For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सब की हम पर ही नजर है बज्म में अब

२१२२ ११२२  २१२२

 

कुछ जलाना तो  चिरागों को जलाओं

पी के तम को ये जहाँ रोशन बनाओ

 

चल पड़ा है वो मसीहा जग बदलने

राह से कांटे सभी उसको हटाओ

 

आज चिलमन है हमारे दरमिया क्यों

नाजनीनो यूं न हमको तुम सताओ

 

सब की हम पर ही नजर है बज्म में अब

जाम नजरों से हमें छुपकर पिलाओं

 

है सबब कोई खफा जो हमसे हो तुम

बेकली दिल की बढ़ी  कुछ तो बताओ

 

बात बज्मों में निगाहें ही करेंगी

तुम भी जो कहना इशारों में बताओं

 

देख कर हमको शरम से लाल हो तुम

बंद कर ली लो जी आँखे मत लजाओ

 

जीना बचपन को जवानी में अगर हो

नाव कागज़ की ये बारिश में चलाओ

 

देखना हो जो पुराना प्यार माँ का

घर के कोने में कहीं खुद को छिपाओ

 

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 690

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 8, 2014 at 3:40pm

सुन्दर अश'आर हुए हैं आ० डॉ० आशुतोष मिश्रा जी 

दो मिसरों पर मैं अटक रही हूँ... कृपया देखें 

राह से कांटे सभी उसको हटाओ.........क्या यहाँ उसको शब्द ही लिया गया है ?

 बंद कर ली लो जी आँखे मत लजाओ...ये मिसरा भी अस्पष्ट लग रहा है 

ग़ज़ल के खूबसूरत कहन पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें 

Comment by बृजेश नीरज on July 1, 2014 at 7:34am
अच्छी ग़ज़ल है। आपको बधाई।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on June 30, 2014 at 3:10pm

//जीना बचपन को जवानी में अगर हो

नाव कागज़ की ये बारिश में चलाओ//  वाह क्या बात है बहुत बढ़िया

आदरणीय डॉ आशुतोष सर इस ग़ज़ल के लिये दिली दाद कुबूल करें

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 30, 2014 at 1:56pm

आदरणीय गिरिराज भाईसाब  ...आपका मार्गदर्शन और स्नेह बस यूं ही मिलता रहे इसी कामना के साथ सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 30, 2014 at 12:59pm

आदरणीय जीतेन्द्र जी ..आपकी उत्साग्वर्धक प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल बधाई सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 30, 2014 at 12:59pm

आदरणीय सुरेन्द्र जी ..रचना को संसोधित करूंगा ..टंकन की गलती से ऐसा हो गया ..आपके स्नेह के लिए तहे दिल बधाई सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 30, 2014 at 12:58pm

आदरणीय नरेन्द्र जी हौसला अफजाई के लिए तहे दिल शुक्रिया  सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 29, 2014 at 11:40am

आदरणीय आशुतोष भाई , शुरू से आखिर तक सभी अशआर लाजवाब हुये है , दिली बधाइयाँ ।

चल पड़ा है वो मसीहा जग बदलने

राह से कांटे सभी उसको हटाओ

देखना हो जो पुराना प्यार माँ का

घर के कोने में कहीं खुद को छिपाओ -    -----   बहुत सुन्दर , ढेरों दाद कुबूल करें ॥

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 29, 2014 at 9:18am

जीना बचपन को जवानी में अगर हो

नाव कागज़ की ये बारिश में चलाओ..............शुद्ध देशी सन्देश

बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय डा.आशुतोष जी

 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on June 28, 2014 at 4:47pm

देखना हो जो पुराना प्यार माँ का

घर के कोने में कहीं खुद को छिपाओ

चल पड़ा है वो मसीहा जग बदलने
राह से कांटे सभी (उसको) उसके हटाओ

प्रिय डॉ आशुतोष जी सुन्दर भाव- माँ का स्नेह- अच्छी रचना हार्दिक बधाई
जय श्री राधे
भ्रमर ५

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, अभिवादन।  गजल का प्रयास हुआ है सुधार के बाद यह बेहतर हो जायेगी।हार्दिक बधाई।"
14 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले ग़ौर…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ ,बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए और बेहतर सुझाव के लिए सुधार करती हूँ सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी बहुत शुक्रिया हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपका मक़्त के में सुधार की कोशिश करती हूं सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी बेहतर इस्लाह ऑयर हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया आपका सुधार करती हूँ सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी और अमीर जी के सुझाव क़ाबिले…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी नमस्कार बहुत ही लाज़वाब ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार कीजिये है शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ ,गिरह भी…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी आदाब, और प्रस्तुति तक पहुँचने के लिए आपका आपका आभारी हूँ। "बेवफ़ा है वो तो…"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
" आदरणीय मुसाफिर जी नमस्कार । भावपूर्ण ग़ज़ल हेतु बधाई। इस्लाह भी गुणीजनों की ख़ूब हुई है। "
3 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा यादव जी नमस्कार । ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service