Comment
//जीव - गणितीय समीकरणों के स्वार्थ का
कोई देश नहीं होता
कोई सीमा नहीं होती
guru ji aapka aashirwaad mila ham dhanya hue !! haardik abhaar sneh banaye rakhen !!
bahut khubsurat kavita sir ji
many many thanks RESPECTED DUSHYANT JI AND SHRI ASHISH JI . its good to read your couragious comments .
अब तो मानोगे नकि मुद्रा मुद्रा देख अक्सर बदल जाया करती है और बदल जाती है लोगों की मुद्राएँ
आहा! अरुण जी काव्य की सुंदरता परिलक्षित करती बेहद सुंदर पंक्तियाँ...पढ़ते पढ़ते मैने भी कई मुद्राएँ बदली....आभार स्वीकारे
बहुत सुन्दर कविता की रचना हुई है| बिलकुल यथार्थ चित्रण किया गया है|
एक दो जगह अनायास ही अलंकार आकर इस कविता की शोभा में चार चाँद लगा रहे है ये काव्य का चमत्कार ही है|
जैसे
मुद्रा मुद्रा देख अक्सर बदल जाया करती है
रचना पसंद करने के लिए आदरणीया मोहिनी जी का भी बहुत बहुत आभार !!
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online