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ग़ज़ल - बारिश के ख़त लाते हैं , बादल बंद लिफ़ाफे हैं

ग़ज़ल –

फैलुन फैलुन फैलुन फा

२२ २२ २२ २

 

बारिश के ख़त लाते हैं |

बादल बंद लिफ़ाफ़े हैं |

 

खेतों में पानी भर दो ,

पौधे भूखे प्यासे हैं |

 

हमने क्या ग़द्दारी की ,

सारे पेड़ रुआसे हैं |

 

मौत तुम्हारे आने तक ,

क्या क्या खेल तमाशे हैं |

 

फूल गुमां करते हो क्यों ,

मौसम आते जाते हैं |

 

ख़ुशबू तो रह जाती है ,

बेशक हम कुम्हलाते हैं |

 

कीचड़ से याराना कर ,

फूल कमल कहलाते हैं |

 

जिनको नींद नहीं आती ,

तारों से बतियाते हैं |

 

जो सच की खेती करते ,

उनके घर में फाके हैं |

 

घंटे भर की बारातें ,

अब किसके जनवासे हैं |

 

चाँद सितारों का सेहरा ,

तेरे ख़ूब सरापे हैं |

* मौलिक अप्रकाशित.

             - अभिनव अरुण 

              [ १५०२२०१४ ]

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Comment by Saurabh Pandey on March 5, 2014 at 12:21am

बारिश के ख़त लाते हैं |
बादल बंद लिफ़ाफ़े हैं |
इस मतले ने ही एक दीवान का सफ़र करा दिया. ग़ज़ब ताक़त है इन दो मिसरों में.

हमने क्या ग़द्दारी की ,
सारे पेड़ रुआसे हैं |
वाह ! वैसे किसने क्या गद्दारी की अधिक उचित हुआ होता. मग़र क्या है, मैं ऐसा ही कुछ का कुछ अनगढ़ ही सही सोच लिया करता हूँ.

एक अच्छी ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई.

Comment by Abhinav Arun on February 19, 2014 at 9:51pm

आदरणीय श्री विजय जी श्री आशीष जी ह्रदय से आनंदित हूँ आपका प्रोत्साहन पाकर , धन्यवाद आप दोनों का !!

Comment by Abhinav Arun on February 19, 2014 at 9:50pm

श्री बैद्यनाथ जी आपके प्रेरक शब्दों ने मेरा दिन उजालों से भर दिया ..शुक्रिया !!

Comment by Saarthi Baidyanath on February 19, 2014 at 10:38am

क्या शुरुआत की है साहब ...माशा-अल्लाह .! 

बारिश के ख़त लाते हैं |

बादल बंद लिफ़ाफ़े हैं |....बेहतरीन ..बेहतरीन !

खेतों में पानी भर दो ,

पौधे भूखे प्यासे हैं ...उम्दा है जी !

मौत तुम्हारे आने तक ,

क्या क्या खेल तमाशे हैं |....वाह ..वाह और वाह !

फूल गुमां करते हो क्यों ,

मौसम आते जाते हैं |.....लाजवाब ..

जिनको नींद नहीं आती ,

तारों से बतियाते हैं |.....आय हाय , दिल लूट लिया साहब!


एक से बढ़कर एक अशआर...सुबह मजेदार और शानदार बना दी हुजुर ! लिखते रहिये ..बस छा जाइये और क्या ! 

Comment by vijay nikore on February 19, 2014 at 10:31am

इस अच्छी गज़ल के लिए बधाई।

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on February 18, 2014 at 12:55pm

बारिश के ख़त लाते हैं |

बादल बंद लिफ़ाफ़े हैं |

मौत तुम्हारे आने तक ,

क्या क्या खेल तमाशे हैं |

वाह खूबसूरत अशआर आदरणीय अभिनव जी ||

 

Comment by Abhinav Arun on February 18, 2014 at 12:51pm

श्री श्याम जी आदरणीय मीना जी आभारी हूँ आपने प्रोत्साहित किया शुक्रिया !!

Comment by Abhinav Arun on February 18, 2014 at 12:50pm

आदरणीय श्री जितेन्द्र जी , श्री गिरिराज जी, श्री अनिल जी ,श्री लक्षमण जी , श्री चंद्रशेखर जी ,डॉ आशुतोष जी , अखिलेश जी ,गुमनाम जी , श्री राम शिरोमणि जी , ह्रदय से आभार आप सबका आपने ग़ज़ल को सराहा अनुमोदित किया शुक्रिया !!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 17, 2014 at 10:58pm

आदरणीय अभिनव जी, लाजवाब गजल यह शेर खूब पसंद आया

कीचड़ से याराना कर ,

फूल कमल कहलाते हैं |


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Comment by गिरिराज भंडारी on February 17, 2014 at 6:24pm

आदरणीय अभिनव अरुण भाई , लाजवाब ग़ज़ल कही है , आपको दिली बधाइयाँ ॥

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