धन्यवाद के साथ 

Comment by Saarthi Baidyanath on March 6, 2014 at 1:37pm

बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है आदरणीय ...लाजवाब |

जब साथ साथ चलके भी वो दूर रहती है 

तब लगती इक नदी के ही वो दो किनारों सी...क्या कहने !

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 6, 2014 at 12:58pm

आदरणीया मीना जी ..हौसला अफजाई के लिए तहे दिल धन्यवाद ..सादर 

Comment by Meena Pathak on March 5, 2014 at 9:56pm
Bahut khoob Badhai

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह, हर शेर क्या ही कमाल का कथ्य शाब्दिक कर रहा है, आदरणीय नीलेश भाई. ंअतले ने ही मन मोह…"
3 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"कैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास ।  .. क्या-क्यों-कैसे सोच कर, यदि हो…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"  आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंद की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"  आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, वाह ! उम्दा ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सभी दोहे सुन्दर रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
12 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आप सभी सम्मानित श्रेष्ठ मनीषियों को 🙏 धन्यवाद sir जी मै कोशिश करुँगा आगे से ध्यान रखूँ…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय सुशील सरना सर, सर्वप्रथम दोहावली के लिए बधाई, जा वन पर केंद्रित अच्छे दोहे हुए हैं। एक-दो…"
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service