For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघु कविता :- माँ

माँ !
देखा तो होगा तुझे
पर चेहरा याद नहीं
न ही तेरी तस्वीर कोई मेरे पास
सुना भी होगा तुझे
पर शब्द याद नहीं
हां याद है हर पल मेरे साथ
चलता तेरा साया
जिससे लिपट कर कई रातों को रोया हूँ मैं
माँ तेरे लिये !!
(अभिनव अरुण )

Views: 2797

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on May 10, 2011 at 3:20pm
टिप्पणी के लिए आभारी हूँ श्री सौरभ जी |साथ ही सर्वश्री संजय जी ,और  गुरूजी  आप  का  भी  हार्दिक  आभार  | टिप्पणी  रचना  के गंभीर  पठन  की  प्रतीक  है  | शुक्रिया  | 
 

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 10, 2011 at 2:48pm

".. .. कई रातों को रोया हूँ मैं / माँ तेरे लिये!!.."

कोमलतम भावों के निश्शब्द स्वरूप के प्रति श्रेयस्कर होगा मैं कोई स्वर न दूँ.  एक के ’न होने’  का उत्कट भान उसके ’न होने’ की तासीर बहुगुणित कर देती है..  आभार.

Comment by Sanjay Rajendraprasad Yadav on May 10, 2011 at 2:14pm
" दिल की गहराईयों से आप को बहुत-बहुत धन्यवाद ,
// आप की यह एक छोटी सी रचाना इस बहुत बड़े ह्रदय के साग़र में भावनाओं का एक बहुत बड़ा त्सुनामी ला दिया......................................
Comment by Rash Bihari Ravi on May 10, 2011 at 1:42pm
मन की गहराई तक समा जाने वाली कृति बहुत बढ़िया सर जी ,
Comment by Abhinav Arun on May 10, 2011 at 1:36pm

नियति और यथार्थ को स्वर देती ये मेरी रचना आप सबको पसंद आयी आभारी हूँ | श्री बागी जी , धीरज जी, वीरेंदर जी और इस्मत जैदी जी आप सबका तहे दिल से शुक्रिया |

Comment by Dheeraj on May 10, 2011 at 12:38pm
मार्मिक रचना अरुण जी, ह्रदय में टीस और आँखों में नमी उतर आई. सदर नमन है इस शब्द  "माँ" और आपके लेखनी को
Comment by Veerendra Jain on May 10, 2011 at 12:33pm

हां याद है हर पल मेरे साथ
चलता तेरा साया
जिससे लिपट कर कई रातों को रोया हूँ मैं
माँ तेरे लिये !!

 

bahut hi behatarin ..Arunji...bahut bahut badhai aapko ..is bhavparak rachna ke liye...

Comment by ismat zaidi on May 10, 2011 at 12:23pm
man ko chhootee huee rachna

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 10, 2011 at 11:55am
सीधे ह्रदय को बेधने वाली रचना, बहुत ही सुंदर अरुण भाई सच मानिए "घाव करे गंभीर" वाली बात है इस रचना में | आपके लेखनी को वंदन है |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बहुत खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया

पलभर में धनवान हों, लगी हुई यह दौड़ ।युवा मकड़ के जाल में, घुसें समझ कर सौड़ ।घुसें समझ कर सौड़ ,…See More
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   वाह ! प्रदत्त चित्र के माध्यम से आपने बारिश के मौसम में हर एक के लिए उपयोगी छाते पर…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत कुण्डलिया छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, कुण्डलिया छंद पर आपका अच्छा प्रयास हुआ है किन्तु  दोहे वाले…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया छंद रचा…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आती उसकी बात, जिसे है हरदम परखा। वही गर्म कप चाय, अधूरी जिस बिन बरखा// वाह चाय के बिना तो बारिश की…"
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीया "
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"बारिश का भय त्याग, साथ प्रियतम के जाओ। वाहन का सुख छोड़, एक छतरी में आओ॥//..बहुत सुन्दर..हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्र पर आपके सभी छंद बहुत मोहक और चित्रानुरूप हैॅ। हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेश कल्याण जी।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service