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Abhinav Arun's Blog (149)

कविता - जीव - गणित

कविता -  जीव - गणित
घाट
घाट की सीढियां
सीढ़ियों पर काबिज़…
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Added by Abhinav Arun on September 5, 2011 at 9:45pm — 14 Comments

ग़ज़ल :- तलवार की बातें करो छोडो मयान की

ग़ज़ल :- तलवार की बातें करो छोडो मयान की

अब क्या बताएं आपको दुनिया जहान की ,

ये शायरी ज़ुबां है किसी बेज़ुबान की |

 …

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Added by Abhinav Arun on August 31, 2011 at 9:41am — 4 Comments

कविता :- हम नादान ?

कविता :- हम नादान ?

 

कदम आगे कदम पीछे

कभी उभरे कभी बिछे

हमीं इंसान

हम नादान…

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Added by Abhinav Arun on August 27, 2011 at 9:00am — 9 Comments

कविता :- ठहराव का सच

कविता :- ठहराव का सच

 

इच्छाओं की चिकनी सड़क पर फिसलती - संभलती ज़िंदगी की बाइक…

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Added by Abhinav Arun on August 24, 2011 at 9:17am — 2 Comments

ग़ज़ल :- सोच का सन्दर्भ अब कितना इकहरा हो गया

ग़ज़ल :- सोच का सन्दर्भ अब कितना इकहरा हो गया

 

सोच का सन्दर्भ अब कितना इकहरा हो गया ,

आदमी तकनीक के गुलशन का सहरा हो गया | 

 

जड़कटी…

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Added by Abhinav Arun on August 20, 2011 at 3:00pm — 8 Comments

ग़ज़ल :- बाढ़ का हद से गुजरना अच्छा

 ग़ज़ल :- बाढ़ का हद से गुजरना अच्छा
 
बाढ़ का हद से गुजरना अच्छा ,
गाँव का फिर से संवरना अच्छा |
 
इस जगह माँ की याद आती है ,
इस जगह थोडा ठहरना अच्छा…
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Added by Abhinav Arun on August 14, 2011 at 3:33pm — 11 Comments

ग़ज़ल :- ये खबर इस शहर पे तारी हुई

 ग़ज़ल :- ये  खबर इस शहर पे तारी हुई 
 
यह खबर इस शहर पे तारी हुई ,
मछलियों  की जाल से यारी हुई |
 
फूल था मधुरस लुटा हल्का हुआ ,…
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Added by Abhinav Arun on August 14, 2011 at 3:30pm — 14 Comments

कविता = कहाँ आज़ाद हैं हम

कविता = कहाँ आज़ाद हैं हम

कहाँ आज़ाद हैं हम

हजारों हर तरफ ग़म

भ्रष्टाचार के टीले - पहाड़

और जनता की नित हार

अवनति…

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Added by Abhinav Arun on August 14, 2011 at 1:39pm — 16 Comments

कविता- अनुभूत पपड़ियों का महाकाव्य !

कविता-  अनुभूत पपड़ियों का महाकाव्य !…

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Added by Abhinav Arun on August 12, 2011 at 7:37pm — 8 Comments

ग़ज़ल :- हथेली पे कैक्टस उगाने से पहले

ग़ज़ल :- हथेली पे कैक्टस उगाने से पहले

 

हथेली पे कैक्टस उगाने से पहले ,

ज़रा सोचना तिलमिलाने से पहले |

 

मोहब्बत से तौबा तो …

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Added by Abhinav Arun on August 9, 2011 at 7:00am — 19 Comments

ग़ज़ल :- मत फलक पर चाँद तारे बोइये

ग़ज़ल :- मत फलक पर चाँद तारे बोइये

मत फलक पर चाँद तारे बोइए ,

रख परे सपनों को चुपकर सोइए |…

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Added by Abhinav Arun on August 8, 2011 at 2:37pm — 8 Comments

ग़ज़ल - ग़मों का दौर हूँ मैं

ग़ज़ल - ग़मों का दौर हूँ मैं

ग़मों का दौर हूँ मैं ,

ग़ज़ल है और हूँ मैं |

 

दशहरी गंध तुम हो ,

तुम्हारी बौर हूँ मैं |

 

तेरा हर तिल…

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Added by Abhinav Arun on August 1, 2011 at 4:19pm — 15 Comments

कविता : - ये स्वप्न नहीं

कविता : - ये स्वप्न नहीं

कहाँ मानव रहे हम
हमारे शहर सारे बन गए वन
भटकता रास्तों में सारा जनगण
सभी संशय में फंस कर बंद तरकश
प्रतीक्षा कर रहे हैं
मर रहे हैं !

नहीं है स्वप्न कोई
और न यथार्थ ही ये
चिंकोटी काटता खुद को
गड़ाता खुद ही पंजे
चमड़ी खुद ही उधेड़ता आप अपनी
मैं खाता खुद ही अपना मांस - टुकड़ा
चिल्लाता फिर रहा हूँ
की हाँ मैं आदमी हूँ !!

Added by Abhinav Arun on May 29, 2011 at 10:57am — 2 Comments

ग़ज़ल :- पहरे शब्दों पर भी अब पड़ने लगे

ग़ज़ल :- पहरे शब्दों पर भी अब पड़ने लगे

पहरे शब्दों पर भी अब पड़ने लगे ,

घाव जो गहरे थे अब बढ़ने लगे |

 …

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Added by Abhinav Arun on May 17, 2011 at 10:01am — 7 Comments

नज़्म : - तब तुम मुझको याद करोगी !

नज़्म : - तब तुम मुझको याद करोगी !

सूनेपन की रेत पे लम्हे दुःख की सुबहो - शाम लिखेंगे…

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Added by Abhinav Arun on May 15, 2011 at 8:30pm — 6 Comments

ग़ज़ल : - राग मुझको सुहाता नहीं दोस्तो

ग़ज़ल : - राग  मुझको सुहाता नहीं दोस्तो !

राग  मुझको सुहाता नहीं दोस्तो ,

मैं कोई गीत गाता नहीं…

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Added by Abhinav Arun on May 15, 2011 at 8:00pm — 6 Comments

लघु कविता :- माँ

माँ !

देखा तो होगा तुझे

पर चेहरा याद नहीं…

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Added by Abhinav Arun on May 8, 2011 at 7:00pm — 9 Comments

कविता :- श्रम को सलाम है !

कविता :- श्रम को सलाम है !

छेनियों हथौडियो की चोट को

उस ओट को सलाम है…

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Added by Abhinav Arun on April 29, 2011 at 10:30pm — 9 Comments

कविता :-खुली किताब हूँ मैं

कविता :-खुली किताब हूँ मैं…

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Added by Abhinav Arun on April 23, 2011 at 9:00am — 4 Comments

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गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
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सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
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"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
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Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
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"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
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Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday

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